फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत की है. 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि UNSC के स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल किया जाना चाहिए. मैक्रों ने साथ ही ब्राजील, जापान, जर्मनी और अफ्रीका के दो देशों की उम्मीदवारी का भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को अधिक समावेशी बनाने के लिए प्रतिनिधि बढ़ाने की जरूर है.
"UNSC का स्थायी सदस्य बने भारत", इमैनुएल मैक्रों की बड़ी पहल
फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सिर्फ़ पांच देशों को स्थायी सीट मिली हुई है. इनमें अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. अमेरिका और फ्रांस समेत कई देश भारत को इस शक्तिशाली समूह का हिस्सा बनाने की वकालत करते रहे हैं. हालांकि, चीन इसके खिलाफ़ रहा है.

मैक्रों ने कहा,
"हमें संयुक्त राष्ट्र को और अधिक कुशल बनाना चाहिए. हमें इसे अधिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की आवश्यकता है और इसीलिए फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है. भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए. साथ ही दो ऐसे देश भी होने चाहिए जिन्हें अफ्रीका अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए तय करेगा."
फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ़ पांच देशों को स्थायी सीट मिली हुई है. इनमें अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. अमेरिका और फ्रांस समेत कई देश भारत को इस शक्तिशाली समूह का हिस्सा बनाने की वकालत करते रहे हैं. हालांकि, चीन इसके खिलाफ़ रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी क्वॉड लीडर्स समिट के बाद भारत की सदस्यता का समर्थन किया था. अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता दोहराई. इन देशों ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अन्य देशों में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात कही थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी UNSC में भौगोलिक प्रतिनिधित्व की बात कह चुके हैं. उन्होंने UNSC के इस दावे पर सवाल उठाया है कि जब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों को संयुक्त राष्ट्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, तो UN पूरी दुनिया की आवाज़ उठाने का दावा कैसे कर सकता है. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल कहा था,
"हम इसे वैश्विक निकाय के प्राथमिक अंग के रूप में कैसे देख सकते हैं, जब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों को नजरअंदाज कर दिया गया है? UN दुनिया की बात करने का दावा कैसे कर सकता है, जब सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है?"
स्थायी सदस्यों के अतिरिक्त, UNSC दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने गए गैर-स्थायी सदस्यों को भी मान्यता देता है. ये देश भी सुरक्षा परिषद के एजेंडे में योगदान देते हैं. हालांकि, उनके पास अपने स्थायी देशों की तरह वीटो पावर नहीं होती है. भारत को आठ बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है, जिसमें सबसे हालिया कार्यकाल 2021-22 का था.
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