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खालिस्तानी निज्जर के मर्डर का VIDEO... विदेशी अखबार का ये खुलासा किसकी मुश्किलें बढ़ाएगा?

18 जून को हथियारबंद लोगों ने निज्जर की हत्या कर दी थी. निज्जर पर करीब 50 राउंड फायरिंग हुई थी, जिसमें से 34 गोलियां उसे लगी थीं.

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हरदीप सिंह निज्जर की हत्या 18 जून 2023 को हुई थी (Twitter)

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव है. 18 जून को हथियारबंद लोगों ने निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. अब उसके मर्डर को लेकर नया खुलासा हुआ है. जिसके मुताबिक निज्जर पर करीब 50 राउंड फायरिंग हुई थी, जिसमें से 34 गोलियां उसे लगी थीं.

ये घटना कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के 'सरे' में एक गुरुद्वारे के बाहर हुई थी. निज्जर खालिस्तान टास्क फोर्स (KTF) का प्रमुख था. उसे भारत ने नामित आतंकवादी घोषित किया था. साथ ही उसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम भी था. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने सिक्‍योरिटी कैमरे का हवाला देते हुए लिखा है कि निज्जर के मर्डर में कम से कम 6 लोग शामिल थे, जो दो गाड़ियों से इस वारदात को अंजाम देने आए थे.

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वाशिंगटन पोस्ट मे छपी खबर में वीडियो का हवाला देते हुए लिखा गया है कि निज्जर की हत्या गुरुद्वारे की पार्किंग के पास हुई थी. निज्जर की हत्या गुरुद्वारे के सिक्योरिटी कैमरे में कैद हो गई. अमेरिकी अखबार ने दावा किया है कि उनकी तरफ से 90 सेकंड के इस वीडियो रिकॉर्डिंग का रिव्यू किया गया है. अखबार का कहना है कि इससे पता चलता है कि निज्जर के मर्डर की प्लानिंग बड़े स्तर पर की गई थी.

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जिसके मुताबिक इस वीडियो में निज्जर के ग्रे पिकअप ट्रक को पार्किंग स्थान से बाहर निकलते हुए दिखाया गया है. इसी दौरान एक सफेद सेडान, ट्रक को ओवरटेक करती है. और फिर ट्रक का रास्ता ब्लॉक कर देती है. तभी स्वेटशर्ट पहने दो आदमी ट्रक की ओर बढ़ते हैं. रिपोर्ट में लिखा गया है कि वहां से 100 यार्ड की दूरी पर गुरुद्वारे का एक वॉलंटियर भूपिंदरजीत सिंह फुटबॉल खेल रहा था. उसे आवाजें सुनाई देती हैं. उसे लगता है कि पटाखे फूट रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, तभी उसे खयाल आता है कि गोलियां चली हैं और कहीं उनके प्रेजिडेंट (निज्जर) को तो गोलियां नहीं मारी गईं!

भूपिंदरजीत सिंह इसके बाद ट्रक के पास पहुंचता है. जहां हर जगह खून और टूटा हुआ शीशा जमीन पर पड़ा था और निज्जर को गोलियों से भून दिया गया था. 

साल 1995 में कनाडा चला गया निज्जर
कौन था निज्जर?

निज्जर मूल रूप से पंजाब के जालंधर जिले का रहने वाला था और साल 1995 में कनाडा चला गया था. तबसे ही उसका 'खालिस्तानी आतंकवाद' से जुड़ाव हो गया था. शुरुआत में वो बब्बर खालसा नाम के खालिस्तानी संगठन से जुड़ा रहा. साल 2007 में लुधियाना में शिंगार सिनेमा ब्लास्ट हुआ और साल 2009 में पटियाला में राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुल्दा सिंह की हत्या. इन दोनों घटनाओं में निज्जर का हाथ बताया गया. नवंबर 2020 में डेरा अनुयायी मनोहर लाल अरोड़ा और रोपड़ के एक गांव के सरपंच  अवतार सिंह की हत्या में निज्जर का नाम आया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निज्जर कनाडा के सरे शहर में गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल उर्फ ​​अर्श डाला का भी साथी बन गया था. पंजाब और कनाडा में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वो पैसे से जुड़े अपराधों में भी शामिल था और इसीलिए वो कनाडा के कई और गिरोहों के निशाने पर भी था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा के ‘सरे’ शहर में 18 जून की सुबह 6 बजे के करीब निज्जर की हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. निज्जर इलाके के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे का मुखिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने गुरुद्वारे के परिसर में जाकर उसे नजदीक से गोलियां मारीं. उस वक़्त निज्जर अपनी पिकअप ट्रक में था.

अंग्रेजी अख़बार फर्स्ट पोस्ट की एक खबर के मुताबिक, निज्जर बीते 4 सालों से गुरुद्वारा चला रहा था. आशंका थी कि वो गुरूद्वारे में आने वाले पैसे का गबन कर उसका इस्तेमाल पंजाब में आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए कर रहा था. उसको भारत में जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी करार दिया गया था. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने सितंबर 2020 ने भारत में उसकी संपत्ति जब्त कर ली थी. इससे पहले साल 2016 में इंटरपोल ने उसके खिलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था. साल 2018 में आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के संदेह पर कनाडा के सरे शहर की पुलिस ने उसे घर में नजरबंद कर दिया था. बाद में निज्जर को छोड़ दिया गया.

इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक, कनाडा के वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन (WSO) ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत की खुफिया एजेंसियों का हाथ होने का आरोप लगाया था. इस संगठन ने कनाडा के प्रशासन से निज्जर की हत्या की पूरी तरह जांच करने की मांग की थी. ये भी दावा किया है कि निज्जर को डर था कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियां उसे निशाना बना सकती हैं. 

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