गुजरात के नरोदा गाम दंगा मामले में स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 28 फरवरी 2002 को, अहमदाबाद के नरोदा गांव में 11 लोगों की मौत हुई थी. इन सभी को जिंदा जला दिया गया था. इस मामले में माया कोडनानी के अलावा बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता जयदीप पटेल और नरोदा पुलिस थाने के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर वी एस गोहिल समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें से 17 लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी थी. बाकी बचे 69 आरोपियों को बरी कर दिया गया. ये सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
गुजरात दंगा: नरोदा नरसंहार मामले में बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपी बरी
नरोदा गाम दंगे में 11 लोगों की मौत हुई थी.
मामले में करीब 182 गवाहों से पूछताछ की गई थी. स्पेशल जज शुभादा कृष्णकांत बक्शी ने 5 अप्रैल को सुनवाई पूरी की थी. आरोपियों के खिलाफ मर्डर, हत्या का प्रयास, आपराधिक साजिश, दंगे करना, सांप्रदायिक सदभावना को बिगाड़ने, डकैती जैसे मामलों में केस दर्ज थे.
नरोदा गांव में क्या हुआ था?27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन जलाए जाने के एक दिन बाद पूरे गुजरात में दंगे शुरू हो गए. 28 फरवरी 2002 की सुबह नरोदा गांव में भी सुबह-सुबह हिंसा शुरू हो गई थी. माया कोडनानी पर आरोप लगा कि उन्होंने हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में हिंसा के लिए उकसाया. जिसके बाद भीड़ ने नरोदा गांव के कुंभर वस इलाके में कई घरों को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की मौत हुई थी. घटना के बाद नरोदा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ था.
मामले की जांच के लिए SIT बनाई गई. SIT ने अपनी जांच में तत्कालीन नरोदा विधायक माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया. माया कोडनानी बाद में राज्य की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी बनीं. जांच के बाद 2009 में ट्रायल शुरू हुआ. गवाहों में वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नाम भी शामिल है. 18 सितंबर 2017 को तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने माया कोडनानी के समर्थन में गवाही दी थी.
तब अमित शाह ने कोर्ट में कहा था कि उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा था. उन्होंने कहा था,
"मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हॉस्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं. लेकिन 11 बजे से लेकर साढ़े 11 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में देखा था."
गुजरात दंगों की जांच नानावती आयोग ने की थी. आयोग ने गवाहों के हवाले से कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को पुलिस से कोई मदद नहीं मिली थी. पुलिस शाम में घटनास्थल पर पहुंची थी. वहीं, कई पुलिस अधिकारियों ने आयोग के सामने कहा था कि वे नरोदा गाम इसलिए नहीं पहुंच सके क्योंकि वे उसी दौरान नरोदा पाटिया में हो रहे दंगों से निपटने में लगे थे.
नरोदा पाटिया नरसंहार में 97 लोग मारे गए थे. नरोदा पाटिया मामले में ट्रायल कोर्ट ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया. हालांकि बजरंगी की सजा बरकरार रही थी.
वीडियो: NCERT की किताबों में महात्मा गांधी, नथुराम गोडसे और गुजरात दंगों पर क्या जानकारी बदली है?