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हड्डी तक जलाने वाला वाइट फॉस्फोरस यूज कर रहा इजरायल: HRW

ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि उसे मिले फुटेज से पता चलता है कि इजरायली सेना ने गाजा में सफेद फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया है. वहीं इजरायली सेना ने इन आरोपों को झूठा बताया है.

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इजरायल पर गाजा में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल करने का आरोप (फोटो: AFP)

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इजरायल गाजा के खिलाफ वाइट फॉस्फोरस (white phosphorus) का इस्तेमाल कर रहा है. ह्यूमन राइट्स वॉच का आरोप है कि इजरायल ने गाजा और लेबनान के आम आबादी वाले इलाके में वाइट फॉस्फोरस (white phosphorus) का इस्तेमाल किया. एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने भी इजरायली सेना के पास वाइट फॉस्फोरस होने के आरोप लगाए हैं. वहीं इजरायली सेना ने वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल करने से इनकार किया है.

Human Rights Watch (HRW) मानवाधिकारों की वकालत करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन (NGO) है. इस संगठन का कहना है कि इसे गाजा और लेबनान से जो फुटेज मिले हैं, उनसे वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल का पता चलता है. वहीं इजरायली सेना ने HRW के इन आरोपों का खंडन किया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली सेना ने कहा कि वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल के आरोप झूठे हैं.

मानवाधिकारों की एक और अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने X पर बताया, 

“एमनेस्टी की क्राइसिस एविडेंस लैब ने वेरिफाई किया है कि गाजा पर हमला करने वाली इजरायली सैन्य इकाइयों के पास वाइट फॉस्फोरस है. हम इसकी जांच कर रहे हैं, जो गाजा में वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल जैसा लगता है. इसमें गाजा सिटी के एक होटल के पास हुआ हमला भी शामिल है.”

इजरायल पर ह्यूमन राइट्स वॉच के आरोप

वाइट फॉस्फोरस एक घातक केमिकल है, जिससे स्किन बुरी तरह जल जाती है. वाइट फॉस्फोरस ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर जलता है और तब तक जलता रहता है, जब तक ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकती नहीं. ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि इजरायल ने गाजा और लेबनान में अपने सैन्य अभियानों में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया. इससे आम आबादी को गंभीर खतरा है. 

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HRW के मुताबिक उन्होंने हमले के वीडियो का एनालिसिस किया, जिसमें वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल का पता चला है. संगठन ने 10 और 11 अक्टूबर को लेबनान और गाजा में लिए गए फुटेज को वेरिफाई किया है. इसमें गाजा सिटी पोर्ट और इजरायल-लेबनान सीमा के पास दो ग्रामीण जगहों पर तोपखाने से दागे गए वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल दिख रहा है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि उन्होंने दो लोगों का इंटरव्यू भी लिया, जिन्होंने गाजा में हुए हमले के बारे में बताया है. 

इजरायली सेना ने क्या बोला?

HRW के मुताबिक इजरायली अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि उन्होंने हमास के साथ जारी जंग के दौरान वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया या नहीं. वहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल का कहना है कि उसने इस हफ्ते गाजा के खिलाफ जंग में वाइट फॉस्फोरस का कोई इस्तेमाल नहीं किया है. इजरायली सेना के एक बयान में कहा गया,

"गाजा में वाइट फॉस्फोरस के उपयोग के संबंध में इजरायली डिफेंस फोर्स के खिलाफ लगाया गया आरोप स्पष्ट तौर पर झूठा है." 

वाइट फॉस्फोरस से आबादी को जोखिम

HRW ने कहा कि गाजा में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है, जिसके तहत नागरिकों को अनावश्यक जोखिम में नहीं डाला जा सकता है. संगठन ने कहा कि गाजा दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है. यहां वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल नागरिकों के लिए जोखिम को बढ़ाता है.

HRW में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका की डायरेक्टर लामा फकीह ने कहा,

"जब भी भीड़भाड़ वाले नागरिक इलाकों में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे गंभीर जलन और जिंदगी भर रहने वाली दिक्कतों का खतरा होता है. जब आबादी वाले शहरी इलाकों में वाइट फॉस्फोरस का अंधाधुंध हवाई विस्फोट होता है, तो ये घरों को जला सकता है. इससे नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है."

लामा फकीह ने आगे कहा,

"नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए, इजरायल को आबादी वाले क्षेत्रों में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल बंद करना चाहिए."

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में शामिल पक्षों के लिए जरूरी है कि वो अपने नागरिकों को आगे और अधिक समस्याओं से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करें.

वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल पर क्या नियम हैं?

HRW की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल ने गाजा में पहले भी वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया है. उसने 2009 में गाजा पर बमबारी के दौरान बड़े पैमाने पर वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया था, जिसकी काफी निंदा हुई थी. वहीं 2013 में, इजरायली सेना ने इजरायल के हाई कोर्ट में एक याचिका के बाद कहा था कि वह असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर आबादी वाले क्षेत्रों में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल नहीं करेगी.

1980 में यूनाइटेड नेशन में Certain Conventional Weapons (CCW) कन्वेंशन हुआ था. इसके प्रोटोकॉल III के तहत नागरिक क्षेत्रों में हवा के रास्ते आग लगाने वाले हथियारों के इस्तेमाल पर रोक है. लेकिन इस प्रोटोकॉल में आग लगाने वाले उन हथियारों पर प्रतिबंध में ढील दी गई है जिन्हें जमीन से लॉन्च किया जाता है. 

इसके अलावा प्रोटोकॉल III केवल उन हथियारों पर लागू होता है, जो आग लगाने या जलाने के लिए ही "मुख्य रूप से डिज़ाइन किए गए" होते हैं. लेकिन वाइट फॉस्फोरस को मुख्य रूप से आग लगाने वाला हथियार नहीं माना जाता रहा है. शुरुआत में केवल रौशनी करने या सिग्नल देने के लिए सेनाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन इजरायल और कुछ अन्य देशों ने इसे हथियारों में इस्तेमाल किया. इस कारण ऐसे हथियार प्रोटोकॉल III के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं जिनमें इस केमिकल का इस्तेमाल होता है.

बता दें कि फिलिस्तीन 5 जनवरी, 2015 को और लेबनान 5 अप्रैल, 2017 को प्रोटोकॉल III का समर्थन करने वाले देशों में शामिल हुआ, जबकि इजरायल इसमें शामिल नहीं है.