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5 लाख रुपये में बिकने वाली घोल मछली बनी गुजरात की स्टेट फिश, इसका मतलब क्या है?

घोल मछली को मछुआरों के लिए लॉटरी जैसा बताया जाता है. दावा किया जा रहा है कि इसे पकड़ने वाले मछुआरे करोड़ो में कमाते हैं. जानें ये मछली इतनी महंगी क्यों है और स्टेट फिश का मतलब क्या है?

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एक घोल मछली की कीमत 5 लाख रुपये तक होती है. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे)

गुजरात सरकार ने घोल मछली को स्टेट फिश का दर्जा दिया है (Ghol Fish Gujarat State). मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मछली की कीमत 5 लाख रुपये तक होती है. कीमत के अलावा कुछ विशेष गुणों के कारण ही घोल मछली को गुजरात की स्टेट फिश घोषित किया गया है. इस मछली का इस्तेमाल दवा और शराब बनाने के लिए किया जाता है. चीन में इस मछली की काफी मांग है.

बीती 21-22 नवंबर को गुजरात में 'ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023' का आयोजन किया गया था. अहमदाबाद के साइंस सेंटर में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे. उन्होंने घोल मछली को गुजरात स्टेट फिश बनाने की घोषणा की. इसके बाद, इस मछली की कीमत और विशेषताओं की चर्चा होने लगी. 

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अविनाश नायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, घोल मछली आसानी से उपलबध नहीं होती. रिपोर्ट में गुजरात के कमिश्नर ऑफ फिशरीज नितिन सांगवान के हवाले से लिखा गया है कि इस मछली को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि इसको विलुप्त होने से बचाया जा सके. सांगवान ने बताया है कि स्टेट फिश की दौड़ में रिबन, पोम्फ्रेट और बॉम्बे डक जैसी कई अन्य प्रजातियों को भी नॉमिनेट किया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, महंगी मछली होने के कारण स्थानीय स्तर पर घोल फिश की बहुत ज्यादा खपत नहीं है. लेकिन चीन और कुछ अन्य देशों में इसकी खूब मांग है. नेटवर्क फॉर फिश क्वालिटी मैनेजमेंट (NETFISH) के राज्य समन्वयक जिग्नेश विसावदिया ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि घोल मछली मछुआरों के लिए लॉटरी के जैसी है. कई देशों में इसके स्वाद को खूब सराहा जाता है. इसे यूरोप और मिडिल-ईस्ट के देशों में निर्यात किया जाता है. इसके अलावा दवा बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. चीन, हांगकांग समेत कई अन्य एशियाई देशों में घोल मछली के एयर ब्लैडर को सूखा कर निर्यात किया जाता है. इसी सूखे एयर ब्लैडर से दवाई बनाई जाती है.

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एक मछली की कीमत 5 लाख

जिग्नेश विसावदिया ने कहा कि गुजरात में एक किलोग्राम घोल मछली की कीमत 5 हजार रुपये से 15 हजार रुपये के बीच है. इस मछली का सूखा हुआ ब्लैडर ज्यादा महंगा बिकता है. इसकी कीमत 25 हजार रुपये तक जाती है. विसावदिया के अनुसार इस प्रजाति की एक मछली का वजन 25 किलो तक हो सकता है. वहीं, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एक घोल मछली की कीमत 5 लाख रुपये तक पहुंच जाती है.

घोल मछली गुजरात और महाराष्ट्र के समुद्री इलाके में पाई जाती है. गुड न्यूज टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार इसका इस्तेमाल बीयर और वाइन बनाने के लिए भी किया जाता है. इसका ब्लैडर और मांस अलग-अलग बेचा जाता है.

स्टेट फिश का मतलब क्या है?

नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (NFDB) की वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी उपलब्ध है. किसी मछली को स्टेट फिश घोषित करने का उद्देश्य होता है राज्य द्वारा उस मछली को अडॉप्ट करना. साथ ही उस मछली की जैव विविधता का संरक्षण करना. मतलब कि इस बात का ध्यान रखना कि किसी कारण से उस मछली की प्रजाति विलुप्त ना हो जाए. 

सरकार की इस वेबसाइट के अनुसार 2006 में 16 राज्यों की स्टेट फिश की एक सूची तैयार की गई थी. इस बारे में और अधिक जानकारी मिलती है केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) की वेबसाइट पर. ये संस्था भारत में समुद्री मत्स्य संसाधनों की देखरेख करती है. CMFRI की 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 17 राज्यों ने स्टेट फिश की घोषणा की है. अब इस लिस्ट में गुजरात का नाम भी शामिल हो गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, 17 राज्यों द्वारा मछलियों की 13 प्रजातियों को स्टेट फिश बनाया गया है. इनमें से 2 प्रजाति की मछलियों की संख्या लगातार घट रही है. वहीं 5 ऐसी मछलियां हैं जो लुप्त होने के कगार पर हैं.

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