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'बोलने की आजादी सभ्य समाज का अहम हिस्सा', SC ने कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ FIR रद्द की

इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से एक कविता शेयर की थी जिसके बैकग्राउंड में बज रहा था, “ऐ खून के प्यासे बात सुनो.” इसके बाद गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी. (तस्वीर:विकिपीडिया.)

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी है. सोशल मीडिया पर एक कविता अपलोड करने के कारण उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. कोर्ट ने कहा कि कविता, कला और व्यंग्य जीवन को समृद्ध करते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सभ्य समाज के लिए महत्वपूर्ण बताया.

‘पुलिस को संविधान का पालन करना चाहिए’

इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से एक कविता शेयर की थी जिसके बैकग्राउंड में बज रहा था, “ऐ खून के प्यासे बात सुनो.” इसके बाद गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी. मामला कोर्ट पहुंचा. जहां जस्टिस एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां ने मामले की सुनवाई की.

लाइव लॉ के मुताबिक, बेंच ने FIR रद्द कर दी. कोर्ट ने पुलिस के काम और उसकी ज़िम्मेदारी के बारे में कहा,

“पुलिसवालों को संविधान का पालन करना चाहिए और उसके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए. संविधान के आदर्शों की बातें उसकी प्रस्तावना में ही दी गई हैं. इसमें लिखा है कि भारत के लोगों ने गंभीरता से फैसला लिया कि देश को एक संप्रभु (आज़ाद), समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया जाए और इसके सभी नागरिकों को विचार करने की स्वतंत्रता दी जाए.”

बेंच ने आगे कहा,

“इसीलिए सोचने और अपनी बात कहने की आज़ादी हमारे संविधान का एक अहम आदर्श है. पुलिसवाले भी भारत के नागरिक हैं, इसलिए उन्हें संविधान का पालन करना होगा और इस अधिकार को बनाए रखना होगा.”

‘अभिव्यक्ति को खुलकर प्रकट करना समाज का अहम हिस्सा’

बेंच ने कहा, “अपने विचारों और अभिव्यक्ति को खुलकर प्रकट करना एक स्वस्थ और सभ्य समाज का अहम हिस्सा है. इसके बिना संविधान के आर्टिकल 21 के तहत दी गई गरिमापूर्ण जीवन जीने की आजादी की कल्पना करना मुमकिन नहीं है. साहित्य, जिसमें कविता, नाटक, कला, व्यंग्य शामिल हैं, हमारी जीवन को समृद्ध बनाते हैं.”

कोर्ट ने आगे कहा,“हमारे गणतंत्र को 75 साल हो गए हैं. हमें अपने बुनियादी सिद्धांतों पर इतना कमजोर नहीं दिखना चाहिए कि महज एक कविता पढ़ने या किसी भी तरह की कला या मनोरंजन, जैसे स्टैंड-अप कॉमेडी, को लेकर यह तोहमत लगे कि इससे अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत या दुश्मनी बढ़ेगी.”

राज्यसभा सांसद के खिलाफ क्यों दर्ज हुई FIR?

कांग्रेस सांसद प्रतापगढ़ी के खिलाफ 29 दिसंबर, 2024 को गुजरात के जामनगर में FIR दर्ज किया गया था. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कविता शेयर की थी जिसे BJP सरकार पर कटाक्ष माना गया था.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतापगढ़ी पर आरोप लगे कि वीडियो में इस्तेमाल किए गए गाने के बोल उत्तेजक, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं. इस पर इमरान प्रतापगढ़ी ने दावा किया कि उनके खिलाफ गुजरात पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से FIR दर्ज की थी.

उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में FIR रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां सुनवाई के बाद 3 मार्च को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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