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इजरायल में फंसे हैं उत्तर प्रदेश के लोग, सायरन बजते ही बंकर में घुसकर जान बचा रहे

Indian in Israel: NSDC समझौते के तहत UP के कई लोग इजरायल में काम करने गए हैं. करीब 100 लोगों को अब भी ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के बाद वो भी इजरायल जा सकते हैं.

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लेबनान के बेरूत का दहियाह इलाका. (तस्वीर: AP)

इजरायल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच बढ़ते तनाव से भारतीय परिवार में भी प्रभावित हो रहे हैं. इजरायल में काम करने वाले भारतीय लगातार अपने घरवालों से संपर्क कर रहे हैं. और उन्हें अपनी सलामती का भरोसा दिला रहे हैं. ताजा हमलों के कारण उत्तर प्रदेश के कम से कम 25 भारतीय परिवारों की चिंता बढ़ गई है. ये उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फतेहपुर और नवाबगंज तहसील के रहने वाले हैं. ये परिवार इजरायल में रहने वाले अपने लोगों के पास बार-बार वीडियो कॉल कर रहे हैं.

Israel जाने वाले हैं और लोग

टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के भारतीय अपने परिवार वालों को लगातार आश्वस्त कर रहे हैं कि युद्ध वाले देश में सब ठीक हैं. परिवारों ने बताया कि वो लोग दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) समझौते के तहत इजरायल गए थे. इसके अलावा, इसी क्षेत्र के करीब 100 और लोग अलीगंज ITI में ट्रेनिंग ले रहे हैं. ट्रेनिंग के बाद वो भी इजरायल जाने वाले हैं.

सायरन बजते ही बंकर में छिपना पड़ता है

नवाबगंज तहसील के सालेहनगर नईबस्ती गांव की निवासी अनीता देवी ने अपने पति दिनेश सिंह को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि वो पिछले 6 महीनों से इजरायल में काम कर रहे हैं. ताजा हमलों के बाद दिनेश ने अनीता को फोन किया था. और अपने सुरक्षित होने का भरोसा दिलाया. लेकिन उन्होंने ये भी बताया कि भारी गोलीबारी के बाद उन्हें बंकर में छिपना पड़ा. अनिता को इस बात की चिंता है कि दिनेश को इस हालत में भी काम पर जाना पड़ सकता है, जिससे उनकी सुरक्षा पर संदेह बना रहेगा. 

बगिया गांव के राकेश सिंह के भाई भंवर सिंह भी NSDC के ही तहत इजरायल में हैं. वो तेल अवीव के पास काम कर रहे हैं. राकेश सिंह ने भंवर को फोन पर बताया कि कई बम गिरे हैं और कई हवा में ही रोक दिए गए हैं. जब भी सायरन बजता है, वो तुरंत बंकर की ओर चले जाते हैं.

बेरोजगारी के कारण Israel जाते हैं लोग

किराना की दुकान चलाने वाले राजू सिंह लगातार टीवी देखते हैं. और युद्ध की जानकारी गांव वालों को देते रहते हैं. राजू ने TOI को बताया कि बेरोजगारी के कारण लोग यहां से इजरायल जाते हैं. फतेहपुर के घेरी गांव के कई लोग भी इजरायल में रह रहे हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं मंगल सिंह, जो इजरायल में एक फैक्ट्री में काम करते हैं. उनके भाई महेंद्र सिंह उनसे नियमित वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में रहते हैं. मंगल के बड़े भाई महेंद्र सिंह ने बताया कि सायरन बजने से पहले उन्हें 3 मिनट की चेतावनी मिलती है, जिससे उन्हें बंकर में जाने का समय मिल जाता है. मंगल को हर महीने करीब 1.85 लाख रुपये का वेतन मिलता है.

महेंद्र के मुताबिक, उनके भाई को सरकारी योजना के तहत इस पद के लिए चुना गया था. इसके लिए लखनऊ में इंटरव्यू हुआ था. इजरायल की सरकार ने फ्लाइट टिकट को छोड़कर सभी खर्च दिया था. महेंद्र ने कहा कि इजरायल सरकार द्वारा दिए जाने वाले बेहतर वेतन विदेश में काम करने के इच्छुक लोगों को आकर्षित करते हैं.

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