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कितनी खास हैं सबसे पावरफुल टेलिस्कोप JWST से ली गई ये तस्वीरें?

दुनिया की सबसे महंगी दूरबीन अंतरिक्ष में चक्कर काट रही है. इस दूरबीन का नाम है - James Webb Space Telescope. शॉर्ट में कहें तो JWST.

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JWST से ली गई तस्वीरें

तीन दिग्गज स्पेस एजेंसियां. अमेरिका की NASA. कैनेडा की CSA. और यूरोप की ESA. इन तीनों ने मिलकर दुनिया का सबसे पावरफुल टेलिस्कोप बनाया. जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप.

25 दिसंबर 2021. इस टेलिस्कोप को एक रॉकेट की खोपड़ी में बिठाकर अंतरिक्ष भेजा गया. ये टेलिस्कोप काफी बड़ा था. इसलिए इसे फोल्ड और पैक करके स्पेस में भेजा गया था. अपने निर्धारित ठिकाने पर पहुंचने के बाद, JWST ने खुद को अनपैक किया. और खुद को ब्रह्मांड की तस्वीरें खींचने के लिए तैयार किया. ये वैसा ही था, जैसे मंच से भाषण शुरु होने से पहले बोला जाता है - ‘माइक टेस्टिंग 1,2,3…’

इन सभी ज़रूरी औपचारिकताओं के बाद जेम्स वेव ने वो काम शुरू किया, जिसके लिए इसे भेजा गया था. यूनिवर्स के दूर-दराज़ इलाकों की फोटो खींचना. ये अब तक का सबसे पावरफुल टेलिस्कोप है. इसलिए इसकी खींची तस्वीरों का सभी को बेसब्री से इंतज़ार था. और ये इंतज़ार खत्म हुआ, जब 12 जुलाई 2020 की शाम वेब टेलिस्कोप की पहली तस्वीरें दुनिया के सामने आईं.  

साइंसकारी में समझेंगे कि ये वॉलपेपरनुमा तस्वीरें क्यों बवाल काटे फिर रही हैं? जेम्स वेव स्पेस टेलिस्कोप ही ये तस्वीरें क्यों ले पाया? और JWST में ऐसा क्या है, जो अतीत के आसमान से तस्वीरें खींच लाता है.

सबसे पहले, पांच ठो मुख्य तस्वीरों को संक्षेप में समझ लेते हैं. लेकिन इससे पहले अंतरिक्ष में दूरी मापने के बारे में एक बुनियादी बात जान लीजिए.

Light Year - प्रकाश वर्ष

पृथ्वी पर कोई भी दूरी मापने के लिए हम इंच, फीट, सेंटिमीटर, मीटर, किलोमीटर इत्यादि यूनिट्स का सहारा लेते हैं. लेकिन बहुतई लंबी दूरी नापने के लिए ये सब यूनिट बौने पड़ जाते हैं. इसलिए अंतरिक्ष में लंबी दूरी दर्शाने के लिए ‘लाइट ईयर’ का इस्तेमाल किया जाता है.

लाइट ईयर यानी प्रकाश वर्ष. प्रकाश एक साल में जितनी दूरी तय करता है, उतनी दूरी एक लाइट ईयर कहलाती है. ब्रह्मांड में Light (प्रकाश) की गति सबसे ज़्यादा है. लाइट एक सेकंड में तीन लाख किलोमीटर की दूरी तय करती है. सोचिए, ये प्रकाश एक साल में कितनी दूरी करेगा? जवाब है - 9,500,000,000,000 किलोमीटर. बार-बार इतना बड़ा नंबर बताना मुश्किल होता है, इसलिए इतनी दूरी को एक प्रकाश वर्ष (One Light Year) के बराबर माना जाता है.

अब उन पांच तस्वीरों की बात करते हैं. ये जानते हैं कि वो कितने लाइट ईयर दूर हैं? और उनमें क्या दिखाई दे रहा है? इन जगहों के नाम आपको अजीब से लग सकते हैं, इसलिए इन नामों को दिल पर न लेने की अपील है.


१. पहली फोटो - Galaxy Cluster SCMAS 0723 - हज़ारों गैलेक्सियों का समूह.

ये SCMAS 0723 एक गैलेक्सी क्लस्टर का नाम है. गैलेक्सी क्लस्टर यानी गैलेक्सियों का समूह.

पर्सपेक्टिव के लिए आप ये समझिए कि आप पृथ्वी नामक एक ग्रह पर रहते हैं. ऐसे आठ ग्रह सू्र्य नामक तारे के चक्कर काटते हैं. सूर्य जैसे खरबों तारे एक समूह का हिस्सा हैं. खरबों तारों के इस समूह को Milkyway Galaxy कहते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक ब्रह्मांड में ऐसी 100 खरब से ज़्यादा गैलेक्सीज़ हैं. ये गैलेक्सियां कई जगहों पर झुंड में पाई जाती हैं. गैलेक्सियों के इन समूहों को ‘गैलेक्सी क्लस्टर’ कहा जाता है. ऐसे ही अनेक गैलेक्सी क्लस्टर्स में से एक क्लस्टर है, जिसका नाम है - SMACS 0723.

जेम्स वेब की पहली तस्वीर यही गैलेक्सी क्लस्टर दिखा रही है. ये गैलेक्सी क्लस्टर पृथ्वी से 4.6 खरब प्रकाश वर्ष (Billion Light Year) दूर है. थोड़ी देर के लिए ठहरकर सोचिए ये कितनी दूरी है. और देखिए अपनी स्क्रीन पर ये तस्वीर. और फिर सोचिए कि कोई कैसे ये तस्वीर ले सकता है.

इस तस्वीर को Webbs First Deep Field कहा जा रहा है. इसमें हज़ारों गैलेक्सियां नज़र आ रही हैं. ये ब्रह्मांड की अब तक की सबसे ज़्यादा दूरी पर ली गई शार्पेस्ट इमेज है.

साल 2004 में इस तरह की एक इमेज नासा के हबल स्पेस टेलिस्कोप ने भी खींची थी. उसे हबल अल्ट्रा डीप फील्ड कहा जाता है. देखिए हबल डीप फील्ड और जेम्स वेब से तुलना कीजिए -

हबल की इस फोटो में ब्रह्मांड के जन्म के तुरंत बाद की गैलेक्सियों की फोटो नज़र आती हैं. लेकिन अल्ट्रा डीप फील्ड नाम होने के बावजूद हबल की फोटो बहुत डीप नहीं थी. वो इस हिसाब से यूनिवर्स की गहराई में मौजूद इलाकों की लाइट ये कैप्चर नहीं कर पाया था. इसके मुकाबले जेम्स वेब अत्याधिक डीप इमेज हमारे सामने पेश कर रहा है. और ये तो जेम्स वेब की शुरुआत है. आने वाले सालों में ये यूनिवर्स की गहराई से बहुत पुरानी तस्वीरों खोदकर लाएगा. गर्दा उड़ा देगा.

एक और पर्सपेक्टिव लेना हो, तो जेम्स वेब द्वारा खींची इस तस्वीर को दोबारा देखिए.

सोचिए ये हज़ारों गैलेक्सी रात में आपके आसमान में कितनी जगह घेरती हैं? ऐसा कीजिए कि एक धूल का कण उठाइए अगर उठा सकें तो. उस धूल के कण को आसमान की तरफ एक हाथ दूरी पर रखिए. ये धूल का कण इस वक्त आसमान में जितनी जगह घेर रहा है, लगभग उतनी जगह की ये फोटो है, जिसमें हज़ारों गैलेक्सियां जगमगा रही हैं.

हे अहंकार के जलते-बुझते पुंज! अब सोचो, इस ब्रह्मांड में तुम्हारी क्या औकात है? तुम, जो एक टुच्ची सी गैलेक्सी के किनारे बसे, छुट्टु से तारे के चक्कर काटने वाले, चुन्नू से ग्रह के नन्ने-मु्न्ने जीव हो. तुम क्या हो?

दिल छोटा न करो. दूसरी फोटो देखते हैं.

२. दूसरी फोटो - Stephan’s Quintet - पांच गैलेक्सियों का नृत्य

इस फोटो में पांच गैलेक्सियों के अद्भुत नज़ारे को पास से दिखाया है. कुछ लोगों को चार ही नज़र आ रही होंगी. लेकिन ज़रा ध्यान से देखिए, एकदम सेंटर में दो गैलेक्सियां एक-दूसरे में घुसी जा रही हैं. दरअसल, ये गैलेक्सीज़ बहुत तेज़ रफ्तार से एक-दूसरे से टकरा रही हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये पांच गैलेक्सी आपस में टकरा जाएंगी.

ये जेम्स वेब टेलिस्कोप से खींची गई अब तक की सबसे बड़ी इमेज है. बड़ी इमेज मतलब सबसे हैवी क्लालिटी वाली फोटो यही है. इसके पिक्सल सबसे ज़्यादा हैं. इसको अच्छे से ज़ूम करके कायदे से देखा जा सकता है.

पांच गैलेक्सियों का ये ग्रुप पृथ्वी से 4 करोड़ से 34 करोड़ लाइट ईयर के बीच मौजूद है. इसके बारे में हमें 19वीं सदी से ही पता है. लेकिन इसकी इतनी डीटेल्ड फोटो पहले कभी नहीं देखी गई.

अब अपन को तो इस फोटो में रंगीन नज़ारा नज़र आ रहा है. लेकिन खगोलविदों की परिष्कृत आंखों को इसमें डीटेल्स दिखाई देती हैं. जैसे कि कहां इनमें तारों का जन्म हो रहा है? कहां ब्लैक होल से आउटफ्लो हो रहा है? ये सब दिखाई दे रहा है इसमें. और ये सभी बिंदू स्टडी के पात्र हैं.  

हम आगे की और इमेज देखें, उससे पहले एस्ट्रोनॉमी की एक और नामी चीज़ में बारे में जान लीजिए, जिसे Nebula (नेब्यूला) कहते हैं.

Nebula(नेब्यूला)

नेब्यूला मतलब होता है बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद धूल और गैस के बादल. इनकी तुलना पृथ्वी के वायुमंडल में दिखाई देने वाले बादलों से कतई न कीजिए. नेब्यूला बहुत विशाल और अदभुत किस्म के बादल होते हैं. ये अक्सर तब दिखाई देते हैं, जब किसी तारे का जन्म और मृत्यु होती है. इन नेब्यूला के बीच तारों के जन्म और मृत्यु से जुड़े रहस्य छुपे हुए हैं. ऐसे ही एक नेब्यूला के सुंदर नज़ारे को जेम्स वेब ने कैप्चर किया है.

हबल स्पेस टेलिस्कोप से टेलिस्कोप्स से इस नेब्यूला के पार देख पाना बहुत मुश्किल काम हुआ करता था. हबल को ‘विज़िबल रेंज’ की लाइट कैप्चर करने के लिए बनाया गया है. ये रोशनी इन बादलों को बमुश्किल पार कर पाती है, इसलिए इस तरह के टेलिस्कोप से नेब्यूला के भीतर झांकना जटिल काम है.

लेकिन जेम्स वेब टेलिस्कोप ने खेल ही बदल दिया. जेम्स वेब ‘इन्फ्रारेड रेंज’ वाली रोशनी की तरंगों को कैप्चर करता है. ये वही तरंगें हैं जिनकी मदद से एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पर सिक्योरिटी चैक होता है. ये आपके कपड़ों और बैग के भीतर से होती हुई आती है, और सिक्योरिटी वालों को पता चलता है कि आपने चाकू, बम, तमंचा या नेलकटर इत्यादि नहीं रखा है.

हमारी आंखें विज़िबल रेंज की तरंगों को देखती हैं. ये प्रकाश के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्र्म का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है. रोशनी के दूसरे हिस्से भी होते हैं, जिन्हें हमारी आंखें नहीं देख सकतीं. जैसे रेडियो वेव्स, अल्ट्रवायलेट और इन्फ्रारेड रेडिएशन. इन्हें हम आधुनिक उपकरणों के सहारे देख सकते हैं. ऐसे ही कुछ उपकरण जेम्स वेब टेलिस्कोप के भीतर लगे हुए हैं. जिनसे वो बहुत सारी बाधाओं और नेब्यूला के पार देख सकते हैं. देखते हैं जेम्स वेब एक नेब्यूला के पार क्या देख लाया है.

३. तीसरी फोटो - Cosmic Cliffs of Carina Nebula - तारों का पालना

पृथ्वी से 8,500 लाइट ईयर की दूरी पर मौजूद है करीना नेब्यूला. ये अपनी मिल्की वे गैलेक्सी का एक हिस्सा है. वेब टेलिस्कोप ने इस करीना नेब्यूला के एक इलाके की फोटो ली है. इस तरह के इलाके को Stellar Nursery भी कहा जाता है. Stellar यानी Stars(तारों) से संबंधित कोई चीज़. और नर्सरी यानी एक ऐसी जगह जहां बच्चे बड़े होते हैं. स्टेलर नर्सरी यानी एक ऐसा जगह जहां तारे जन्म लेते हैं और बड़े होते हैं.

करीना नेब्यूला की इस फोटो में कई ऐसे तारे हैं, जिन्हें इससे पहले कभी नहीं देखा गया. ये वेब टेलिस्कोप के इन्फ्रारेड विज़न के कारण संभव हो पाया है. इसे देखकर हमें समझ आएगा कि तारों का जन्म कैसे होता है? किस तरह के माल से तारे बनते हैं और उनके आसपास क्या होता है?

ये तस्वीरें एस्ट्रोनॉमर्स के लिए किसी खज़ाने से कम नहीं हैं. इनमें उन्हें बबल्स, कैविटी और जेट्स नज़र आ रहे हैं. और उन्हें कुछ ऐसी चीज़ें भी दिखाई दे रही हैं, जो उन्हें भी नहीं पता कि वो क्या हैं. ऐसा स्पेक्टेक्युलर नज़ारा आज से पहले कभी नहीं देखा गया.

4. चौथी तस्वीर - Southern Ring Nebula - गर्दा उड़ा दिया

वेब टेलिस्कोप की चौथी तस्वीर भी एक नेब्यूला से जुड़ी है. लेकिन जन्म के विपरीत ये तारे की मौत का दृश्य है. हमारी पृथ्वी से करीब 2,000 लाइट ईयर दूर मौजूद है - Eight Burst Nebula. इसे ही Southern Ring Nebula भी कहा जाता है. ये नेब्यूला एक तारे की मौत के बाद जन्मा विलाप है.

आपको जो तारे दिखाई दे रहे हैं, ये अपने भीतर मौजूद फ्यूल की बदौलत ज़िंदा हैं. हमारे सूर्य में इस फ्यूल का नाम है हाइड्रोजन. जब खरबों साल जलने के बाद तारों के भीतर का फ्यूल खत्म हो जाता है, तब उसकी मौत होने लगती है. कुछ तारों की मौत में एक स्टेज आती है, जब उससे नेब्यूला इजेक्ट होता है. ये एक धूल और गैस के रंगीन धमाके जैसा दिखाई देता है.

सदर्न रिंग नेब्यूला के भीतर मौजूद तारे की मौत हो रही है और उसके चलते ये बेहतरीन नेब्यूला बना है.

ये दोनों ही तस्वीरें सदर्न रिंग नेब्यूला की हैं. एक ही नेब्यूला की फोटो, दो अलग-अलग टाइप के उपकरणों से ली गई है. इंट्रेस्टिंग बात ये है कि दूसरी तस्वीर में इसी नेब्यूला के भीतर दो तारे दिखाई दे रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इस दूसरे तारे की मौजूदगी का अंदाज़ा पहले ही लगा लिया था. लेकिन टेलिस्कोप की बदौलत इसे पहली बार हम देख पा रहे हैं.

जिस तरह ये तारे गैस और धूल का धमाका करते हुए मरते हैं, इन्हें देखकर कहा जा सकता है - अरे गर्दा उड़ा दिया. हर तारे की मौत ऐसे नहीं होती. ये मरने का स्टाइल तारे के साइज़ पर डिपेंड करता है. हमारा सूर्य भी इसी तरह से गर्दा उड़ाते हुए मरेगा. आज से खरबों साल बाद.

सूर्य की मौत से बहुत पहले ही अपनी पृथ्वी रहने लायक नहीं बचेगी. इसलिए हमें दूसरे किसी ग्रह पर जीवन की आस है. इस आस के चलते दूसरे ग्रहों पर पानी की तलाश है. H2O. जीवन का आधार. जल है, तो जीवन है. इसलिए जेम्स वेब की पांचवीं तस्वीर दिखने में बाकी चारों जितनी सुंदर नहीं है, लेकिन ये हमारे लिए सबसे ज़रूरी तस्वीर है. ये एक बाहरी ग्रह पर जारी पानी की तलाश का एक डेटा है.

5. पांचवीं तस्वीर - Data from Exoplanet WASP-96b - अंतरिक्ष में जीवन की तलाश

मंगल को छोड़कर हमारे सौरमंडल के बाकी सात ग्रह जीवन के सवाल पर सन्नाटे भरा जवाब देते हैं. मंगल भी बहुत प्रॉमिसिंग नज़र नहीं आता. लेकिन ब्रह्मांड में सिर्फ आठ ग्रह ही नहीं है जीवन बसाने को. ये दुनिया अनंत है.

एस्ट्रोनॉमी के विकासक्रम में वैज्ञानिकों को ये मालूम हुआ अपने सौरमंडल से बाहर भी कई ग्रह हैं. इन ग्रहों को Exoplanets कहा जाता है. और मुमकिन है कि इन अनगिनत Exoplanets में से कोई एक ग्रह ऐसा होगा, जहां जीवन संभव हो? जहां पानी मौजूद हो? लेकिन हम अपनी चुन्नू सी आंखों से सौरमंडल के बाहर पानी कैसे देखें? चिंता क्यों करती हो चाची, जेम्स वेब टेलिस्कोप है न.

अपनी पृथ्वी से 1120 लाईट ईयर दूर मौजूद है एक ग्रह, जिसका नाम कतई झंडू है - WASP-96b. ये ग्रह एक तारे की परिक्रमा कर रहा है. और इसकी परिक्रमा का मार्ग इतना नज़दीक है जितना हमारे सौरमंडल में मर्क्युरी (बुध) ग्रह का है. इसलिए ये भयंकर गर्माए हुए रहते हैं. हमारी पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर काटने में करीब 365 दिन लगते हैं. लेकिन ये ग्रह तीन दिन में अपने तारे की परिक्रमा लगाकर फुरसत हो जाता है.

Visualization of WASP-96b

इसका मतलब यहां पानी तरल नहीं हो सकता. और जीवन की संभावना निल बटे सन्नाटा है. फिर बी ये हमारे करीब मौजूद Exoplanets में से एक है. इसलिए इसने वेब टेलिस्कोप की शुरुआती तस्वीरों में जगह पाई. ये इन शुरुआती तस्वीरों में सबसे पास वाली जगह है, जिसे वेब टेलिस्कोप से देखा गया.

लेकिन बाकियों की तरह टेलिस्कोप से इसकी फोटो नहीं खींची गई. क्योंकि हमें फोटो में तो पानी नज़र आने से रहा. इसलिए इस ग्रह का स्पेक्ट्रल डेटा निकाला गया. खासकर पानी(H2O) का स्पेक्ट्रल डेटा.

ये स्पेक्ट्रल डेटा क्या बला है? तो ऐसा है कि किसी जगह से आ रही रोशनी में बहुत सारी जानकारी छुपी होती है. ब्रह्मांड में मौजूद हर रसायन अलग तरह की तरंगें छोड़ती है. उदाहरण के लिए टीशर्ट का कपड़ा अलग तरंग रिफ्लेक्ट करता है, शरीर की त्वचा अलग तरंगें छोड़ती है. इन तरंगों को स्टडी करके ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कौनसी चीज़ किस तरह की तरंगें छोड़ती है. इस पढ़ाई को ‘स्पेक्ट्रोग्राफी’ कहा जाता है. और इसके संदर्भ में किसी चीज़ से जो जानकारी मिलती है उसे ‘स्पेक्ट्रल डेटा’ कहा जाता है.

तो मामला ऐसा है कि पानी का एक यूनीक स्पेक्ट्रम होता है. इस स्पेक्ट्रम को स्टडी करके अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि किस जगह पर कितना पानी है. और जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप में एक इस तरह का उपकरण लगाया है, जो यही काम करता है.

जेम्स वेब से Exoplanet WASP-96b का स्पेक्ट्रल एनालिसिस करने पर एक ग्राफ सामने आया.

ये ग्राफ दर्शाता है कि इस ग्रह के वातावरण में कितना पानी मौजूद है. सीधी बात की जाए, तो ये पानी इस लायक नहीं है कि यहां अपन लोग ठिकाना बसाएं. लेकिन ये इस टेलिस्कोप का पहला ऐसा ऑब्ज़र्वेशन है. अभी तो सैकड़ों शॉर्टलिस्टेड Exoplanets अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं.

तो दुनिया की सबसे पावरफुल दूरबीन जेम्स बेव स्पेस टेलिस्कोप की ये पांच महत्वपूर्ण तस्वीरें हमने आपको बताईं. उम्मीद है आपको इनका महत्व समझ में आया होगा. अब जाते-जाते एक ज़रूरी बात पर आपका ध्यान खींचना चाहूंगा.

Telescopes Are Time Machines - जो देख रहे हो, वो बीत चुका है.

टेलिस्कोप जो कुछ भी देख रहे हैं, वो लाइट (प्रकाश) के कारण देख पा रहे हैं. लेकिन इस बात पर गौर कीजिए कि वो प्रकाश कितना पुराना है.

उदाहरण- जब हम ये कह रहे हैं कि फलाना तारा या ढिकानी गैलेक्सी 8 करोड़ लाइट ईयर दूर मौजूद है. इसका मतलब जो लाइट हमारे टेलिस्कोप कैप्चर कर रहे हैं, वो 8 करोड़ साल का सफर करने के बाद हमारे टेलिस्कोप तक पहुंची है. मतलब जो घटना या दृथ्य हमें आज दिखाई दे रहा है, वो आठ करोड़ साल पहले हुआ था. फिर उसकी लाइट वहां से निकली, आठ करोड़ साल ट्रैवल करके पृथ्वी तक पहुंची और हमारे टेलिस्कोप ने उसे कैप्चर किया.

मतलब जो दृश्य हमारे टेलिस्कोप ने हमें दिखाया वो आठ करोड़ साल पुराना है. अभी वहां क्या हो रहा है, ये हमें नहीं पता.

इसी से जुड़ा एक थॉट एक्सपेरिमेंट भी है, जो मुझे यूपी यात्रा के दौरान बुलंदशहर के एक सरकारी स्कूल की एक दीवार पर दिखा था.

Imagine - फर्ज़ कीजिए

इमेजिन कि हमारे पास एक बहुतई पावरफुल टेलिस्कोप है. एक ऐसा टेलिस्कोप जो करोड़ों लाइट ईयर दूर मौजूद चीज़ों को बहुत ही फाइन रिज़ाल्यूशन में देख सकता है. अब फर्ज़ कीजिए कि अंतरिक्ष में पांच करोड़ लाइट ईयर की दूरी पर कोई शीषा (मिरर) रखा है. और उसे हम अपने इस बेहतरीन टेलिस्कोप से उस शीषे में झांकें तो हमें क्या दिखाई देगा?

हमें दिखाई देंगे डायनासौर और ऐसे कई जीव जिनके आज सिर्फ जीवाश्म मिलते हैं. हमें 10 करोड़ पुरानी पृथ्वी दिखाई देगी. वो ऐसे कि 10 करोड़ साल पुरानी पृथ्वी से निकली रोशनी 5 करोड़ साल में उस शीषे तक पहुंचेगी और उससे रिफ्लेक्ट होने के बाद वो और 5 करोड़ साल बाद हमारे टेलिस्कोप तक पहुंचेगी.

इस तरह पृथ्वी का 10 करोड़ साल पुराना दृश्य हमें उस इमेजिनरी टेलिस्कोप से दिखाई देगा. इसलिए कहा जाता है कि Telescopes are Time Machines. टेलिस्कोप अतीत में झांकने वाली खिड़कियां हैं.

तुम जो देख रहे हो, वो बीत चुका है. तुम जो भोग रहे हो, वो भी बीत जाएगा. और जो बीत चुका है, वो तो खैर बीत ही चुका है. यही जीवन सार है. ऐसे जीवन के सार और संसार जानने के लिए पढ़ते रहिए साइंसकारी. 

देखें वीडियो- साइंसकारी: चांद की मिट्टी पर पौधा उगाने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े?