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चीन से सीमाई विवाद सुलझाने में भारत को अहम कामयाबी, LAC पर होगी गश्त

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी है कि दोनों देश LAC से सेना हटाने को लेकर तैयार हो गए हैं.

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2020 में गलवान में हुई झड़प के बाद LAC पर तनाव की स्थिति बनी हुई थी. (इंडिया टुडे)

भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद अब सुलझता हुआ दिखाई दे रहा है. 21 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा से सेना हटाने को लेकर सहमति बन गई है. सैन्य वापसी को लेकर कदम उठाए जा रहे हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा,

"पिछले कई हफ्तों से, भारतीय और चीनी राजनयिक और सेना के अधिकारी अलग-अलग मंचों पर बातचीत कर रहे थे. पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं का नतीजा सार्थक रहा. भारत-चीन सीमा क्षेत्र में LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर एक समझौता हुआ है. और इससे सीमा पर डिसइंगेजमेंट किया जाएगा. यानी अतिरिक्त सेना की वापसी हो रही है. और आखिरकार 2020 में इन क्षेत्रों में पैदा हुए विवाद का समाधान निकाला जा रहा है."

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समझौता डेपसांग और डेमचोक इलाकों में गश्त से जुड़ा है. इससे पहले, दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में छह में से चार उन जगहों से पीछे हट गई थीं जहां टकराव की स्थिति बन गई थी. इसमें गलवान घाटी भी शामिल है, जहां जून 2020 में हिंसक झड़प हुई थी. भारत और चीनी सेना मई 2020 से ही गतिरोध की स्थिति में हैं.

पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ सीमा पर लगभग 75 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो गया है. उनका कहना था कि इसमें सेनाओं की वापसी भी शामिल है. पिछले महीने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार ब्रिक्स बैठक के दौरान NSA अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी. इसके बाद सरकार ने आधिकारिक भाषा में कहा कि था दोनों देश डिसइंगेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए "दोगुने" प्रयासों पर भी सहमत हुए हैं. 

15 जून, 2020 को गलवान में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें किसी तरह की गोलीबारी तो नहीं हुई लेकिन दोनों देशों के सैनिकों के बीच जमकर हाथापाई हुई. नतीजा ये हुआ कि भारत के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. चीन ने केवल चार सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की है, लेकिन अनुमान लगाया है कि झड़प में चीन को भी भारी क्षति हुई है. यह टकराव 1962 के युद्ध के बाद सबसे घातक था. और यहां से चीन-भारत संबंधों बेहद तनावपूर्ण मोड़ पर पहुंचते भी दिखे.

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