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'गुलाम' देश का वो प्रधानमंत्री जो एयरपोर्ट्स घूम-घूम कर अपने देश को यूके से भी आगे ले गया

George Mack Ideas: कहानी में बताया गया है कि कैसे प्रवासियों ने एक देश को बनाया और ऐसा बनाया कि ये देश उस देश से भी आगे निकल गया, जिसने कभी उसके ऊपर कब्जा किया था, उसे अपना उपनिवेश बनाया था. और इस कहानी के केंद्र में हैं उस देश के एयरपोर्ट्स.

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George Mack ने सिंगापुर के एयरपोर्ट्स से जुड़ी एक कहानी शेयर की है. (फोटो: कॉमन सोर्स)

दुनियाभर में इस समय धुर-दक्षिणपंथ का उभार हो रहा है. ऐसा चुनावी रिजल्ट भी बता रहे हैं और तमाम बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक भी. हर विचारधारा की तरह धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा के भी कुछ पहलू हैं, जिनसे उसे पहचाना जाता है. एक ऐसा ही पहलू है प्रवासियों का विरोध. मतलब, दूसरे देश से आने वाले लोगों का विरोध. उनके प्रति घृणा भरी बयानबाजी. देश की तमाम समस्याओं की जिम्मेदारी प्रवासियों पर डाल देने का ट्रेंड.

लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक कहानी शेयर हो रही है. इसे जॉर्ज मैक नाम के एक इंटरनेशनल इन्फ्लुएंसर ने लिखा है. जॉर्ज मैक नए-नए आइडियाज देने के लिए जाने जाते हैं. अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसे रीपोस्ट किया है. इस कहानी में बताया गया है कि कैसे प्रवासियों ने एक देश को बनाया और ऐसा बनाया कि ये देश उस देश से भी आगे निकल गया, जिसने कभी उसके ऊपर कब्जा किया था, उसे अपना उपनिवेश बनाया था. और इस कहानी के केंद्र में हैं उस देश के एयरपोर्ट्स. कैसे? तो पढ़िए पूरी कहानी.

क्या है कहानी में?

कहानी की शुरुआत होती है एक बोल्ड सब हेडिंग से. इसमें लिखा है- The most under discussed immigration policy. यानी वो प्रवासी नीति जिसके ऊपर सबसे कम चर्चा की गई. कहानी में आगे सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ली क्वान यू का जिक्र है. लिखा है कि ली क्वान किसी एयरपोर्ट से निकलने के बाद शहर में कुछ मील तक तय की गई दूरी के दौरान हुए अनुभव पर खासा ध्यान देते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि यह अनुभव उस देश में भविष्य में बसने आ रहे हुनरमंद नागरिकों के लिए जरूरी था.

कहानी में आगे लिखा गया गया है कि एयरपोर्ट तक पहुंचने और एयरपोर्ट तक पहुंचने का अनुभव किसी भी जगह की छवि के लिए पहला और आखिरी अनुभव है. ये मन में रह जाता है. किसी से भी पूछिए, लोगों को बस शुरुआत और अंत की ही बातें याद रह जाती हैं.

आगे लिखा गया कि ली क्वान यू अपने देश के एयरपोर्ट्स के दौरे किया करते थे. देखते थे कि टॉयलेट्स साफ हैं या नहीं, इमिग्रेशन वाले काउंटर्स पर कहीं काम धीमा तो नहीं हो रहा, लगेज किस तरह से हैंडल किया जा रहा है. मतलब, सब कुछ टॉप क्वालिटी का होना चाहिए. ली क्वान यू नियमित तौर पर ये फीडबैक लेते थे कि आखिर शहर से एयरपोर्ट तक का सफर किस तरह से पहले से बेहतर किया जाए.

इस पूरी कवायद का लक्ष्य यही था कि सिंगापुर आने वालों नए लोगों को पहले ही कुछ किलोमीटर्स में वहां की सुंदरता दिखाकर बांध लिया जाए. ऐसा अनुभव दिया जाए कि लोग खुद से सवाल पूछने लगें कि आखिर वो यहां क्यों नहीं रह रहे हैं.

कहानी में आगे बताया गया कि इस कवायद के चलते सिंगापुर ने आर्थिक तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं. तीसरी दुनिया के एक देश से वो पहली दुनिया का देश बन गया. और इसमें सिर्फ एक पीढ़ी का ही समय लगा. इस समय इसकी प्रति व्यक्ति GDP यूनाइटेड किंगडम से भी ज्यादा है, जिसका कभी यहां कब्जा था.

आगे लिखा गया है कि देशों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनके यहां आने वाले लोगों का पहला अनुभव किस तरह का है. अगर पहला अनुभव ही अच्छा है, तो इसका बहुत गहरा असर पड़ता है.

इसी कहानी में जॉर्ड मैक ने अमेरिकी राज्य टेक्सस के ऑस्टिन एयरपोर्ट से जुड़ा अपना अनुभव शेयर किया है. मैक लिखते हैं कि जब वो ऑस्टिन एयरपोर्ट पहुंचे तो अपनी कैब लेने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी. तीन-तीन पॉर्किंग लॉट्स पार करने पड़े. उन्होंने लिखा कि जब वो ऐसा कर रहे थे तब उन्हें ली क्वान यू का खयाल आया कि वो अपने देश के एयरपोर्ट्स में ऐसी अव्यवस्था नहीं होने देते.

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आखिर में उन्होंने लिखा अगर अपने देश में हुनरमंद प्रवासियों को बुलाना है, तो उनके लिए पहला ही अनुभव अच्छा होना चाहिए. जॉर्ज मैक की इस पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए एलन मस्क ने लिखा कि ली क्वान यू शानदार व्यक्ति थे.

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