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क्या 1971 के 'वॉर ब्रोचर' से इंदिरा गांधी की तस्वीरों को कटवा दिया गया?

लोग इसे लेकर मोदी सरकार को जमकर ट्रोल कर रहे हैं.

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पहले पर ब्रोचर में शामिल फोटो है जिसमें इंदिरा गांधी नहीं हैं, जबकि दूसरी फोटो में तीनों सेना के तत्कालीन प्रमुख इंदिरा गांधी से मिलते दिख रहे हैं.

1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरा होने पर अक्टूबर 2021 में भारतीय वायुसेना ने 'स्वर्णिम विजय वर्ष सम्मेलन' आयोजित किया था. बेंगलुरु में आयोजित इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और तत्कालीन CDS जनरल बिपिन रावत भी शामिल हुए थे. इसी सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर 1971 का 'वॉर ब्रोचर' रिलीज किया गया था. अब इस ब्रोचर में शामिल किए गए कुछ फोटोज के साथ छेड़छाड़ के आरोप को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं.


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बेंगलुरू में आयोजित सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत शामिल हुए थे. (साभार-IAF)

Bharat Rakshak IAF नाम के ट्विटर यूजर ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि इस ब्रोचर में शामिल इतिहास से जुड़े फोटोज को जानबूछकर क्रॉप किया गया है, ताकि पिछली सरकारों का श्रेय न दिखाया जाए. ट्वीट में लिखा है,


मुझे 1971 का युद्ध विवरणिका (वॉर ब्रोचर) भेजी गई. इसमें शामिल एक तस्वीर ने मेरा ध्यान खींचा. ये स्पष्ट था कि तस्वीर को क्रॉप किया गया था. तीनों रक्षा प्रमुख किसी को देखकर मुस्कुरा रहे थे. मैंने तस्वीर को नेट पर खोजा तो ये स्पष्ट था कि इन्हें क्यों काटा गया था. हम समझते हैं कि आप पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कोई श्रेय नहीं देना चाहते हैं, तो इसके लिए किसी और फोटो का इस्तेमाल कर लें. इतिहास से जुड़ी शख्सियतों की चुनिंदा क्रॉपिंग नई पीढ़ी को कोई फायदा नहीं पहुंचाती है. 

इस ट्वीट में ब्रोचर में शामिल एक फोटो को दिखाया गया है. ब्रोचर वाले फोटो में 1971 के युद्ध के समय के तीनों सेनाओं के प्रमुख दिखाई दे रहे हैं. ये हैं थल सेना अध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ, एयर चीफ मार्शल प्रताप चंद्र लाल और एडमिरल सरदारी लाल मथुरादास नंदा, जो किसी को देखकर मुस्कुरा रहे हैं. लेकिन इस फोटो में इंदिरा गांधी नहीं दिखाई दे रहीं. जबकि तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज करने पर जो फोटो मिलेगा उसमें तीनों सेना प्रमुख इंदिरा गांधी से मिल रहे हैं. (ये फोटो आपको खबर में ऊपर ही मिल जाएगा.)


पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम का भी फोटो काटा

ब्रोचर में केवल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ा फोटो ही पोस्ट नहीं किया गया है, बल्कि पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को भी एक फोटो से क्रॉप किया गया है. ब्रोचर वाले फोटो को भारत रक्षक IAF ने ट्वीट करते हुए लिखा,


अगर आपको लगता है कि केवल एक फोटो को क्रॉप किया गया है तो ऐसा नहीं है. एक और फोटो है जिसमें तीनों रक्षा प्रमुख वास्तव में पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम के साथ बैठे हैं, लेकिन ब्रोचर वाले फोटो में से बाबू जगजीवन राम को काट दिया गया है. तो क्या पिछले रक्षा मंत्री भी तस्वीरों में बने रहने लायक नहीं हैं?

अब जो फोटो ब्रोचर में दिख रहा है उसमें तीनों सेना प्रमुख तो दिख रहे हैं, लेकिन पूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम गायब हैं. जबकि इस फोटो को भी गूगल रिवर्स इमेज करने पर जो फोटो मिलेगा, उसमें तीनों पूर्व सेना प्रमुख पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम के साथ एक टेबल पर बैठे हैं.

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लोगों ने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए

ब्रोचर में शामिल फोटोज के साथ की गई छेड़छाड़ को लेकर ट्विटर यूजर्स ने सरकार पर गुस्सा निकाला. ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर और पत्रकार मनिमुग्धा शर्मा ने ट्वीट किया,


1971 के युद्ध की ऐतिहासिक तस्वीरों से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को काटकर इतिहास को मिटाने का एक शर्मनाक प्रयास. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अगर देश की रक्षा ताकतें भी इस तरह की कोशिशों का हिस्सा बनती हैं, जो केवल सत्ताधारी पार्टी की असुरक्षा को दिखाती हों.  

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द नमो नाम के पैरोडी ट्विटर अकांउट ने लिखा,


क्या स्टालिन उन शख्सियतों के फोटो को हटाने या उस पर अपने फोटो लगाने के लिए बदनाम नहीं था, जिन शख्सियतों को उसने जनता की स्मृति से मिटा दिया था या मिटाना चाहता था?

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विवेक ठाकुर नाम के ट्विटर यूजर ने तंज कसते हुए लिखा,


हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री के बड़े-बड़े दावों के अनुसार वो एक समय यात्री (टाइम ट्रेवलर)  हैं. हमें शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने इन तस्वीरों में अपनी तस्वीर को फोटोशॉप नहीं किया. 

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सौरभ नाम के यूजर ने भी फोटोशॉप को लेकर लिखा,


अगली बार वे मोदी जी को इतिहास में जगह देने के लिए उनका चेहरा किसी और के फोटो पर चिपका देंगे.

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गौतम विश्वास ने 1971 के युद्ध के इतिहास को याद करते हुए लिखा,


फोटो शॉप/क्रॉप से इतिहास नहीं बदला जा सकता. कोई ऐसा करके चंद लोगों को बेवकूफ बना सकता है. 1971 के युद्ध का इतिहास बांग्लादेश में भी दर्ज और संग्रहित है. कम आत्मसम्मान और हीन भावना भरा कदम. 

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तथ्य नहीं बदल सकते क्योंकि कुछ अदूरदर्शी, छोटी सोच वाले छद्म राष्ट्रवादी ऐसा चाहते हैं. इस तरह की मूर्खतापूर्ण हरकतों से इंदिरा गांधी की आभा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जिन्होंने भारत को जीत की ओर अग्रसर किया था. 

एक और यूजर हर्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की फोटो क्रॉप करने को लेकर ये ट्वीट किया,

Tweet 3

जिन लोगों का अपना इतिहास नहीं है वो दूसरों का इतिहास फोटोशॉप करके खत्म करना चाहते हैं. दया आती ऐसे लोगों पर और दुर्भाग्य हम लोगों का कि हमारे नेता हैं ये.

वहीं मनीष हिंदवी ने लिखा,

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ये तो थे सरकार के ऊपर लगे आरोप. लेकिन इस मामले को लेकर अभी तक सरकार का कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है. अगर आता है तो हम खबर में जरूर अपडेट करेंगे. फिलहाल इसे लेकर ट्विटर पर लोगों का लगातार प्रतिक्रिया देना जारी है.