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"राज्यपाल कैबिनेट के फैसलों के पालन के लिए बाध्य हैं", HC की अहम टिप्पणी

आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने पेरारिवलन (पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में दोषी) जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए सुनाया फैसला.

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मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि को कैबिनेट के फैसले का पालन करना चाहिए. (फोटो- इंडिया टुडे)

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य की कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. अदालत ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी की शीघ्र रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है.

20 साल सजा काट चुका है आरोपी

इंडिया टुडे में जुड़ीं दीप्ति राव की रिपोर्ट के मुताबिक मामला पुझल जेल में हत्या के केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे याचिकाकर्ता वीरबरथी से जुड़ा है. वीरबरथी ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका लगाई थी. इससे पहले उसने जेल DGP की अध्यक्षता वाली राज्य कमेटी को एक याचिका प्रस्तुत की थी. इसमें अच्छे आचरण के आधार पर रिहाई का अनुरोध किया गया था. वीरबरथी 20 साल जेल की सजा काट चुका है.

अपनी याचिका में वीरबरथी ने तर्क दिया कि समान तरह के अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए अन्य कैदियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था. उसने कहा कि गहन समीक्षा के बाद राज्य कमेटी ने उसकी रिहाई की सिफारिश की थी. ये सिफारिश जरूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ मुख्यमंत्री को भेजी गई थी. कैबिनेट द्वारा पास किए जाने के बाद वीरबरथी का लेटर स्वीकृति के लिए गवर्नर के पास भेजा गया था. हालांकि, वीरबरथी ने बताया कि गवर्नर ने उनकी रिहाई के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया

रिपोर्ट के अनुसार मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एस एम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगनम की बेंच ने पेरारिवलन (पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में दोषी) जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया. शीर्ष अदालत ने इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारिवलन को 30 साल से अधिक समय जेल में बिताने के बाद 18 मई 2022 को रिहा करने का आदेश दिया था.

वीरबरथी की याचिका पर कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि गवर्नर राज्य की कैबिनेट के फैसले के अनुसार काम करने के लिए बाध्य हैं. याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए बेंच ने उसे अंतरिम जमानत दे दी. इसके साथ ही उसकी याचिका पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया.

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