कोई लड़की शादी करे. और उसे बाद में पता चला कि उसका पार्टनर सेक्स नहीं कर सकता. क्योंकि वो तो 'इम्पोटेंट' ('नपुंसक') है. मन में एकदम सीधा सवाल ये ही आता है कि शादी ही क्यों की? लेकिन ये सवाल उस वक़्त सही नहीं जब उसने पहले ही अपने सेक्शुअल स्टेटस के बारे में बता दिया हो. और अगर न बताया हो तब वो लड़की क्या करेगी, जिसके साथ ऐसा धोखा किया गया हो?
इस सिचुएशन में क्या होता होगा. नहीं पता, लेकिन नोएडा में एक लड़की के साथ ये धोखा हुआ. शादी तो कर ली, लेकिन हनीमून पर पता चला उसका पति इम्पोटेंट है. 25 साल की महिला ने नोएडा के महिला थाने में इस धोखे को लेकर केस दर्ज कराया है.
महिला नोएडा की रहने वाली है. नवंबर 2015 में उसकी शादी नोएडा में रहने वाले एक शख्स से हुई. दोनों शादी के एक महीने बाद हनीमून के लिए गोवा गए थे. महिला का कहना है कि उसका पति सेक्स करने से कतराता था. हनीमून पर पता चला कि उसका पति 'इम्पोटेंट' है. महिला का कहना है, 'शादी के कुछ दिन बाद मैं अपने ऑफिस में बिजी रहने लगी और पति को डॉक्टर से मिलने की सलाह दी. लेकिन उन्होंने हमेशा इस बात को नजरअंदाज किया.' महिला का कहना है कि पहले उसके पति दिन में ऑफिस जाया करते थे. बाद में नाइट शिफ्ट में काम करना शुरू कर दिया. और देर रात में आते थे. तब बिना बातचीत किए ही सो जाते थे. जब पति की इस हरकत से महिला परेशान रहने लगी तो उसने ये बात अपने मां-बाप को बता दी. दोनों परिवारों के बीच बातचीत हुई और फिर महिला को दिलासा मिला कि उसका पति अच्छे डॉक्टर से मिलेगा. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ और महिला अपने माता-पिता के यहां जाकर रहने लगी.
अब महिला ने उसके खिलाफ केस दर्ज करा दिया है. महिला उससे तलाक चाहती है और शादी का पूरा खर्च मांग रही है. पुलिस का कहना है कि पहले इस जोड़े को मामले पर बातचीत के लिए बुलाया जाएगा. दोनों की काउंसलिंग करेंगे.
अगर लड़का इम्पोटेंट है तो ये महिला के साथ धोखा है, जिसकी सजा उसे मिलनी चाहिए. लेकिन ऐसे केस में कई बार बात कुछ और होती है. शादी के बाद हमारे समाज में बच्चे पैदा करने दबाव पति पत्नी पर डाल दिया जाता है. अगर शादी के कई साल बीत जाएं तो सबसे पहले लड़की को शक की निगाह से देखा जाने लगता है कि ये 'बांझ' है इसको बच्चे नहीं होंगे. लेकिन कई बार देखने को मिलता है कि जब बच्चे नहीं होते हैं तो मर्द को भी 'नामर्द' कहा जाने लगता है, क्योंकि उसने बच्चे पैदा नहीं किए. शादी के बाद मर्दानगी बच्चों से मापी जाने लगती है. और बच्चे न होने की सिचुएशन में लड़की के घर वाले लड़के को दोषी ठहराते हैं और लड़के के घर वाले लड़की को.
जबकि बच्चे पैदा न होना मर्दानगी या औरतज़ात से जुड़ा मसला नहीं है. वो मेडिकल इशू होता है.
कई बार मसला ये भी होता है कि पुरुष को खास अपनी पत्नी में रुचि नहीं होती. या फिर उसे महिलाओं में रुचि होती ही नहीं. मगर उसे भी 'नामर्द' कहकर बदनाम कर दिया जाता है.
अगर 'इंपोटेंट' या 'नामर्द' शब्द पर ध्यान दें, तो इसका अर्थ बड़ा ही नकारात्मक होता है. जैसे इंसान में किसी तरह की कमी हो. जैसे बच्चे पैदा करना अनिवार्य हो. जैसे शुक्राणु की कमी कोई अपराध हो. इसलिए जब कोई पुरुष अपना काम नहीं कर पाता है, नामर्द जैसे शब्द को उसके खिलाफ गाली के तौर पर यूज करते हैं. ये दुखद है कि एक ऐसी वजह से पुरुष के खिलाफ FIR हुई जिसपर उसका कोई बस नहीं है. मगर औरत भी क्या करती. इस झूठ के साथ कैसे रहती? क्या पूरा जीवन यूं ही बिता देती. अगर हम सेक्स और सेक्शुअल स्टेटस को लेकर एक खुला समाज बना पाते, तो सिर्फ ये दो लोग ही नहीं, जाने कितने लोग तलाक जैसे ट्रॉमा से बच गए होते.