अमेरिका में शिक्षा की आजादी को लेकर एक अहम मोड़ आ गया है. 150 से ज्यादा अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने मिलकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. दरअसल, ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड को 2.2 बिलियन डॉलर (लगभग 18,710 करोड़ रुपये) की फंडिंग रोक दी थी. इसके खिलाफ कदम उठाते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुकदमा दायर किया है. अब उसे अन्य अमेरिकी विश्वविद्यालयों का भी साथ मिल गया है.
ट्रंप सरकार के खिलाफ हुई अमेरिका की 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज, हार्वर्ड का फंड रोका था
'शिक्षा की आजादी' के लिए अमेरिका की 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटी एक साथ आ गई हैं. उन्होंने Harvard University में Donald Trump के राजनीतिक दखल का विरोध किया है. हार्वर्ड का हजारों करोड़ रुपये का फंड रोकने को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना हो रही है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हार्वर्ड का यह कदम ‘शिक्षा की आजादी की रक्षा’ के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. हार्वर्ड प्रशासन ने सरकार का फंड फ्रीज करने के कदम को गैरकानूनी करार दिया है. यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट एलन एम गार्बर ने कहा कि सरकार के इस काम से छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों, शोधकर्ताओं और अमेरिका की हायर एजुकेशन के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटी-सेमिटिज्म (यहूदी विरोधी भावनाओं) के आरोपों के कारण फंडिंग पर रोक लगाई गई थी. लेकिन हार्वर्ड का कहना है कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और यह फंडिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्च वर्क से जुड़ी है.
और अब ट्रंप सरकार के खिलाफ यह विरोध केवल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे अमेरिका की 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट्स ने ट्रंप प्रशासन की निंदा करते हुए एक जॉइंट लेटर जारी किया है. इस लेटर में शिक्षा की आजादी की रक्षा की बात कही गई है. इसके अलावा आरोप लगाया गया है कि सरकार की कोशिश यूनिवर्सिटी की नीतियों को अपने पॉलिटिकल एजेंडे के अनुसार ढालने की है.

इन विश्वविद्यालयों के लीडर्स ने जोर दिया कि शिक्षा संस्थानों को ठोस सुधारों के लिए खुला रहना चाहिए, लेकिन सरकार को भी उन्हें अपने पॉलिटिकल एजेंडे से नहीं बांधना चाहिए. हार्वर्ड के खिलाफ कार्रवाई के बाद अब कई अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र और शिक्षक भी विरोध में सामने आ गए हैं.
यह विरोध केवल 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटी के लीडर्स तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे इनके छात्रों, फैकल्टी और लेबर यूनियनों का भी समर्थन मिल रहा है.
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