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हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट फिलहाल टला, बजट पास करवा सुक्खू ने साबित किया बहुमत

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री Sukhwinder Singh Sukhu ने विधानसभा में बजट पास करवा लिया. इसी के साथ कम से कम तीन महीने के लिए उनकी सरकार का संकट टल गया हहै.

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विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे)

राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी की हार के बाद हिमाचल प्रदेश में उठा सियासी संकट लगता है कि फिलहाल टल गया है. सीएम सुक्खू ने विधानसभा में बजट पास करवा लिया है. इसका मतलब कि फिलहाल सदन में उनकी सरकार को बहुमत हासिल है.  लिहाजा अगले तीन महीनों तक उनकी सरकार से संकट टल गया है.

इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि  हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की कांग्रेस सरकार को लेकर चल रही अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने इस्तीफे की पेशकश की है. इंडिया टुडे इनपुट्स के मुताबिक खबर आई कि, उन्होंने कांग्रेस के आलाकमान को इस्तीफे की पेशकश की है. हिमाचल विधानसभा में हो रहे हंगामें के बीच वो केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि उन्होंने बाद में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. कहा है कि वो योद्धा हैं और युद्ध लड़ते रहेंगे.

इससे पहले वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि इस्तीफे को लेकर प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को जानकारी दे दी गई है. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं और वर्तमान हालात को देखते हुए मैं इस सरकार में नहीं रह सकता. 

इस्तीफे के बाद विक्रमादित्य सिंह ने कहा,

"हमने हमेशा कांग्रेस आलाकमान का सम्मान किया है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सम्मान किया है. लेकिन विधायकों की शिकायत का समाधान नहीं हुआ. ये विधायकों की अनदेखी का ही नतीजा है कि हम राज्यसभा का चुनाव हार गए हैं. मेरी निष्ठा पार्टी के साथ है, इसलिए खुलकर बोल रहा हूं."

उन्होंने कहा,

"जो 6 बार राज्य का मुख्यमंत्री रहा, जिसकी वजह से राज्य में ये सरकार बनी- माल रोड पर उनकी प्रतिमा के लिए एक छोटी सी जगह नहीं ढूंढ पाए. यही सम्मान इस सरकार ने मेरे दिवंगत पिता के लिए दिखाया है. हम भावुक लोग हैं, हमें पद से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं बहुत आहत हूं, राजनीतिक रूप से नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से.''

इस बीच कांग्रेस के छह बागी विधायक शिमला वापस लौट आए हैं. ये विधायक राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के बाद पंचकूला चले गए थे. जहां से चॉपर के जरिए इन्हें वापस लाया गया है. वहीं इन विधायकों ने शिमला वापसी के बाद कहा कि अब वो बीजेपी के साथ हैं.

इस दौरान स्पीकर ने भाजपा के 15 विधायकों को सदन सस्पेंड कर दिया है. जिसमें जयराम ठाकुर भी शामिल हैं. विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा में मार्शल बुलाया गया है. सदन को दिन के 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. 

भाजपा के इन विधायकों को सस्पेंड किया गया है- जयराम ठाकुर, विपिन सिंह परमार, रंधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, हंस राज, जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जामवाल, सुरेंद्र शोरी, दीप राज, पूरन ठाकुर, इंद्र सिंह गांधी, दलीप ठाकुर और रणवीर सिंह.

विधायको के सस्पेंशन के विरोध में राज्यपाल से मिलेंगे भाजपा नेता.

इससे पहले जयराम ठाकुर ने अंदेशा जताया था कि उनके विधायकों को सदन से सस्पेंड किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के उन विधायकों को भी सस्पेंड किया जा सकता है जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था.

इस बीच भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने क दावा किया है कि कांग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में है. वहीं राज्यसभा का चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ने कहा है कि राज्य में जल्द ही भाजपा की सरकार बनेगी.

इससे पहले 28 फरवरी की सुबह भाजपा के विधायक दल के नेताओं ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की थी. भाजपा ने दावा किया था कि सुखविंदर सिंह सुक्खू जनादेश खो चुके हैं. विधानसभा में फाइनेंस बिल पेश होने के दौरान भाजपा ने फ्लोर टेस्ट की मांग की थी. 

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार के बाद से ही राज्य की कांग्रेस सरकार को लेकर अटकलें लगाई जा रही है.

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