RTI एक्टिविस्ट अमित जेठवा हत्याकांड (Amit Jethwa murder case) मामले में एक बड़ा फैसला आया है. गुजरात हाई कोर्ट ने मामले में भाजपा के पूर्व सांसद सहित छह अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने CBI द्वारा दिए गए फैसले को पलट दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच में शुरुआत से ही लापरवाही की गई है.
एक्टिविस्ट अमित जेठवा हत्याकांड में पूर्व BJP सांसद को HC ने किया बरी, उसी के गेट के बाहर हुई थी हत्या
बेंच ने अपने फैसले में पुलिस के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट द्वारा मामले को संभालने के तरीके की भी आलोचना की. साथ ही ये भी कहा कि मामले की सच्चाई को दबाने के लिए सभी प्रयास किए गए.

गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस विमल के व्यास की बेंच ने अमित जेठवा मामले में 6 मई को सुनवाई की. फैसला सुनाते हुए बेंच ने भाजपा के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी सहित छह लोगों को बरी कर दिया. बेंच ने मामले में CBI के फैसले को रद्द करते हुए ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा,
“अपराध की शुरुआत से ही पूरी जांच लापरवाही और पूर्वग्रह से ग्रस्त प्रतीत होती है.”
बार एंड बेंच में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने अपने फैसले में पुलिस के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट द्वारा मामले को संभालने के तरीके की भी आलोचना की. साथ ही ये भी कहा कि सच्चाई को दबाने के लिए सभी प्रयास किए गए. कोर्ट ने कहा,
हाई कोर्ट के गेट के बाहर हुई थी हत्या“घटनास्थल पर पुलिस अधिकारियों के पहुंचने के समय को ध्यान में रखते हुए, ये देखना भयावह और उतना ही आश्चर्यजनक है कि हमलावरों को पकड़ा नहीं गया और वो भाग निकले. ये सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए गए कि सच्चाई हमेशा के लिए दफन हो जाए. अभियोजन पक्ष गवाहों का विश्वास सुरक्षित करने में विफल रहा है. ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों का ठीक से विश्लेषण नहीं किया है. ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य था कि वो कानून को लिखित रूप में लागू करे, लेकिन वो ऐसा करने में विफल रहा.”
अमित जेठवा को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत अवैध खनन से संबंधित मामलों पर मामले दर्ज करने के लिए जाना जाता था है. जुलाई 2010 में गुजरात हाई कोर्ट के गेट के बाहर मोटरसाइकिल पर सवार दो हमलावरों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हत्या से करीब एक महीने पहले जेठवा ने गिर जंगल के आसपास अवैध खनन के आरोपों से जुड़ी एक याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी. याचिका में बताया गया था कि भाजपा सांसद दीनू सोलंकी अवैध खनन की गतिविधियों में शामिल थे. कोर्ट ने इस मामले की CBI जांच के आदेश साल 2012 में दिए. CBI की एक विशेष अदालत ने 2019 में अपना फैसला सुनाया. हत्या के मामले में सोलंकी और उनके भतीजे शिवा को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.
वीडियो: अप्राकृतिक शारीरिक संबंध को लेकर MP हाई कोर्ट ने क्या कहा?