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क्या समय रैना का वायरल शो 'इंडियाज़ गॉट लेटेंट' अमेरिकी शो की नकल है?

इंडियाज़ गॉट लेटेंट इन दिनों दर्शकों में अथाह लोकप्रिय है. शो के एपिसोड्स के यूट्यूब पर व्यूज औसतन 10 मिलियन पार हैं.

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India's Got Latent के एक एपिसोड में बलराज घई, अतुल खत्री, कुणाल कामरा और समय रैना. (फोटो - सोशल मीडिया)

प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु ने कहा था, “खुद को जान लेना ही ज्ञान पाने की शुरुआत है”. ख़ैर, ज्ञान का तो पता नहीं लेकिन अगर आप खुद को सही से जानते हैं, तो आप एक फेमस शो के विनर बन सकते है. अगर आपको पता है कि आपका टैलेंट कितना है. फिर वो चाहे कितना कम ही क्यों ही न हो, आप विजेता हैं! जी हां, हम बात कर रहे हैं समय रैना के ब्रेनचाइल्ड शो ‘इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ (India's Got Latent) की. इन दिनों ये काफ़ी वायरल है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये स्टैंडअप कॉमिडियन समय रैना का ओरिजिनल आइडिया नहीं है? ये कॉन्सेप्ट एक अमेरिकी शो से लिया गया है. 

अगर आप उन लोगों में से हैं, जिनकी आंखों से अभी तक इंडियाज़ गॉट लेटेंट की कोई क्लिप नहीं गुज़री है तो पहले आपको इस शो के बारे में बताते है. इंडियाज़ गॉट लेटेंट- अगर इनके मेकर्स की भाषा में कहें तो एक ऐसा शो जिसका कोई पॉइंट नहीं है. हालांकि, प्वाइंट सिस्टम ज़रूर है इस शो में. और इसी प्वाइंट सिस्टम का रोल शो का विनर बनाने में काफ़ी महत्वपूर्ण होता है.

इस शो के हरेक एपिसोड में अलग-अलग लोग अपने अलहदा टैलेंट के साथ हाज़िर होते हैं. उनके पास अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए 90 सेकंड का समय होता है. लेकिन, अपने आपको प्रेजेंट करने से पहले उन्हें देना होता है खुद को मार्क्स. मैक्सिमम मार्क्स हैं 10. लेकिन ये पहले बताना नहीं होता है. परफ़ॉर्मेंस के ठीक बाद जज भी प्वाइंट्स देते है. और अगर जज का एवरेज स्कोर और आपका ख़ुद को दिया स्कोर मैच कर जाए तो आप विनर बन जाएंगे. मतलब शो जीतने के लिए, आपके स्कोर का कम या अधिक होना मायने नहीं रखता है. मायने रखता है, आपके खुद को दिए स्कोर से जजों के स्कोर का मैच करना.

कहां से आया आइडिया?

इंडियाज़ गॉट लेटेंट का मूल कॉन्सेप्ट अमेरिकी कॉमेडियन टोनी हिंचक्लिफ़ के शो ‘किल टोनी’ से इंस्पायर्ड है. और इसकी जानकारी इंडियाज़ गॉट लेटेंट के वीडियोज के डिस्क्रिप्शन में मिलती है. हालांकि, ‘किल टोनी’ में पॉइंट्स सिस्टम जैसा कुछ नहीं है. वहां टोनी हिंचक्लिफ़ अपने को-होस्ट ब्रायन रेडबन और कुछ अन्य साथी कॉमेडियंस के साथ पार्टिसिपेंट्स के प्रदर्शन को जज करते हैं. यहां परफॉर्मेंस करने वालों के पास 60 सेकंड का वक़्त होता है. और उसके बाद उसके प्रदर्शन पर टोनी और उनके साथी बात करते हैं. इन बातों में पार्टिसिपेंट पर तंज कसना और उनका मज़ाक बनाना आम है. और इसी मजाक और व्यक्तिगत छींटाकशी से जो हास्य निकलता है, यही शो के दर्शकों को मनोरंजन मुहैया करवाता है.

इंडियाज़ गॉट लेटेंट इन दिनों दर्शकों में अथाह लोकप्रिय है. शो के एपिसोड्स के यूट्यूब पर व्यूज औसतन 10 मिलियन पार हैं. शो के क्लिप्स सोशल मीडिया पर रील्स और शॉर्ट्स में भी ख़ासे देखे जा रहे हैं. लोकप्रियता के मानकों पर यह ‘किल टोनी’ से कई गुना आगे निकल चुका है. ‘किल टोनी’ के एपिसोड्स पर औसतन यूट्यूब व्यूज 2 मिलियन हैं.

इंडियाज़ गॉट लेटेंट में आए कई पार्टिसिपेंट्स अब इंटरनेट की दुनिया में चर्चित नाम बन गए हैं. मसलन, नमन अरोड़ा, शेरॉन वर्मा और केशव झा. रोस्ट कॉमेडी विधा में ये शो एक नया मुक़ाम पा चुका है. चाहे आप जज हों या पार्टिसिपेंट कोई भी यहां ऐसा नहीं है, जो मज़ाक का पात्र बनने से बच जाए.

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बात करें शो के जजों की तो समय रैना की परमानेंट मौज़ूदगी के साथ बलराज घई भी लगभग हर एपिसोड में देखने को मिलते हैं. इनके अलावा दो से तीन और जज हर एपिसोड में होते हैं. जो हर एपिसोड में बदलते रहते हैं. ये अलग-अलग फील्ड से जुटाए गए वे लोग हैं, जो इंटरनेट पर काफी चर्चित हैं. अभी तक के एपिसोड में आए जजों में से कुछ नाम हैं - बादशाह, रफ्तार, उर्फी जावेद, कुणाल कामरा, नीति पाल्टा, निशांत तंवर, अमित टंडन, महीप सिंह, सिद्धांत चतुर्वेदी आदि.

रैंडमनेस इस शो की USP है. साथ में समय रैना की डार्क कॉमेडी का तड़का इसे ख़ास बनाता है. समय की हाज़िर जवाबी और बिना किसी लाग-लपेट के पार्टिसिपेंट्स और साथी जजों पर तंज दर्शकों को काफ़ी भा रहा है. इसी वजह से ये शो बहुत कम समय में लोकप्रिय हो चुका है.

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