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क्रॉस वोटिंग वाले कांग्रेस MLA ने पार्टी पर बड़ा आरोप लगा दिया, कहा- अभी तो और बागी होंगे

बागी हुए विधायक रवि ठाकुर ने आजतक से बातचीत में बताया कि पार्टी में कई और विधायक नाराज हैं और वे जल्द ही बगावत करेंगे.

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कांग्रेस के बागी विधायक रवि ठाकुर (फोटो- फेसबुक)

हिमाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट (Himachal political crisis) के बीच कांग्रेस के उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जिन्होंने हालिया राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी. हिमाचल विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इन 6 विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया, इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से अयोग्य घोषित किया जाता है. अब इन विधायकों ने भी कहा है कि स्पीकर ने दबाव में फैसला लिया है और वे इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे.

"और विधायक बागी होंगे"

27 फरवरी को हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट के लिए वोटिंग हुई थी. कांग्रेस के पास कुल 40 विधायक हैं. कांग्रेस आसानी से जीतने वाली थी. लेकिन पार्टी के 6 विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोट कर दिया था. इसके कारण हर्ष महाजन की जीत हो गई थी. अब इन विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है. इनमें सुजानपुर से विधायक राजिंदर राणा, बड़सर से इंद्रदूत लखनपाल, लाहौल और स्पिति से रवि ठाकुर, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, कुटलेहड़ से दविंदर भुट्टो और गगरेट से चैतन्य शर्मा शामिल हैं.

बागी हुए विधायक रवि ठाकुर ने आजतक से बातचीत में बताया कि पार्टी में कई और विधायक नाराज हैं और वे जल्द ही बगावत करेंगे. हर्ष महाजन को वोट करने पर रवि ने कहा, 

"मैंने हर्ष महाजन को वोट किया क्योंकि मुझे पता है कि वे हिमाचल के विकास के लिए काम करेंगे. राज्यसभा चुनाव में किसी उम्मीदवार को वोट करना किसी का निजी फैसला है. "

रवि ठाकुर ने दावा किया है कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और मनाली में उनके घर की तरफ जाने वाले रास्ते को ब्लॉक कर दिया गया है. उन्होंने आगे कहा, 

"वे लोग मुझ पर गद्दार होने का ठप्पा लगा रहे हैं, लेकिन मैं गद्दार नहीं हूं. मुझे दोनों तरफ से संपर्क किया गया था, लेकिन मैंने महाजन जी पर भरोसा जताया. अब मुझे अपने राजनीतिक करियर को लेकर फैसला लेना है."

ठाकुर ने आगे कहा कि उन्हें नहीं पता कि अब वे कांग्रेस के साथ रहेंगे या नहीं. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी में कोई नियम कायदे नहीं हैं. बहुत कन्फ्यूजन है.

अयोग्य करने पर स्पीकर क्या बोले?

इससे पहले दिन में विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इन विधायकों को अयोग्य घोषित किये जाने पर बयान दिया था. उनका कहना था कि राज्य के संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत शिकायत की थी. 28 फरवरी को उन्होंने सभी 6 विधायकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. उन्होंने कहा कि इन विधायकों ने दो बार पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया.

पठानिया ने मीडिया से कहा, 

"मुझे ये फैसला करना था कि इन विधायकों पर दल-बदल विरोधी कानून लागू होता है या नहीं. इन विधायकों ने विधानसभा में दो बार व्हिप का उल्लंघन किया. मेरा आदेश बहुत विस्तृत है. ये 30 पन्ने का आदेश है. हमने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया."

हालांकि अयोग्य विधायकों में एक राजिंदर राणा ने कहा कि फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. दी ट्रिब्यून से बातचीत में राणा और सुधीर शर्मा न कहा कि 28 फरवरी को जब वे विधानसभा पहुंचे थे, स्पीकर सदन में नहीं थे. उन्होंने अपना अटेंडेंस मार्क किया और उनकी तस्वीर कैमरे में कैप्चर भी हुई है. राणा ये भी दावा किया कि चैतन्य शर्मा को छोड़कर किसी और विधायक को नोटिस नहीं मिला है.

संविधान की 10वीं अनुसूची में ये प्रावधान है कि यदि संसद और राज्य विधायिका का कोई सदस्य पार्टी बदलता है तो उसे सदन से बर्खास्त किया जाएगा. इसे ‘दल-बदल विरोधी कानून' के रूप में भी जाना जाता है. इस अनुसूची के दूसरे पैराग्राफ में कहा गया है कि सदन का कोई भी सदस्य, चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, यदि पार्टी बदलता है या पार्टी के निर्देश के विपरीत वोट करता है या फिर पार्टी की इजाजत के बिना सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहता है और वोट नहीं करता है, तो ऐसे व्यक्ति की सदन से सदस्यता खत्म कर दी जाएगी.

वीडियो: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा में चुनाव में कांग्रेस का दामन छोड़ने वाले विधायन कौन?