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हल्द्वानी हिंसा मामले में 30 से ज़्यादा गिरफ़्तार, बरामद किए गए थाने से 'लूटे गए' गोला-बारूद!

Nainital SSP प्रहलाद मीना ने Haldwani Violence मामले में बताया कि मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की गिरफ़्तारी नहीं हो पाई है.

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आरोपियों के पास से हथियार बरामद करने के बाद कड़ी कार्रवाई की जा रही है. (फोटो - आजतक)

उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा (Haldwani Violence) के बाद 25 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. गिरफ़्तार लोगों में ज़्यादातर लोग नैनीताल ज़िले से ही हैं. नैनीताल के SSP प्रह्लाद मीना ने ये जानकारी दी कि आरोपियों के पास से अवैध हथियार और कारतूस भी बरामद किए गए हैं. इसमें बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन से कथित तौर पर लूटे गए गोला-बारूद भी शामिल हैं. 

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक़, मामले की छानबीन और आरोपियों पर तेज़ी से कार्रवाई के लिए कई टीमें गठित की गई हैं. पुलिस का कहना है कि मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को भी गिरफ़्तार कर लिया जाएगा. मलिक ने ही कथित तौर पर अवैध ढांचा बनाया था, और इसी ढांचे के गिराए जाने के बाद शहर में हिंसा भड़क गई थी. हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई और पुलिस-प्रशासन से जुड़े लोगों समेत 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए.

SSP के मुताबिक़, अब तक कुल 30 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. इसमें से 25 लोगों की गिरफ़्तारी बीते 24 घंटों के अंदर हुई है. 

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पुलिस लगातार उपद्रवियों की तलाश में जुटी हुई है. बनभूलपुरा थाना को फिर से स्थापित किया जा चुका है. संदिग्ध इमारतों के बारे में भी खोजबीन जारी है. ड्रोन और सीसीटीवी से हर जगह पुलिस की नज़र है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, अब्दुल मलिक ने अतिक्रमण पर कार्रवाई से पहले हमले की तैयारी कर ली थी. वो ख़ुद को ‘मलिक का बगीचा’ का मालिक बताता है.

वहीं, सूबे के मुख्यमंत्री धामी मामले नज़र बनाए हुए हैं. धामी ने X पर किए पोस्ट में बताया,

“हल्द्वानी में हुई घटना में शामिल उपद्रवियों और अराजक तत्वों पर कार्रवाई जारी है. सभी दंगाइयों को एक-एक कर गिरफ़्तार किया जा रहा है. प्रदेश में जो भी अवैध अतिक्रमण हैं, उस पर निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी. इस अभियान को रोका नहीं जाएगा.”

इससे पहले शनिवार, 10 फ़रवरी को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था कि बनभूलपुरा में 4 CAPF की कंपनियां तैनात की जाए. मुख्य सचिव ने क़ानून व्यवस्था को बिगाड़ने की साज़िश को देखते हुए ये मांग की थी. मांग पर सरकार ने फ़ोर्स की तैनाती की भी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस हमले की तैयारी पहले से कर ली गई थी. हमले से एक हफ़्ते पहले इंटेलिजेंस ने प्रशासन को अलर्ट रिपोर्ट दिया था. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि मस्जिद और मदरसे को हटाने की कार्रवाई पर अब्दुल मलिक के साथ मुस्लिम संगठन और कट्टरपंथी लोग विरोध कर सकते हैं.

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