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'जम्मू-कश्मीर में अलकायदा और IS से जुड़े संगठन एक्टिव', रिपोर्ट में भारत के लिए 'खतरा' बताया गया

368 पन्नों की रिपोर्ट में टेरर फायनेंसिंग वॉचडॉग ने कहा कि भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिए जो सिस्टम अपनाए, वो प्रभावी हैं.

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रिपोर्ट में भारत को लेकर कई सुझाव भी दिए गए हैं. (फोटो- PTI)

दुनिया भर में आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने भारत को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. FATF ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत को कई तरह के आतंकवाद के ‘खतरों’ का सामना करना पड़ रहा है. ये खतरे विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास सक्रिय इस्लामिक स्टेट (IS) या अलकायदा जैसे आतंकवादी समूहों से जुड़े हैं.

ये टिप्पणी FATF ने 19 सितंबर को जारी की गई ‘Mutual evaluation report’ में की है. FATF ने बताया कि इन खतरों से लड़ने के लिए भारत की प्रणालियां "प्रभावी" रही हैं. लेकिन इसने इन मामलों में सजा देने वाले सिस्टम में "बड़े सुधारों" की बात कही. 368 पन्नों की रिपोर्ट में टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग ने कहा कि भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिए जो सिस्टम अपनाए, वो प्रभावी हैं.

FATF ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है,

“भारत को आतंकवाद के विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें छह अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है. इन्हें संक्षेप में जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास सक्रिय ISIL या अलकायदा से जुड़े चरमपंथी समूहों से जुड़ा बताया जाता है, चाहे वे सीधे तौर पर या प्रॉक्सी या सहयोगियों के माध्यम से सक्रिय हों. इसमें ISIL और अलकायदा की अन्य शाखाएं, उनके सहयोगी या कट्टरपंथी लोग; पूर्वोत्तर और भारत के उत्तर में क्षेत्रीय विद्रोह और वामपंथी चरमपंथी समूह भी शामिल हैं, जो सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं.”

रिपोर्ट में ये भी जोड़ा गया है कि देश में गैर-लाभकारी क्षेत्र को आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं से बचाने के लिए सुधार किए जाने की आवश्यकता है. वॉचडॉग ने लिखा है,

“भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के पैसे का मुख्य स्रोत देश के भीतर ही मौजूद है. ये देश में हो रही अवैध गतिविधियों से ही पैदा होता है.”

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को तीन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है. ये तीन कैटेगरी नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO), पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (PEPs) और डेजिग्नेटेड नॉन-फाइनेशियल बिजनेस एंड प्रोफेशन (DNFBPs) शामिल हैं.

अब FATF की बात हो रही है, तो ये भी जान लेते हैं कि ये वॉचडॉग है क्या?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, यानी FATF. ये एक इंटर गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन है. 1989 में इसकी स्थापना हुई थी. फ्रांस के पेरिस में इसका हेडक्वार्टर है. ये संस्था दुनिया भर में आतंकी संगठनों की फंडिंग यानी आर्थिक मदद करने वाले देशों पर नज़र रखती है. जो देश आतंकियों की मदद करते हैं, उनको 'ग्रे लिस्ट' और 'ब्लैक लिस्ट' में डालने का काम करती है. साल में तीन बार इसकी मीटिंग होती है.

वॉचडॉग की एक पॉलिसी मेकिंग बॉडी भी है. इसने दुनिया भर में टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ स्टैंडर्ड और नियम बना रखे हैं. शुरुआत में इसका काम मनी लॉन्ड्रिंग तक सीमित था. लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया. 2001 में इसमें टेरर फाइनेंसिंग जोड़ा गया. 2012 में मास डिस्ट्रक्शन के वेपन बनाने के लिए होने वाली फाइनेंसिंग पर नियम बनाने का अधिकार भी इसको मिला.

FATF में 40 सदस्य हैं. इसमें 38 देश और दो रीजनल ऑर्गेनाइजेशन शामिल हैं. भारत इसका सदस्य है, लेकिन भारत का कोई भी पड़ोसी देश इसका सदस्य नहीं है. कई ऑब्जर्वर भी होते हैं- इनमें इंडोनेशिया शामिल है. इसके अलावा ऐसे संगठन हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करते हैं. जैसे- वर्ल्ड बैंक. इनमें एसोसिएट मेंबर जिनमें 9 फाइनेंशियल टास्क फोर्स (एरिया स्पेसिफिक) हैं.

ब्लैक लिस्ट क्या होती है?

टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर कोऑपरेट ना करने वाले देशों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है. इन देशों को नॉन कोऑपरेटिव कंट्रीज ऑर टेरिटरीज (NCCTs) कहा जाता है. इसमें अगर कोई देश है तो इसका मतलब होता है कि वो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को सपोर्ट कर रहा है. ये लिस्ट अपडेट होती रहती है. किसी देश के ब्लैक लिस्ट में जाने पर उस देश को IMF, वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों से लोन नहीं मिल पाता है.

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