कनाडा पुलिस ने हिंदू मंदिर पर हमला करने के आरोप में 35 साल के इंद्रजीत गोसल को गिरफ़्तार किया है. बताया गया कि इंद्रजीत गोसल सिख फ़ॉर जस्टिस (SFJ) का मेंबर है. SFJ भारत में प्रतिबंधित है. अधिकारियों ने बताया कि उस पर हिंदू मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने और उसके बाद हथियार से हमला करने का आरोप है.
कनाडा मंदिर अटैक: पुलिस ने चौथे आरोपी को किया गिरफ्तार, हथियार से लोगों पर किया था हमला
Canada के Brampton शहर में हिंदू मंदिर पर हमला करने के आरोप में ये गिरफ्तारी हुई है. आरोपी का नाम Inderjeet Gosal है और ये सिख फ़ॉर जस्टिस (SFJ) का सक्रिय मेंबर है
ब्रैम्पटन पुलिस प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों पर कार्रवाई कर रही है. न्यूज़ एजेंसी PTI की ख़बर के मुताबिक़, पुलिस ने इसे लेकर 9 नवंबर को एक बयान जारी किया. बयान के मुताबिक़,
8 नवंबर, 2024 को इंद्रजीत गोसल को गिरफ़्तार किया गया. उस पर प्रदर्शन के दौरान हथियार से हमला करने का आरोप है. उसे कुछ शर्तों के साथ फिलहाल रिहा किया गया है. बाद में उसे ब्रैम्पटन में ओंटारियों कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में पेश किया जाएगा.
बता दें, 3 नवंबर को ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ था. इससे जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें देखा गया कि कुछ लोग पीले झंडे पकड़े हुए हैं. हाथापाई और मंदिर के आस-पास के मैदान में लोगों पर डंडों से हमला कर रहे हैं. बताया गया कि ये लोग खालिस्तान समर्थक थे.
लोकल पुलिस का कहना है कि पहले बहसबाज़ी हुई, फिर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ा और मामला मारपीट तक पहुंच गया. पुलिस ने बताया कि 21 डिवीजन क्रिमिनल इनविस्टिगेशन ब्यूरो और एक SIT मामले की जांच कर रही है. इन्हीं जांच टीमों ने इंद्रजीत गोसल को गिरफ़्तार किया है.
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कैनेडियन अख़बार टोरंटो स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक़, गोसल कनाडा में सिख फॉर जस्टिस का को-ऑर्डिनेटर है. अमेरिका स्थित इस SFJ पर भारत में बैन लगा हुआ है. गोसल मारे गए खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर का सहयोगी बताया जाता है. इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक़, हाल ही में एक ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ कराया गया था, जिसमें भारत के पंजाब में ‘आजाद सिख देश’ की मांग की गई थी. गोसल को इसका आयोजक बताया गया.
बताते चलें कि ‘खालिस्तान समर्थक भीड़’ के ब्रैम्पटन मंदिर पर हमले के बाद लापरवाही के आरोप में एक पुलिस अधिकारी को सस्पेंड भी किया गया था. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस घटना की निंदा की थी. उन्होंने कहा था कि हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्रतापूर्वक और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है. वहीं, भारत ने हमले की निंदा की और उम्मीद जताई कि हिंसा में लिप्त लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा.
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