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DGP होकर महिला IPS का कार में किया यौन उत्पीड़न, अब कोर्ट ने ठिकाने लगा दिया

पूर्व डीजीपी को तीन साल की सजा सुनाई गई है. मद्रास हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस घटना को 'चौंकाने वाला' बताया था.

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तमिलनाडु सरकार ने 6 सदस्यों की जांच कमेटी बनाई थी (फाइल फोटो)

तमिलनाडु के पूर्व स्पेशल डीजीपी राजेश दास को महिला IPS के साथ यौन उत्पीड़न मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है. दास के खिलाफ दो साल पहले महिला अधिकारी ने उत्पीड़न का आरोप लगाया था. विल्लूपुरम कोर्ट ने राजेश दास पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने सस्पेंडेड IPS अधिकारी दास को जमानत भी दी. साथ ही फैसले के खिलाफ अपील के लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने चेंगलपट्टू के एसपी डी कन्नन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. एसपी पर आरोप लगा था कि उन्होंने महिला IPS अधिकारी को शिकायत दर्ज करवाने से रोकने की कोशिश की थी. महिला IPS ने 2021 में राजेश दास के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. तब राजेश दास तमिलनाडु के स्पेशल डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) थे.

कार के भीतर यौन उत्पीड़न का आरोप

रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना 21 फरवरी 2021 की है. दोनों अधिकारी चुनावी प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ई पलानीसामी की सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा थे. महिला अधिकारी ने आरोप लगाया था कि जब ड्यूटी के दौरान वो उलंदुरपेट जा रही थीं, तभी स्पेशल डीजीपी ने अपनी कार के भीतर उनका यौन उत्पीड़न किया था.

शिकायत के बाद CID क्राइम ब्रांच (CB-CID) ने स्पेशल डीजीपी और चेंगलपेट एसपी के खिलाफ केस दर्ज किया था. महिला अधिकारी ने ये भी आरोप लगाया था कि स्पेशल डीजीपी और दूसरे अधिकारियों ने शिकायत दर्ज करवाने से रोकने की कोशिश की थी. 

मद्रास हाई कोर्ट ने मार्च 2021 में इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने इसे 'चौंकाने वाला' और 'डरावना' बताया था. कोर्ट ने इस घटना की आलोचना करते हुए इसे 'असाधारण मामला' बताया और कहा था कि जांच में निगरानी की जरूरत है.

राजेश दास को सस्पेंड किया गया 

कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार ने राजेश दास को सस्पेंड कर दिया था. हालांकि इससे पहले ही सरकार ने जांच के लिए 6 सदस्यों की एक कमिटी बना दी थी. पूर्व डीजीपी के खिलाफ IPC की धारा 354-A (यौन उत्पीड़न), 341 (गलत तरीके से रोक लगाना), 501(1) (आपराधिक धमकी) और तमिलनाडु महिलाओं के साथ उत्पीड़न रोकथाम कानून, 1998 के तहत भी केस दर्ज हुआ था. CB-CID ने जुलाई 2021 में दास के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी.

बाद में राजेश दास ने ट्रायल को तमिलनाडु से बाहर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी. दास का कहना था कि हाई कोर्ट जिस तरीके से मामले में आदेश दे रहा है उससे निष्पक्ष ट्रायल नहीं हो पाएगा. साथ ही हाई कोर्ट के आदेशों को खारिज करने की मांग की गई. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट अपने हिसाब से मामले को देखे. हाई कोर्ट के पिछले आदेशों से प्रभावित हुए बिना सुनवाई करे.

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