The Lallantop

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, घात लगाकर कुकी लोगों की हत्या करने में किसका हाथ?

ताजा हिंसा 12 सितंबर की सुबह 7 बजे कांगपोपकी और पश्चिमी इंफाल के बॉर्डर वाले इलाकों इरेंग और करम में हुई.

post-main-image
मणिपुर के कांगपोपकी जिले में 12 सितंबर की सुबह हुई हिंसा में मारे गए कुकी-ज़ोमी समुदाय के 3 लोग. (फोटो क्रेडिट - पीटीआई)

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है. 12 सितंबर की सुबह करीब 7 बजे यहां कुकी-ज़ोमी समुदाय के 3 आदिवासियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. आरोप है कि इन्हें एक प्रतिबंधित आतंकी समूह के आतंकवादियों ने गोली मारी.

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि ये घटना कांगपोपकी और पश्चिमी इंफाल के बॉर्डर वाले इलाकों इरेंग और करम में हुई. सुरक्षा बलों के सूत्रों ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि ये घात लगाकर किया गया हमला है.

न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक, कुकी-ज़ोमी समुदाय के 3 लोगों पर इरेंग गांव के पास हमला हुआ. वे एक गाड़ी से कहीं जा रहे थे. तीनों की मौत गोली लगने से ही हुई है. इरेंग और करम गांव पहाड़ी इलाके में आते हैं. और इनमें आदिवासी लोगों का वर्चस्व है.

ये भी पढ़ें- मणिपुर में बम-धमाके, गोलीबारी, 9 लोगों की मौत, एक सॉन्ग राइटर की मौत हो गई

8 सितंबर को हुई हिंसा में मारे गए थे 3 लोग

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मरने वालों की पहचान सतनेओ तुबोई, नगामिनलुन ल्हौवम और नगामिनलुन किपगेन के रूप में हुई है. इससे पहले 8 सितंबर को भी ऐसी ही एक घटना में 3 लोगों की मौत हो गई थी. ये घटना टेंग्नौपाल जिले के पल्लेल इलाके में हुई थी. इस हिंसा में 50 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे.

मणिपुर में 3 मई से मैतेई और कुकी आदिवासियों के बीच हिंसक संघर्ष चल रहा है. इस जातीय हिंसा में अभी तक 160 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहीं हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- बीरेन सिंह सरकार ने एडिटर्स गिल्ड पर FIR कर दी, मणिपुर हिंसा पर रिपोर्ट जारी की थी

राज्य में मैतेई समुदाय बहुसंख्यक है. इनकी जनसंख्या करीब 53% है और ये ज़्यादातर इंफाल के घाटी इलाके में रहते हैं. वहीं कुकी और नागा के अलावा तमाम आदिवासियों की जनसंख्या 40% है. ये ज़्यादातर राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं.

भारत ने खारिज किया UN का बयान

मणिपुर हिंसा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद बना हुआ है. कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी इस पर बयान दिया था. UN के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस हिंसा में 'बड़े स्तर पर हुए मानवाधिकार उल्लंघन' पर चिंता व्यक्त की थी. संस्था में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के विशेष दूत रीम अलसलेम और 8 विशेषज्ञों ने मणिपुर हिंसा पर चिंता जताई थी. हालांकि भारत ने उनकी रिपोर्ट को खारिज किया था. उसकी तरफ से कहा गया कि UN की ये रिपोर्ट 'गलत, अनुमानित और भ्रामक' है. 

ये भी पढ़ें- मणिपुर हिंसा पर UN ने रिपोर्ट में ऐसा क्या लिख दिया जो भारत ने कहा- "भड़काऊ है"

वीडियो: मणिपुर ग्राउंड रिपोर्ट : हिंसा की वो कहानियां, जो कहीं सुनी नहीं गईं