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भारत ने ट्रूडो सरकार को बुरी तरह हड़काया, निज्जर की हत्या को लेकर लिया था उच्चायुक्त का नाम

कनाडा ने भारतीय राजनियकों पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो. (फाइल फोटो- Twittter/Justin Trudeau)

भारत ने निज्जर हत्याकांड मामले में कनाडा को बेहद सख्त लहज़े में जवाब दिया है. 13 अक्टूबर को कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ हैं. यानी उसने एक तरह से संकेत दिया कि इस हत्या में उनकी भूमिका संदिग्ध हो सकती है. भारत ने कनाडा के इन आरोपों को खारिज करते हुए जस्टिन ट्रूडो सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है. 14 अक्टूबर को मामले में विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया है,

"हमें कल कनाडा से एक राजनयिक संदेश मिला है जिसमें कहा गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक जांच से संबंधित मामले में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ हैं. भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है. जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है.

सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद से, कनाडा सरकार ने हमारे अनुरोधों के बावजूद एक भी सबूत पेश नहीं किया है. ताज़ा मामला भी कुछ वैसा ही कदम है, जिसमें फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए हैं. इससे इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की एक जानबूझकर की गई रणनीति है."

इसके बाद भारत की तरफ से दिए गए जवाब में जस्टिन ट्रूडो को सीधे तौर पर निशाना बनाया गया है. भारत ने 2020 में किसान आंदोलन के दौरान कनाडा की तरफ से की गई टिप्पणी का भी जिक्र किया है. साथ ही ट्रूडे के मंत्रिमंडल में भारत के प्रति अलगाववादी एजेंडे चलाने वाले मंत्रियों को शामिल करने का भी आरोप लगाया है. विदेश मंत्रालय ने कहा,

“प्रधानमंत्री ट्रूडो का भारत के प्रति द्वेषपूर्ण रवैया लंबे समय से देखने को मिल रहा है. 2018 में, वोट बैंक को लुभाने के उद्देश्य से भारत की उनकी यात्रा ने उन्हें असहज कर दिया. उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं. दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप ने दिखाया कि वे इस संबंध में किस हद तक जाने को तैयार हैं. उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के संबंध में खुले तौर पर अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं. इससे मामला और बिगड़ गया.” 

मंत्रालय ने आगे कहा,

"कनाडा में ट्रूडो सरकार विदेशी हस्तक्षेप को नजरअंदाज करने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही है. उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को अपने एजेंडे में शामिल किया है. भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह ताजा घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है. यह कोई संयोग नहीं है कि यह ऐसे समय हुआ है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है. यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार आगे बढ़ाती रही है."

पाकिस्तान और चीन के अलावा भारत सरकार ने हालिया समय में किसी भी देश पर इतना सख्त लहजा इस्तेमाल नहीं किया है. चीन के साथ सैन्य झड़प के बावजूद युद्ध की आशंका जताते हुए भी कूटनीतिक भाषा देखने को मिली है. लेकिन कनाडा सरकार की तरफ से भारतीय राजनयिकों पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद विदेश मंत्रालय ने ‘जैसे को तैसा’ नीति अपनाई है.

भारत सरकार ने आरोप लगाया है कि ट्रूडो सरकार चरमपंथियों और आतंकियों को पनाह दे रही है ताकि भारतीय राजनयिकों और नेताओं को परेशान कर सके और धमकियां दिलवा सके. विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा,

"ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह दी है. इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को मौत की धमकियां देना भी शामिल है. इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है. कनाडा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के लिए तेज़ी से ट्रैक किया गया है. कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध नेताओं के संबंध में भारत सरकार की ओर से कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है."

भारत सरकार ने कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा पर लगाए गए आरोपों को हास्यास्पद बताया है. कहा कि उन पर ऐसे आरोप अवमानना से कम नहीं हैं. जवाब में कहा गया,

“उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा भारत के सबसे वरिष्ठ राजनयिक हैं, जिन्हें 36 सालों का विस्तृत अनुभव है. वे जापान और सूडान में राजदूत रह चुके हैं, जबकि इटली, तुर्की, वियतनाम और चीन में भी सेवा दे चुके हैं. कनाडा सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद हैं और इसे अवमाननापूर्ण माना जाना चाहिए.”

अंत में चेतावनी के अंदाज में भारत ने कहा कि भारत में कनाडा का उच्चायोग ट्रूडो के एजेंडे पर काम कर रहा है और भारत की नजर उसकी गतिविधियों पर बनी हुई है.

“भारत सरकार ने भारत में कनाडाई उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है. कनाडाई उच्चायोग वर्तमान (कनाडा) सरकार के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने में जुटा है. इसके परिणामस्वरूप राजनयिक प्रतिनिधित्व के संबंध में पारस्परिकता के सिद्धांत को लागू किया गया. भारत अब भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोप लगाने के कनाडाई सरकार के इन नवीनतम प्रयासों के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है.”

पिछले एक साल से ज्यादा समय से कनाडा के साथ भारत के रिश्तों में खटास देखी गई है. जून 2023 में कनाडा के सर्रे शहर में ‘खालिस्तानी आतंकी’ हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कनाडा ने कहा कि निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता है. ऐसा आरोप लगा कनाडा ने भारत के एक टॉप डिप्लोमैट को कनाडा से निष्कासित किया था. कनाडा के इस आरोप को भारत सरकार ने सिरे से खारिज किया है. तब से शुरू हुई दोनों देशों के बीच खींचतान, अब गंभीर होती नज़र आ रही है.

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