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गुजरात में पुलिसवाले ही करवा रहे थे पुलिस की जासूसी, शराब माफिया से जुड़ा है मामला

15 से ज्यादा अधिकारियों के लोकेशन ट्रैक करवाए.

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सांकेतिक तस्वीरें (साभार- आज तक)

अक्सर पुलिसवाले अपराधियों को पकड़ने के लिए मुखबिर रखते हैं. किसी खास इलाके में खास मुखबिर. जिसे हम सूत्र भी कहते हैं. खबरों में अक्सर आपने इस 'सूत्र' शब्द का इस्तेमाल होते देखा होगा. लेकिन गुजरात पुलिस के कुछ कर्मचारी अपने ही कुछ साथी की मुखबिरी कर रहे हैं. भरूच जिले में दो पुलिस कॉन्स्टेबल पर जासूसी करने का आरोप लगा है. दोनों कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. सिपाहियों पर आरोप है कि वो स्टेट मॉनिटरिंग सेल के अधिकारियों की जासूसी कर रहे थे.

इंडिया टुडे से जुड़ीं गोपी घांघर की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट मॉनिटरिंग सेल सीधे डीजीपी को रिपोर्ट करता है. मॉनिटरिंग सेल जब भी अवैध शराब माफिया पर छापेमारी के लिए पहुंचता था, वहां से माफिया भाग जाते थे. शक होने के बाद मॉनिटरिंग सेल ने जांच शुरू की. स्टेट मॉनिटरिंग सेल की एसपी निर्लिप्त राय और भरूच की एसपी लीना पाटिल ने मामले की जांच की. इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

600 बार लोकेशन ट्रैक हुआ

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि दोनों आरोपी कॉन्स्टेबल मॉनिटरिंग सेल के इंस्पेक्टर और IPS अधिकारियों के मोबाइल लोकेशन ट्रैक करते थे. ये ट्रैकिंग मोबाइल कंपनी के जरिये करवाई जा रही थी. पिछले तीन महीनों में दोनों ने अलग-अलग डिपार्टमेंट के 15 से ज्यादा अधिकारियों के लोकेशन ट्रैक करवाए. जांच के मुताबिक कम से कम 600 बार लोकेशन की ट्रैकिंग करवाई गई.

रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पुलिस कॉन्स्टेबल शराब माफियाओं को कार्रवाई करने जा रही टीम की लोकेशन पहुंचाते थे. एक बार जब पुलिस टीम देवगढ़ बारिया छापेमारी पहुंची तो टीम पर ही फायरिंग हो गई थी. इसके बाद गृह विभाग ने जांच का आदेश दिया था.

जांच रिपोर्ट आने के बाद राज्य के डीजीपी आशीष भाटिया ने दोनों कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया. गुजरात पुलिस अब मोबाइल कंपनी की भूमिका की भी जांच करेगी. कॉन्स्टेबल के अलावा कोई सीनियर अधिकारी भी शामिल है या नहीं, इसकी भी जांच की जाएगी. गृह विभाग ने कहा है कि अगर उनके खिलाफ सबूत मिलते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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