The Lallantop

हरियाणा चुनाव: लालू यादव के दामाद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी की सीटें फंसेंगी?

Haryana assembly election 2024 : हरियाणा के अहीरवाल से दो दिग्गज सियासी परिवारों की नई पीढ़ी चुनावी मैदान में है. राव इंद्रजीत की बेटी आरती सिंह राव अटेली विधानसभा सीट से सियासी डेब्यू कर रही हैं. वहीं, कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव दूसरी बार रेवाड़ी सीट से मैदान में हैं.

post-main-image
अटेली से आरती राव (बाएं) और रेवाड़ी से चिरंजीव राव (दाएं) चुनावी मैदान में हैं. (फोटो- X)

साल 1952. हरियाणा का अहीरवाल क्षेत्र. तब हरियाणा राज्य भी नहीं बना था. एक सियासी अदावत की नींव रखी गई. रेवाड़ी विधानसभा सीट से अहीरवाल के दो दिग्गज क्षत्रप आमने-सामने थे. राव बीरेंद्र सिंह और राव अभय सिंह. इस सियासी जंग में बाजी राव अभय सिंह के हाथ लगी. तब से दोनों परिवारों के बीच अहीरवाल में वर्चस्व की लड़ाई है. इस सियासी अदावत में फिर एक तारीख आई. 2019 का लोकसभा चुनाव. गुड़गांव सीट से इनकी दूसरी पीढ़ी आमने-सामने थी. राव बीरेंद्र के बेटे राव इंद्रजीत सिंह. और राव अभय सिंह के वारिस कैप्टन अजय सिंह यादव. यहां राव इंद्रजीत ने जीत दर्ज कर सियासी हिसाब बराबर कर दिया.

अब 2024 के विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhansabha chunav) होने हैं. इन दोनों सियासी परिवारों की तीसरी पीढ़ी राज्य के चुनावी अखाड़े में शिरकत करेगी. लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है. दोनों सियासी परिवार इस बार आमने-सामने नहीं हैं. कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव (Chiranjeev Rao) जहां दूसरी बार रेवाड़ी सीट से मैदान में हैं. वहीं राव इंद्रजीत की बेटी आरती सिंह राव (Arti Singh Rao) अटेली विधानसभा सीट से सियासी डेब्यू कर रही हैं. इन दोनों सीटों का सियासी गणित और वर्तमान सूरत-ए-हाल क्या है? ये जानने की कोशिश करेंगे. शुरुआत करेंगे आरती राव की सीट से.

अटेली विधानसभा सीट से आरती राव की दावेदारी

रामपुरा हाउस की राजनीतिक वारिस आरती राव के चलते अटेली एक हॉटसीट बन गई है. उनके पिता राव इंद्रजीत, केंद्र सरकार में मंत्री हैं. 2014 से पहले कांग्रेस में थे. फिर भाजपाई हो गए. दोनों पार्टियों से कुल जमा 6 बार सांसद बन चुके हैं. राव इंद्रजीत नेशनल लेवल पर शूटिंग में अवार्ड जीत चुके हैं. और उनकी बेटी आरती राव भी शूटिंग में हाथ आजमा चुकी हैं.

आरती राव 2001 और 2012 में शूटिंग वर्ल्ड कप फाइनल प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं. वो 4 एशियन चैंपियनशिप मेडल भी जीतीं हैं. 2017 में उन्होंने शूटिंग से संन्यास ले लिया. इसके बाद से राजनीति में रुचि ले रही हैं. आरती राव के मुकाबले कांग्रेस ने यहां से अनीता यादव, इनेलो-बसपा गठबंधन ने ठाकुर अतर लाल और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी गठबंधन ने आयूषी राव को टिकट दिया है.

अटेली सीट पर आरती राव के सामने क्या चुनौतियां रहेंगी, इस पर दी प्रिंट से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुशील मानव कहते हैं, 

“अहीरवाल राव इंद्रजीत के परिवार का गढ़ माना जाता है. अगर लोकसभा चुनावों को देखें तो अहीरवाल की अधिकतर सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली थी. लेकिन अब स्थिति थोड़ी बदली नजर आ रही है. ये माना जा रहा है कि प्रदेश में लोग बदलाव चाह रहे हैं. और जब बदलाव के लिए वोट पड़ता है तो जो स्विंग वोटर्स होते हैं वो हर सीट पर कुछ न कुछ प्रभाव डालते हैं. और आरती राव के सामने जो कैंडिडेट हैं अनीता यादव, वो भी बड़ी नेता हैं. अटेली से विधायक रही हैं. और राज्य सरकार में मंत्री भी रही हैं. और जो बसपा के कैंडिडेट हैं - ठाकुर अतरलाल - वो भी बीजेपी के वोट बैंक में ही सेंधमारी करेंगे. इसलिए लग रहा है कि इस सीट पर कड़ा मुकाबला होने वाला है.”

पिछले तीन चुनावों के नतीजे 

अटेली सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक सीताराम सिंह यादव का टिकट काट कर आरती राव को दिया है. पिछले चुनावी नतीजों की बात करें तो 2009 में कांग्रेस की अनीता देवी ने भाजपा की संतोष यादव को मात्र 993 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 

वहीं, 2014 के चुनाव में भाजपा की संतोष यादव ने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रत्याशी सतवीर को 48 हजार 601 वोटों से हराया था. जबकि 2019 के विधानसभा में भाजपा के सीताराम यादव ने 18 हजार 406 वोटों से जीत दर्ज की. कांग्रेस और INLD को पीछे छोड़ते हुए बसपा के ठाकुर अतर लाल इस बार दूसरे स्थान पर रहे.

अटेली विधानसभा के जातीय समीकरण 

अटेली विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 7 हजार वोटर हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अटेली में अहीर वोटर्स की संख्या लगभग 50 फीसदी है. वहीं दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति के 28 प्रतिशत वोटर्स हैं. जबकि राजपूत वोटर्स की संख्या 8 फीसदी है.

1967 से अब तक यहां 13 चुनाव और एक उपचुनाव हुए हैं. इन सभी चुनावों में यह सीट अहीर जाति के पास ही रही है. यही वजह है कि ज्यादातर पार्टियां यहां से अहीर कैंडिडेट को ही टिकट देती हैं. भाजपा की आरती राव, कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता यादव और जेजेपी कैंडिडेट आयूषी राव अहीर समुदाय से ही हैं. हालांकि INLD-BSP ने यहां से राजपूत समुदाय से आने वाले ठाकुर अतरलाल को टिकट दिया है.

ddfgfg
क्रेडिट - एक्स
पारंपरिक सीट पर आरती राव को पिता राव इंद्रजीत का सहारा

आरती राव के परिवार के लिए अटेली नया नहीं है. उनके दादा राव बीरेंद्र सिंह यहां से 3 बार विधायक रह चुके हैं. एक बार कांग्रेस के टिकट पर. और दो बार अपनी बनाई विशाल हरियाणा पार्टी से. 2009 में जहां इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अनीता देवी काफी कम अंतर से चुनाव जीती थी. वहीं, पिछले दो विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी की जीत का मार्जिन ठीक-ठाक रहा है. यहां बीजेपी को पहली बार 2014 में ही जीत मिली है. और इसकी वजह राव इंद्रजीत के दबदबे को माना जाता है. और इसी वजह से उन्होंने अपनी बेटी के लिए ये सीट चुनी है. आरती राव के चुनावी कैंपेन भी राव इंद्रजीत और उनके समर्थकों के कंधे पर है.

राव इंद्रजीत अब तक दो बार यहां प्रचार के लिए आ चुके हैं. आरती राव के चुनावी पोस्टर में भी उनसे ज्यादा जगह राव इंद्रजीत को ही दी जा रही है. ‘हरियाणा तक’ से जुड़े पत्रकार राहुल यादव बताते हैं, 

“राव इंद्रजीत ने खुद इस सीट की कमान ले ली है. वो रूठे लोगों को जाकर मना रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में JJP के टिकट पर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा चुनाव लड़ चुकी स्वाति यादव ने आरती राव का समर्थन किया है. स्वाति के परिवार का इस इलाके में ठीक-ठाक प्रभाव है. इस तरह से जो लोग भी दमखम रखते हैं या नाराज थे, उनको राव इंद्रजीत सिंह ने मैनेज किया है. वे चाह रहे हैं कि बेटी न सिर्फ चुनाव जीते बल्कि उसे एक सम्मानजनक जीत मिले. ताकि एक मिसाल पेश किया जा सके कि पहली बार चुनाव लड़ीं. और इतने वोटों से जीतीं.”

ये भी पढ़ें - कभी कांग्रेस का गढ़, अब BJP का किला, हरियाणा के अहीरवाल में इस बार चलेगा किसका जोर?

अटेली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

अटेली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनती दिख रही है. कांग्रेस की अनीता यादव यहां से 2009 में जीत दर्ज कर चुकी हैं. वे पिछले दस साल में अटेली विधानसभा की हुई उपेक्षा के मुद्दे पर वोट मांग रही हैं. साथ ही अपने विधायकी के दौर के काम को भी याद दिला रही हैं. अनीता यादव को अनुसूचित जाति के 28 फीसदी वोटर्स से उम्मीद है. दलित वोटर्स पर कांग्रेस की पकड़ फिलहाल मजबूत मानी जा रही है.

वहीं, बसपा-इनेलो गठबंधन की तरफ से बसपा ने ठाकुर अतरलाल को टिकट दिया है. 2019 के विधानसभा चुनाव में वे यहां से दूसरे नंबर पर रहे थे. अतरलाल शिक्षा और बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं. साथ ही वे आरती राव और अनीता यादव को ‘बाहरी उम्मीदवार’ बता रहे हैं. अतरलाल को राजपूत वोटर्स के समर्थन की उम्मीद है, जो कि पारंपरिक तौर पर बीजेपी के वोटर माने जाते हैं.

अतरलाल क्षेत्र में खूब सक्रिय रहते हैं. वे प्रचार में लोगों से बता रहे हैं कि ये उनका आखिरी चुनाव है, जिसके कारण क्षेत्र में उनके प्रति एक सहानुभूति का फैक्टर भी है. आरती, अनीता और आयूषी यादव तीनों उम्मीदवार अहीर समुदाय से हैं. ऐसे में अगर अहीर वोटों में बंटवारा होता है तो अतरलाल चौंका सकते हैं.

JJP के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं आयूषी राव कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय सिंह यादव के भतीजे अभिमन्यु राव की पत्नी हैं. JJP का परसेप्शन एक जाट बेस पार्टी की है. इसके कारण आयूषी मुकाबले में पिछड़ती नजर आ रही हैं.

विपक्षी पार्टियों के अलावा इस सीट पर आरती राव की बड़ी चुनौती अपनी पार्टी के बागी और असंतुष्ट उम्मीदवारों से पार पाने की है. इसके बारे में राहुल यादव कहते हैं, 

“यहां से बीजेपी की ओर से संतोष यादव भी तैयारी कर रही थीं. संतोष यादव राज्य की पूर्व डिप्टी स्पीकर रही हैं. और इलाके में ठीक-ठाक पकड़ है. उन्होंने बागी होकर नॉमिनेशन भी किया था. फिर पार्टी की ओर से मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने नॉमिनेशन वापस ले लिया है. ये आरती राव के लिए एक मुसीबत है. वो राव इंद्रजीत के विरोधी खेमे की मानी जाती हैं. उनका फॉर्म भले वापस कराया गया है. लेकिन वो अपने घर बैठी हैं. और कहीं भी चुनाव प्रचार में नहीं दिख रही हैं.”

रेवाड़ी सीट पर किनकी दावेदारी

अब बात करते हैं राव इंद्रजीत के चिर प्रतिद्वंद्वी कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव की सीट की. चिरंजीव पिछली बार रेवाड़ी विधानसभा सीट से बेहद कम अंतर से जीते थे. कांग्रेस ने एक बार फिर से उन पर दांव लगाया है. चिरंजीव राव की एक और पहचान है. वो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं. इस सीट से बीजेपी ने उनके सामने कोसली के विधायक लक्ष्मण यादव को टिकट दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी से सतीश यादव चुनावी मैदान में हैं.

पिछले चुनावों के नतीजे

2019 के विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट से कांग्रेस के चिरंजीव राव को जीत मिली. उनको 43 हजार 870 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को 42 हजार 553 वोट मिले. बीजेपी के बागी उम्मीदवार रणधीर सिंह कापड़ीवास तीसरे नंबर पर रहे. उनको 36 हजार 778 वोट मिले.

वहीं बात करें 2014 के विधानसभा चुनावों की, तो इस चुनाव में बीजेपी के रणधीर सिंह कापड़ीवास के सिर जीत का सेहरा बंधा. उनको कुल 81 हजार 103 वोट मिले. दूसरे नंबर पर INLD के सतीश यादव रहे. उनको 35 हजार 637 वोट मिले. तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के अजय सिंह यादव.

2009 के चुनाव में इस सीट से कैप्टन अजय सिंह यादव को जीत मिली थी. उनको कुल 48 हजार 557 वोट मिले. दूसरे नंबर पर INLD के सतीश यादव रहे. उनको 35 हजार 269 वोट मिले. वहीं बीजेपी के उम्मीदवार रणधीर सिंह कापड़ीवास तीसरे नंबर पर रहे थे.

fdgtrtthgh
कैप्टन अजय सिंह यादव के साथ चिरंजीव राव
 अजय सिंह यादव के परिवार का गढ़ रहा है रेवाड़ी

रेवाड़ी सीट पर काफी लंबे समय से कैप्टन अजय सिंह यादव के परिवार का दबदबा रहा है. कैप्टन अजय यादव के पिता अभय सिंह 1952 में पहली बार इस सीट से विधायक चुने गए थे. उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए 1989 में हुए उपचुनाव में पहली बार अजय यादव ने इस सीट से जीत दर्ज की. फिर उनके जीतने का सिलसिला 2009 तक चलता रहा.

2014 में ‘मोदी लहर’ में पहली बार इस सीट से कैप्टन को हार मिली. लेकिन इसके पांच साल बाद ही उनके उत्तराधिकारी चिरंजीव राव ने इस सीट से जीत दर्ज की. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को हराया. इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो सबसे बड़ी आबादी अहीर मतदाताओं की है. इसके अलावा, वैश्य और पंजाबी मतदाता भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में हैं.

चिरंजीव राव की चुनौती और ताकत  

चिरंजीव पिछली बार बेहद कम अंतर से चुनाव जीते थे. इसमें बीजेपी के बागी उम्मीदवार की बड़ी भूमिका थी. राव इस बार अपने चुनावी अभियान में कोई कसर नहीं रखना चाहते हैं. अपने चुनावी अभियान के दौरान वे इस बात का दावा करते नजर आए हैं कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाएगा. उनके इस अभियान को दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का भी समर्थन मिला है. सीनियर कांग्रेस नेता सचिन पायलट रेवाड़ी में चिरंजीव राव के समर्थन में प्रचार करने रेवाड़ी पहुंचे थे. यहां एक चुनावी सभा में उन्होंने जनता से वादा किया कि आप चिरंजीव राव को विधायक बनाओ, वे उनको बड़ी जिम्मेदारी दिलाएंगे. 

चिरंजीव राव की बड़ी चुनौती टिकटार्थियों को मनाने की होगी. कांग्रेस नेता महाबीर मसानी, मनोज यादव, मंजीत जैलदार और दिनेश राजेंद्र ठेकेदार इस सीट से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे. अगर इन नेताओं ने बगावत की तो उनकी राह मुश्किल हो सकती है.

बीजेपी के बागियों से चिरंजीव राव को आस

बीजेपी ने इस सीट से कोसली के वर्तमान विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को टिकट दिया है. रेवाड़ी सीट से राव इंद्रजीत सुनील मुसेपुर के लिए टिकट चाहते थे तो पार्टी रणधीर सिंह कापड़ीवास को टिकट देना चाहती थी. लेकिन इस सीट पर बीच का रास्ता निकाला गया. मोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को यहां शिफ्ट किया गया. कहा जा रहा है कि राव इंद्रजीत को इससे कोई आपत्ति नहीं है.

यहां भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा उनके अपने नेता पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास हैं. उन्होंने पार्टी के कहने पर नॉमिनेशन तो नहीं भरा है. लेकिन वे बिल्कुल शांत बैठे हैं. उन्होंने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. पार्टी नेतृत्व उनको मनाने की भरसक कोशिश कर रही है. लेकिन वे अब तक लक्ष्मण सिंह यादव से दूरी बनाए हुए हैं. पिछली बार वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे. उन्हें लगभग 36 हजार वोट आए थे, जिसे इस सीट पर बीजेपी की हार का कारण माना गया. 

वहीं, बीजेपी से टिकट के दो और दावेदार थे सतीश यादव और सन्नी यादव. सतीश यादव आम आदमी पार्टी के टिकट से मैदान में हैं. और सन्नी यादव निर्दलीय चुनावी अखाड़े में हैं. इस सीट को लेकर राहुल यादव बताते हैं, 

“पिछली बार बीजेपी अपने भीतरघात के चलते ये सीट हारी थी. और कमोबेश इस बार भी इस सीट पर वही हालात बनते नजर आ रहे हैं. और दूसरी बात कि राव इंद्रजीत ने अहीरवाल की सीटों पर अपने लोगों को जिताने की जिम्मेदारी ले रखी है. चूंकि लक्ष्मण यादव एक न्यूट्रल कैंडिडेट हैं. इसलिए मुझे लगता नहीं है कि इस चुनाव में राव इंद्रजीत उतनी मेहनत कर रहे हैं. उनका ज्यादा फोकस अपनी बेटी के चुनाव पर है. इसके अलावा बावल, पटौदी, कोसली और नारनौल में उन्होंने अपने लोगों को टिकट दिलाया है. राव इंद्रजीत इन सीटों पर ज्यादा मेहनत कर रहे हैं.”

rhghhghh
चिरंजीव राव के साथ तेजप्रताप यादव.
चिरंजीव के प्रचार में जुटेंगे बिहार-यूपी के दिग्गज

चिरंजीव राव की शादी बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव की बेटी से हुई है. 21 सितंबर को लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने रेवाड़ी सीट पर चिरंजीव के समर्थन में रोड शो किया. इसके अलावा, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी चिरंजीव के प्रचार के लिए जुटने वाले हैं.

वीडियो: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बागी हुए नेता किस पार्टी के?