'प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है. लेकिन आप इतनी दूर चले गए. नि:शब्द हूं. दुःखी हूं. बहुत याद आएंगे.'
”जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं. पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, लेकिन मुझे क्षमा करें.”हालांकि इस लेटर के बाद लालू प्रसाद यादव रघुवंश को चिट्ठी लिखी,
‘राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है. चार दशकों में हमने हर राजनीतिक सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में भी मिल बैठकर ही विचार किया है. आप जरूर स्वस्थ हों फिर बैठ के बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं! समझ लीजिए.रघुवंश प्रसाद बीते कुछ समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक, वैशाली के पूर्व लोजपा सांसद रामा सिंह के पार्टी में आने का वो विरोध कर रहे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में रामा सिंह ने रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में रघुवंश हार गए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में भी रघुवंश प्रसाद ने लालू यादव को पत्र लिखा था और पार्टी के कामकाज को लेकर असंतुष्टि जाहिर की थी. जानकार बताते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह पुराने तौर-तरीके से चलने वाले नेता रहे. जबकि तेजस्वी यादव किसी भी तरह चुनाव जीतना चाहते हैं. इसी के चलते रघुवंश और तेजस्वी में मतभेद रहे.
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