The Lallantop

'रेप, रेप होता है! चाहे पति पत्नी के साथ करे', मैरिटल रेप पर गुजरात हाई कोर्ट का बयान

पीड़िता का आरोप है कि उसके सास-ससुर और पति उसकी न्यूड वीडियो और फोटो लेकर वॉट्सऐप ग्रुप में शेयर करते थे.

post-main-image
गुजरात हाई कोर्ट (फोटो: सोशल मीडिया)

'रेप, रेप होता है. चाहे वो एक पति अपनी पत्नी के साथ करे.' एक केस की सुनवाई के दौरान गुजरात हाई कोर्ट ने ये कहा. हाई कोर्ट के तरफ से ये बयान तब आया है, जब सुप्रीम कोर्ट के सामने मैरिटल रेप के कई मामले लंबित हैं.

पुलिस की चार्जशीट में शिकायतकर्ता ने अपनी सास-ससुर और पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है. पीड़िता के आरोपी हैं कि उसके सास-ससुर उसके पति से उसकी न्यूड वीडियो और फोटोग्राफ लेने के लिए कहते थे. और, उसे वॉट्सऐप ग्रुप में शेयर करते थे.

मामला क्या है?

लाइव लॉ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पीड़िता के कमरे में CCTV कैमरे लगाया हुआ था. इससे दोनों अपने कमरे में लगी टीवी में अपने बेटे और बहू के प्राइवेट मोमेंट्स देखते थे और उन्हें रिकॉर्ड कर पॉर्न साइट्स पर अपलोड करते थे. कथित तौर पर उसके ससुर भी उसके साथ जबरदस्ती करते थे. 

पीड़िता का आरोप है कि वो तीनों पैसों के लिए ऐसा कर रहे थे. उन्हें अपना होटल बिकने से बचाना था औक इसके लिए पैसे चाहिए थे. जब उसने विरोध किया, तो उसके ससुर और पति ने उसका यौन उत्पीड़न किया. फिर चुप रहने की धमकी दी.

कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस दिव्येश ए. जोशी की बेंच ने मामले की सुनवाई की. भारतीय दंड संहिता के सेक्शन-375 के एक्सेपशन-2 के तहत पति को पत्नी से मर्जी के खिलाफ संबंध बनाने पर सजा नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने एक्सेपशन-2 को मानने से मना कर दिया. कहा कि अमेरिका में 50 राज्यों ने और 3 ऑस्ट्रेलियन राज्यों में मैरिटल रेप अवैध है. और, इस आधार पर आरोपी को बेल देने से इंकार कर दिया.

ये भी पढ़ें - मैरिटल रेप, सेक्स एजुकेशन सुनते ही तिलमिलाने वालों को सुप्रीम कोर्ट की ये बातें बहुत चुभेंगी!

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ‘मैरिटल रेप के एक केस में सुनवाई करते हुए टीप्पणी की थी, कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से ज़्यादा है, तो ये भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता. ये कहते हुए अदालत ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जिस पर अपनी पत्नी के साथ जबरन अप्राकृतिक सेक्स करने के आरोप थे.

हाई कोर्ट और जजों के फ़ैसलों में इस तरह का टकराव सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले के सामने मामले को और पेचीदा कर सकता है.