भारत की नरेंद्र मोदी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 27% आयात शुल्क के खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई की योजना फिलहाल नहीं बना रही है. अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि दिल्ली और वॉशिंगटन डीसी के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है, और इसी कारण भारत संयम बरत रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ ऑर्डर में दिए गए उस प्रावधान का ‘अध्ययन’ कर रही है जिसमें कहा गया है कि जो देश व्यापार को बराबरी पर लाने के लिए सार्थक कदम उठाते हैं, उन्हें छूट दी जा सकती है.
ट्रंप के ट्रैरिफ का फिलहाल जवाब नहीं देगा भारत, रिपोर्ट में दावा- दिल्ली का फोकस बातचीत पर
नई दिल्ली यह मान रही है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत शुरू करने वाले शुरुआती देशों में से एक है. इससे भारत की स्थिति चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों की तुलना में बेहतर मानी जा रही है.

रॉयटर्स ने एक अन्य सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि नई दिल्ली यह मान रही है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत शुरू करने वाले शुरुआती देशों में से एक है. इससे भारत की स्थिति चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे अन्य एशियाई देशों की तुलना में बेहतर मानी जा रही है. ये सभी देश अमेरिकी टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद जब वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मची है. अमेरिका समेत दुनिया भर के बाज़ारों में भारी गिरावट जारी है. लेकिन भारत ने ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देशों की तरह जवाबी टैरिफ से इंकार कर दिया है. वहीं, यूरोपीय आयोग (European Commission) अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है, खासकर चीन द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई के बाद. चीन ने अमेरिका के फैसले के बाद उस पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया.
लेकिन भारत का रुख इस पूरे मसले में अबतक शांत रहा है. दिल्ली त्वरित जवाब देने के मूड में नजर नहीं आ रही है. बजाय इसके रणनीतिक चाल की तरफ ध्यान केंद्रित कर रही है.
भारत और अमेरिका ने फरवरी 2025 में यह सहमति जताई थी कि दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक एक प्रारंभिक व्यापार समझौते (early trade deal) को अंतिम रूप देंगे, ताकि दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर जारी गतिरोध को सुलझाया जा सके.
Reuters की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत अमेरिका से आने वाले 23 अरब डॉलर के आयात पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार है. मोदी सरकार ने ट्रंप के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे हाई-एंड बाइक्स और बॉर्बन व्हिस्की पर टैरिफ घटाना. इसके अलावा अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित करने वाले डिजिटल टैक्स को कम करना.
भारत जल्द से जल्द इस टैरिफ वॉर से बाहर आना चाहेगा. क्योंकि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ भारत की आर्थिक वृद्धि को मौजूदा वित्त वर्ष में धीमा कर सकते हैं. भारत के हीरा उद्योग पर खासतौर संकट के बादल हैं. वजह, हीरों का एक-तिहाई से ज्यादा निर्यात अमेरिका को जाता है. इसका असर हजारों नौकरियों पर पड़ सकता है, खासकर सूरत और मुंबई जैसे शहरों में.
वीडियो: दुनियादारी: ट्रंप के टैरिफ से भारत और बाकी देशों पर क्या असर होगा?