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GITN: चीन से क्यों और कैसे पिछड़ गया भारत? पूर्व विदेश सचिव की बात सोचने पर मजबूर कर देगी

1988 में चीन में कोई भी बिल्डिंग छह मंजिल से ऊंची नहीं थी. फिर इस देश ने ऐसी तरक्की की जिसकी मिसाल इतिहास में नहीं मिलती.

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विजय गोखले के मुताबिक चीन में शिक्षा पर बहुत जोर दिया जाता है. वहां फॉर्मल एजुकेशन के अलावा छात्रों के पेरेंट्स उन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज करने के लिए भी कहते हैं. (फोटो- PTI)

दी लल्लनटॉप का शो ‘गेस्ट इन दी न्यूज रूम’. जिसमें आप कवि, एक्ट्रेस, आर्कियोलॉजिस्ट जैसे कई लोगों की बातचीत सुन और देख चुके हैं. इस बार गेस्ट के तौर पर पधारे डिप्लोमैट और भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी विजय गोखले. उन्होंने अपने करियर के साथ-साथ चीन में बिताए कई बरसों के एक्सपीरियंस के बारे में काफी कुछ बताया. उन्होंने भारत और चीन के रिश्ते और बॉर्डर पर हुए संघर्षों के बारे में भी बात की.

विजय गोखले ने चीन में आए बदलावों पर चर्चा की. उन्होंने बताया,

“चीन में काफी बदलाव आए हैं. फरवरी 1988 में जब मैं चीन पहुंचा तो कोई भी बिल्डिंग छह मंजिल से ऊंची नहीं थी. बहुत कम बिल्डिंग्स में लिफ्ट थीं. आठ-आठ घंटे बिजली जाती थी. लोगों के पास गाड़ियां ज्यादा नहीं थीं. लोग साइकिल से ही चलते थे. उस समय छुट्टी पर जाना होता था तो हम दिल्ली आते थे. क्योंकि यहां हालात काफी बेहतर थे.”

गोखले ने आगे बताया कि चीन उस वक्त काफी पिछड़ा हुआ था. लेकिन पिछले 30 सालों में चीन में जो रिफॉर्म्स हुए उसकी वजह से आज चीन काफी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के मुताबिक इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई देश इतनी तेजी से आगे बढ़ा हो. विजय गोखले ने आगे बताया,

“मैं जब 1988 में वहां था उस वक्त चीन के सभी लोग दो-दो नौकरियां करते थे. उनकी मेहनत की सराहना भी की जानी चाहिए. हमारे घर पर जो वेटर्स और काम करने वाले थे, वो सभी चीन के टॉप यूनिवर्सिटीज से पढ़े हुए थे. उनको कोई शर्म नहीं होती थी कि हम किसी के घर जाकर सर्विस कर रहे हैं. उन लोगों का कहना था कि हमें प्रगति करनी है, तो हम ये भी कर लेंगे. चीन में लेबर की इज्जत काफी ज्यादा है. हमें यही अपने देश में डेवलप करना होगा.”

एंबेसडर ने आगे बताया कि चीन में हर काम को बराबर इज्जत दी जाती है. बस ड्राइवर को उतनी ही इज्जत दी जाती है जितनी पीएम को मिलती है. जब भी हम चीनी अधिकारियों को खाने पर बुलाते थे, तो वो कहते थे कि सबसे पहले हमारे ड्राइवर को खाना दीजिए. भारत में ऐसा कम होता है.

विजय गोखले ने आगे कहा कि चीन में शिक्षा पर बहुत जोर दिया जाता है. वहां फॉर्मल एजुकेशन के अलावा छात्रों के पेरेंट्स उन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज करने के लिए भी कहते हैं. गोखले ने बताया कि चीन के छात्रों को दूसरे देशों की संस्कृति में काफी रुचि होती है. वहां के लोग साइंस और टेक्नोलॉजी में काफी फोकस करते हैं. सरकार भी वहां इस क्षेत्र में काफी मदद करती है. इसी वजह से आज उनकी क्षमता विश्व के कई देशों से आगे निकल गई है.

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