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मुस्लिम महिला को कॉलोनी वाले रहने नहीं दे रहे, कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने से मना कर दिया, पूरा मामला जानिए

सरकारी योजना में मुस्लिम महिला को मकान एलॉट हुआ था. लेकिन स्थानीय लोग रहने नहीं दे रहे. गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस मामले में टिप्पणी की है.

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साल 2017 में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मोटनाथ रेजिडेंसी में एक मुस्लिम महिला को आवास एलॉट हुआ था. (फोटो- ट्विटर)

गुजरात के वडोदरा में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक मुस्लिम महिला को मकान एलॉट (Gujarat Muslim Woman Flat) किया गया. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध जताया. मामला सामने आया तो सोशल मीडिया पर इसका काफी विरोध हुआ. लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने से मना कर दिया है. कोर्ट ने महिला को खुद से याचिका दायर करने की सलाह दी है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बृजेश त्रिवेदी ने चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की बेंच के समक्ष रिपोर्ट का उल्लेख किया. उन्होंने कोर्ट से मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. जस्टिस प्रणव त्रिवेदी ने कहा,

“अब वडोदरा नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि इसका फैसला केवल अदालत ही कर सकती है. VMC इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगी.”

रिपोर्ट के मुताबिक मामले को लेकर चीफ जस्टिस सुनीता ने कहा,

“मुस्लिम महिला अपनी याचिका खुद दायर कर सकती है. वो सक्षम है, उसे आने दीजिए, हम आदेश पारित करेंगे. अगर एलॉटमेंट के बाद पजेशन नहीं दिया जाता है, तो वो कोर्ट आ सकती हैं. उन्हें अपनी याचिका दायर करने दीजिए. हम हर मुद्दे पर संवेदनशील नहीं हो सकते. जिस व्यक्ति के अधिकार का हनन हो रहा है, उसके पास उपाय हैं, उसे आना चाहिए. ये जनहित का मामला नहीं है.”

मामला क्या है?

दरअसल, वडोदरा के हरणी इलाके में मोटनाथ रेजीडेंसी बनाई गई थी. यहां मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 461 मकान बने थे. और पिछले 6-7 सालों से लोग यहां रह रहे हैं. आजतक के संवाददाता दिग्विजय पाठक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मोटनाथ रेजिडेंसी में एक मुस्लिम महिला को आवास एलॉट हुआ. महिला सरकारी कर्मचारी है. उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय की एक शाखा में काम करती है. हालांकि, उनके वहां जाने से पहले ही इस रेजिडेंसी के निवासियों ने जिला कलेक्टर और दूसरे अधिकारियों को एक लिखित शिकायत भेज दी. जिसमें किसी मुस्लिम के वहां रहने पर आपत्ति जताई गई. और उनकी मौजूदगी से होने वाले ‘संभावित खतरे’ और ‘विवाद’ का हवाला दिया गया. अधिकारियों के मुताबिक, वो रेजिडेंसी में एकमात्र मुस्लिम हैं, जिनको मकान आवंटित हुआ है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस विरोध की शुरुआत 2020 में हुई थी. तब स्थानीय लोगों ने CMO को पत्र लिखकर उनके घर के आवंटन को कैंसिल करने की मांग की थी. हालांकि, उस वक्त हरणी पुलिस ने सभी संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए और केस बंद कर दिया था. अब विरोध फिर से शुरू हुआ है. और इसे 'रिप्रेजेंटेशन इन पब्लिक इंटरेस्ट' बताते हुए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, नगर निगम और  वडोदरा के पुलिस कमिश्नर को दी गई शिकायत में 33 लोगों ने सिग्नेचर किया है. इनकी मांग है कि लाभार्थी को आवंटित आवास को कैंसिल किया जाए और लाभार्थी को किसी दूसरी आवास योजना में ट्रांसफर कर दिया जाए.

‘अशांत क्षेत्र अधिनियम’ की बात सामने आई

स्थानीय लोग मुस्लिम परिवार को मकान एलॉट करने के विरोध में कई वजहें गिना रहे हैं. जैसे अलग धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक बैकग्राउंड. और गुजरात का ‘अशांत क्षेत्र अधिनियम’. अब ये अधिनियम है क्या?

ये कानून गुजरात में अशांति से प्रभावित क्षेत्रों में अचल संपत्तियों के हस्तांतरण से संबंधित है. साल 1986 में बने इस कानून के मुताबिक ज़िला कलेक्टर को शहर या कस्बे के किसी भाग को ‘अशांत क्षेत्र’  के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार है. और इन क्षेत्रों में किसी भी अचल संपत्ति का पंजीकरण कराने से पहले खरीदार और संपत्ति के विक्रेता द्वारा दिये गए आवेदन पर ज़िला कलेक्टर की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है. राज्य सरकार के मुताबिक, इस कानून का उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मामलों की निगरानी करना है. दिग्विजय पाठक की रिपोर्ट के मुताबिक वडोदरा का ये इलाका साल 2020 में अशांत क्षेत्र के तौर पर अधिसूचित हुआ था.

प्रशासन ने क्या कहा?

अब चलते हैं कि इस मामले पर प्रशासन की प्रतिक्रिया ओर से क्या. वड़ोदरा म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्टेंडिंग कमिटी के अध्यक्ष डॉ शीतल मिस्त्री का कहना है की मुख्यमंत्री आवास योजना में किसी को ड्रॉ में हिस्सा लेने से नहीं रोका जा सकता. और ये ड्रॉ साल 2017 में निकाला गया था. ड्रॉ में मुस्लिम महिला को मकान एलॉट हुआ. और अब इसे कैंसिल नहीं किया जा सकता.

उधर स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष ये भी कह रहे हैं कि प्रशासन लीगली अब कुछ नहीं कर सकता. इसमें सिर्फ मुस्लिम महिला को समझाया जा सकता है की वो इस मकान को छोड़ दें. जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा वक्त में वो मुस्लिम महिला अपने पेरेंट्स और बेटे के साथ वडोदरा के दूसरे इलाके में रहती हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में महिला ने बताया कि वो सिर्फ इस विरोध के कारण अपनी मेहनत से कमाई गई संपत्ति बेचना नहीं चाहती. वो इंतजार करेंगी. महिला ने बताया कि उन्होंने कॉलोनी की मैनेजिंग कमेटी से बार-बार समय लेने की कोशिश की. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. हालिया विरोध से दो दिन पहले उन्हें रखरखाव का बकाया मांगने के लिए बुलाया गया था. जिस पर महिला ने कमेटी से कहा कि अगर वो उन्हें निवासी के तौर पर शेयर सर्टिफिकेट देंगे तो वो इसे देने के लिए तैयार हैं.

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