फर्जी विकलांगता और OBC सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने के गंभीर आरोपों के बीच ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) को लेकर नए दावे सामने आ रहे हैं. अब जानकारी सामने आई है कि पूजा खेडकर ने अपनी मानसिक विकलांगता (locomotor disability) दिखाने के लिए पुणे के एक प्राइवेट अस्पताल से तीसरी बार मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की कोशिश की थी. इधर एक के बाद एक लग रहे आरोपों पर पूजा ने कहा है कि वो जांच कमेटी के सामने ही सब कुछ कहेंगी.
IAS पूजा खेडकर को विकलांगता सर्टिफिकेट कहां से मिला? AIIMS ने तो नहीं दिया था
पूजा खेडकर UPSC में अपनी मानसिक विकलांगता के टेस्ट के लिए साल 2022 में AIIMS अस्पताल गई थीं. लेकिन कई राउंड के टेस्ट के बाद अस्पताल ने उन्हें सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था.

इंडिया टुडे से जुड़े ओमकार वाब्ले की रिपोर्ट के मुताबिक IAS ट्रेनी पूजा खेडकर ने पुणे के औंध इलाके के एक निजी अस्पताल से तीसरी बार मेडिकल सर्टिफिकेट लेने का प्रयास किया था. पूजा UPSC में अपनी विकलांगता (locomotor disability) दिखाने के लिए साल 2022 में टेस्ट कराने दिल्ली स्थित AIIMS अस्पताल गई थीं. लेकिन अस्पताल ने जांच के बाद उन्हें विकलांगता प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था. ऐसा एक नहीं, दो बार हुआ.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल ने ट्रेनी IAS को बताया था कि उनके पक्ष में सर्टिफिकेट जारी करना ‘संभव नहीं है’. आरोप है कि इसके बाद पूजा खेडकर ने पुणे के एक प्राइवेट अस्पताल में अपने टेस्ट करवाए जहां से उन्हें डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट मिल गया.
बता दें कि पूजा खेडकर ने UPSC में PwBD कैटेगरी के तहत दो मेडिकल सर्टिफिकेट लगाए थे. इनमें से एक कथित तौर पर मानसिक विकलांगता से जुड़ा था. दूसरा दृष्टिबाधित दिक्कत (visually impaired) से संबंधित था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ये दोनों मेडिकल सर्टिफिकेट अहमदनगर जिला अस्पताल की दो अलग-अलग कमेटियों द्वारा जारी किए गए थे. एक सर्टिफिकेट साल 2018 में जारी हुआ था. वहीं दूसरा साल 2021 में.
मेडिकल के लिए नहीं पहुंचींपूजा खेडकर ने साल 2021 के सिविल सर्विस एग्जाम में 821वीं रैंक हासिल की थी. बताया गया कि इसके बाद वो अपनी विकलांगता के दावे को लेकर मेडिकल कमेटी के सामने पेश होने में विफल रहीं. मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) पहुंचा. 23 फरवरी 2023 के CAT के आदेश के अनुसार UPSC ने पूजा को अप्रैल 2022 में मेडिकल एग्जाम के लिए AIIMS दिल्ली पहुंचने को कहा था. लेकिन पूजा ने कोरोना होने की बात कहकर मेडिकल की तारीख आगे बढ़वा ली. फिर मई में पूजा को दो बार मेडिकल के लिए बुलाया गया, लेकिन वो नहीं पहुंचीं. इसके बाद जुलाई और अगस्त 2022 की तारीखों पर भी पूजा मेडिकल टेस्ट के लिए AIIMS नहीं गईं.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पूजा का मेडिकल अगस्त 2022 के लिए रीशेड्यूल किया गया था. CAT के सदस्य भगवान सहाय और जस्टिस एमजी सेवलिकर द्वारा दिए गए आदेश में बताया गया,
“आवेदक का 26 अगस्त से 2 सितंबर के बीच AIIMS में मेडिकल परीक्षण किया गया. उनकी दोनों आंखों में विजन ना होने का कारण जानने के लिए उन्हें स्पेशलिस्ट से MRI (ब्रेन) कराने के लिए कहा गया. AIIMS के ड्यूटी अधिकारी द्वारा आवेदक से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए उनकी विकलांगता के प्रतिशत का आकलन नहीं किया जा सका.”
इसके बाद पूजा ने एक निजी अस्पताल में कराई गई MRI रिपोर्ट जमा की, जिसमें उनकी विकलांगता के दावे का समर्थन किया गया था.
OBC नॉन-क्रीमी लेयर दावों में गड़बड़ीखेडकर ने OBC और दृष्टिबाधित (visually impaired) श्रेणियों के तहत सिविल सेवा का एग्जाम दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रेनी IAS के OBC नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के दावों में भी गड़बड़ी होने का दावा किया जा रहा है. दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. तब चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई गई थी. इससे उनकी OBC नॉन-क्रीमी लेयर की योग्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
जो सच होगा वो सामने आ जाएगाइस बीच पूजा खेडकर ने अपनी बात रखी है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पूजा ने विकलांगता और OBC सर्टिफिकेट को लेकर लग रहे आरोपों को लेकर अपने बयान में कहा,
पूजा खेडकर कौन हैं?“जो भी आरोप मेरे ऊपर लग रहे हैं उन सब का जवाब मैं कमेटी के सामने दूंगी. मुझे जो कुछ भी कहना है वो कमेटी के सामने ही कहूंगी और कमेटी का जो भी निर्णय होगा वो मुझे मान्य होगा. ये सब जो चल रहा है वो मीडिया ट्रायल है. लोग देख रहे हैं जो सच होगा वो सामने आ जाएगा. भारतीय संविधान के मुताबिक जब तक आरोप सिद्ध नहीं होता तब तक व्यक्ति को दोषी नहीं कहा जा सकता.”
ट्रेनी IAS पूजा खेडकर ने UPSC एग्जाम साल 2022 में क्लियर किया था. एग्जाम में उनकी ऑल इंडिया रैंक 821 आई. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में उन्होंने खुद को विकलांग बताते हुए याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने तर्क दिया कि ‘दिव्यांग’ उम्मीदवारों को SC/ST उम्मीदवारों की तुलना में ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लिहाजा उन्हें भी बराबर लाभ दिया जाना चाहिए.
वीडियो: IAS अधिकारी पूजा खेडकर की बढ़ी मुश्किलें, विकलांग सर्टिफिकेट पर बैठी जांच