The Lallantop

US-कनाडा रह चुके इन भारतीयों ने बताया कनाडा और अमेरिकन ड्रीम का सच

कपूरथला में रहने वाले सुमित अमेरिका और कनाडा दोनों जगह रह कर आए हैं. वो बताते हैं कि चमक-धमक वाले फोटो-वीडियो देखकर कनाडा चले तो गए, लेकिन दो महीने भी वहां टिक नहीं सके. वहां न रोज़गार है, न रस्पेक्ट. अमेरिका में भी ऐसा ही हाल है.

post-main-image
पंजाब में घरों पर लगे हैं US, कनाडा के झंडे. (फोटो- आजतक)
author-image
मृदुलिका झा

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. अमेरिकी सैन्य विमान 5 फरवरी को सौ से ज्यादा भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंच गया. ये घटना भारत में रह रहे उन लोगों के लिए एक बुरे सपने की तरह है जो अपने मन में ‘अमेरिकन ड्रीम’ पाले बैठे हैं. इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो अमेरिका या कनाडा जाकर वापस आ चुके हैं और वहां के हालात से वाकिफ हैं. आजतक ने जालंधर और कपूरथला में ऐसे कुछ लोगों से बात की है.

सबसे ज्यादा लड़किया जूझ रहीं 

कपूरथला में रहने वाले सुमित अमेरिका और कनाडा दोनों जगह रह कर आए हैं. वो बताते हैं कि वहां लड़कियों की हालत ज्यादा चिंताजनक है. बकौल सुमित, “साथ रहने के लिए मुझे खुद एक लड़की ने अप्रोच किया था. चमक-धमक वाली फोटो-वीडियो देखकर मैं कनाडा चला तो गया, लेकिन दो महीने भी वहां टिक नहीं सका. वहां न रोज़गार है, न रस्पेक्ट. अमेरिका में भी कुछ ऐसा ही हाल है. कनाडा में अपने भी अपने नहीं हैं."

सुमित के मुताबिक जिन लोगों ने उन्हें बुलाया था, वे भी उनसे कन्नी काटने लगे.

Illegal Migrants Deported From US, Shared experience how they live in America and Canada
कैंपों में ठूंस-ठूंस कर भरे होते हैं लोग. (फोटो- आजतक)

ऐसी है अमेरिका की ज़िंदगी 

कपूरथला में रहने वाली 25 साल की एक लड़की ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बात की. उसने बताया कि वो एक बार अमेरिका से वापस भेजी जा चुकी है. दोबारा वहां जाने की तैयारी कर ही रही थी कि सरकार बदल गई. उसने बताया कि ज्यादातर भारतीय वहां अमेरिकी परिवारों की तरह ही रोज़मर्रा के काम करते हैं. फर्क ये है कि भारतीय हर समय डर में जीते हैं. 

लड़की ने बताया, “छोटे-छोटे कामों के लिए भी घर से निकलते हैं तो मन में डर लगा रहता है कि कोई पकड़ लेगा. हमने न सिर्फ भद्दी गालियां सुनी हैं, बल्कि लोगों ने हमारे मुंह पर थूका तक है. बावजूद इसके हम चेहरा धोकर काम करते रहे. अमेरिका जाने से पहले एजेंट ने सख़्त हिदायत दी थी कि 'जस्ट एक्ट नॉर्मल', चाहे कुछ भी हो, चुप रहना है.”

काम क्या करती थी, ये पूछने पर लड़की ने बताया कि अमेरिका में लड़कों को नौकरी मिल जाती थी, लेकिन लड़कियों के लिए यह मुश्किल होता था. उसने वहां पंजाबी और गुजराती परिवारों में नैनी का काम किया. लड़की ने आगे कहा, “लेकिन ये लोग हमसे घर के सारे काम करवाते थे.”

जेल जैसे कैंप

इस लड़की ने अमेरिका में पेट्रोल पंप पर भी काम किया. उसके मुताबिक एक दिन वहां रेड पड़ी और वो पहुंच गई बॉर्डर डिटेंशन कैंप में. यह जगह कैंप कम जेल की तरह ज़्यादा थी. उसने बताया, “लोग खचाखच भरे पड़े थे. औरतों के साथ छोटे-छोटे बच्चे थे. 20 से 25 लोग एक ही कमरे में ठूसे हुए थे. सब शिफ्ट्स में सोते थे. भरपेट खाना तक नहीं मिलता था. सबसे ज़्यादा परेशान करती थी वॉशरूम की बदबू. कई-कई दिनों तक साफ नहीं होते थे. वापस आने के बावजूद कई दिनों तक वो बदबू नाक से गई नहीं थी.”

वीजा एप्लिकेशन हुए कम

कपूरथला को 'NRI बेल्ट' कहा जाता है. यहां एक ट्रैवल कंपनी चलाने वाले अश्विनी शर्मा ने बताया, “हाल ही में अमेरिका और कनाडा को लेकर बदले माहौल का सीधा असर स्टूडेंट वीज़ा पर पड़ा है. पहले फगवाड़ा से हर महीने करीब 300-350 छात्र विदेश जाते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 20-30 रह गई है. इनमें भी आधे से ज्यादा वीज़ा एप्लिकेशन रिजेक्ट हो रहे हैं. स्टूडेंट्स अब दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी सफलता दर काफी कम है.”

अश्विनी ने बताया कि पंजाब से जाने वाले छात्र पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करने लगते थे, जिससे उन्हें बाद में वर्क परमिट और फिर PR (परमानेंट रेजिडेंसी) मिल जाती थी. यहां के युवा पूरी प्रक्रिया से अच्छी तरह वाकिफ हैं और वहां जाकर किसी भी तरह का काम करने को तैयार रहते हैं. लेकिन हाल ही में आई सख्ती के कारण अब एक नया ट्रेंड उभर रहा है.

Illegal Migrants Deported From US, Shared experience how they live in America and Canada
पंजाब के शहरों में लगे पोस्टर. (फोटो- आजतक)

अश्विनी बताते हैं, “वर्क परमिट को लेकर भी बड़ी गड़बड़ हो रही है. भारत से सालों पहले कनाडा गए कुछ लोग वहां अपना कारोबार जमा चुके हैं. वे सरकार को यह दिखाते हैं कि कुछ खास स्किल वाले वर्करों की ज़रूरत है, जो कनाडा में नहीं मिल रहे. सरकारी मंजूरी मिलने के बाद वे भारत आकर लोगों को ले जाते हैं, लेकिन इसके बदले उनसे 40-50 हजार डॉलर तक वसूलते हैं. यह रकम बहुत बड़ी है, लेकिन विदेश जाने की चाह में लोग घर-ज़मीन तक बेचने को मजबूर हो रहे हैं.”

लोगों के वापस आने को लेकर शर्मा ने बताया कि अच्छा-खासा रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है. खासकर स्टूडेंट्स का. जिन पैरंट्स के पास सरप्लस पैसे हैं, वे अपने बच्चों को बुला रहे हैं. केवल वही बाकी हैं, जिन पर ज्यादा लोन है. ऐसे लोगों का गलत इस्तेमाल भी हो रहा है.

अश्विनी शर्मा ने आगे बताया कि कुछ खास धर्म के लोगों को यूरोप में वीज़ा मिलने में आसानी हो रही है. इस चक्कर में कई लोग दूसरे धर्म से जुड़ने का दिखावा कर रहे हैं और सिर्फ आईडी और एक कागज़ के सहारे समंदर पार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “ऐसा ही एक व्यक्ति मेरे पास भी आया था, लेकिन सही दस्तावेज़ न होने पर मैंने उसे लौटा दिया. बावजूद इसके, महज एक हफ्ते के भीतर उसका वीज़ा और सारी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी थीं.” 

पंजाब के कई जिलों में ऐसे पोस्टर देखे जा सकते हैं जो कंसल्टेंट की बातों से मेल खाते हैं.

वीडियो: दिल्ली चुनाव के पहले अरविंद केजरीवाल पर केस दर्ज, युमना के पानी पर दिया था बयान