बच्चेदानी के मुंह के कैंसर (Cervical Cancer) से बचाव के लिए केंद्र सरकार महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. इस बीमारी से बचाने के लिए जल्द ही 9-14 साल की लड़कियों को टीका लगाया जाएगा. सरकार की तरफ से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) वैक्सीनेशन का कैंपेन चलाया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे कैंपेन को तीन भागों में बांटा जाएगा और तीन साल में पूरा किया जाएगा. अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पहला फेज़ तब शुरू किया जाएगा, जब सरकार के पास करीब 7 करोड़ वैक्सीन का स्टॉक इकट्ठा हो जाएगा.
खुशखबरी! बच्चेदानी के कैंसर की वैक्सीन पर जल्द हो सकता है बड़ा ऐलान, इस उम्र की लड़कियों को लगेगा टीका
वैक्सीन का नाम सर्वावैक (Cervavac) है. इसे सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने बनाया है. सरकार जल्दी ही वैक्सीन के लिए कैम्पेन चला सकती है.
बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के अलावा HPV के दूसरे स्ट्रेन जिनसे गुदा, योगी और गले में कैंसर होने की आशंका रहती, उनके लिए भी ये वैक्सीन कारगर होगी. इसके अलावा महिलाओं के जननांगों में होने वाले त्वचा संबंधी कैंसर रोकने में भी ये वैक्सीन काम करेगी.
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फिलहाल, दो खुराक वाली HPV वैक्सीन बाज़ार में लगभग 2,000 रुपये प्रति खुराक पर उपलब्ध है. पर एक बार जब सरकार इसे अपने टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लेगी, तो यह टीका भी मुफ्त में लगाया जाएगा. सरकार के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि फिलहाल उन राज्यों को चुना जा रहा है, जहां से इस टीकाकरण की शुरुआत की जाएगी. उन्होंने बताया कि,
देशभर में 9 से 14 साल की उम्र की लगभग 8 करोड़ ऐसी बच्चियां हैं, जिन्हें वैक्सीन लगायी जानी है. इन्हें तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. पहले साल के दौरान करीब 2.6 करोड़ बच्चों को वैक्सीन लगाई जाएगी. इसके साथ ही पहले साल में 50 लाख से एक करोड़ बच्चियां अपने 9वें साल में प्रवेश करेंगी. जिन्हें भी अगले साल वैक्सीन की डोज़ देनी होगी.
सर्वाइकल कैंसर, दूसरा ऐसा कैंसर है जिससे भारत में सबसे ज्यादा महिलाएं ग्रसित होती हैं. दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित हर पांचवी महिला भारतीय है. देश में हर साल 1.25 लाख महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित होती हैं और इससे करीब 75 हजार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
इस वैक्सीन का नाम सर्वावैक (Cervavac) है. इसे सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(SII) ने बनाया है. SII का कहना है कि वो हर साल 20-30 लाख इस वैक्सीन की डोज़ बनाते हैं. उनकी कोशिश है कि इस आंकड़े को जल्द ही 6-7 करोड़ डोज़ प्रति वर्ष तक बढ़ाया जाए.
टीकाकरण का ये कार्यक्रम स्कूलों में होगा और जहां पहले से टीकाकरण होता आया है, उन जगहों पर चलाया जाएगा.