द लल्लनटॉप के खास कार्यक्रम जमघट में इस बार बातचीत हुई विदेश मंत्री एस. जयशंकर से. उनसे डोकलाम, गलवान, चीन, कनाडा, अमेरिका सब विषयों पर बात हुई. इस दौरान उनसे JNU में पढ़ाई के दिनों के बारे में पूछा गया. जयशंकर ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय (JNU) से पढ़ाई की है. उसके बाद UPSC का एग्जाम पास किया. एक ब्यूरोक्रेट के रूप में वे जापान, चीन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकें हैं. एस. जयशंकर हिंदी के अलावा अंग्रेजी, तमिल, रूसी, जापानी और हंगेरियन जैसी 6 भाषाएं जानते हैं.
'IIT छोड़ JNU गए थे...", विदेश मंत्री जयशंकर ने UPSC तक पहुंचने की कहानी बताई
Foreign Minister S Jaishankar ने बताया कि सेंट स्टीफंस में B.Sc करने के बाद उन्होंने IIT दिल्ली में एडमिशन लिया था.
इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री से पूछा गया कि आप खुद को जेएनयू का ‘एक्सीडेंटल स्टूडेंट’ कहते हैं. ऐसा क्यों? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि
“सेट स्टीफंस में B.Sc करने के बाद मैंने IIT दिल्ली में एडमिशन लिया था. मगर मेरी राजनीति और इतिहास में दिलचस्पी थी. एक रात हम IIT के पास एक ढाबे पर बैठे थे. तभी वहां JNU के कुछ स्टूडेंट्स आए. उनसे बातचीत हुई तो पता चला कि वहां अभी भी एडमिशन ओपन है. क्योंकि वहां स्ट्राइक चल रही थी. अगले दिन मैं चुपचाप JNU जाकर फॉर्म भर आया. कुछ दिनों के बाद मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. मैंने दो जगह अप्लाई किया था. मेरा दोनों जगह हो गया. मेरे लिए चुनौती ये थी कि मुझे घर में जाकर बताना पड़ा कि मेरा JNU में हो गया है और मैं IIT छोड़ रहा हूं.”
इस पर एस. जयशंकर ने जवाब दिया कि JNU में कुछ दोस्त UPSC की बात कर रहे थे. लेकिन उनका इतना इंटरेस्ट नहीं था. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए उन्हें स्कॉलरशिप मिल चुकी थी. ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी में Ph.D के लिए जाने के बाद जयशंकर के बड़े भाई ने IAS जॉइन किया. इसका प्रभाव उन पर भी हुआ. और उन्होंने भी UPSC की तरफ रुख किया.
इंटरव्यू के दौरान उनकी पत्नी पर भी बात हुई. जयशंकर ने अपनी पत्नी के बारे में बताया कि,
“मेरी वाइफ शोभा मुझसे जूनियर थीं. वो गोदावरी हॉस्टल में थी. उनकी भी प्लानिंग अमेरिका जाने की थीं. ये हमारे लिए भी अच्छा विकल्प था कि ना मैं ऑस्ट्रेलिया जाऊं और ना वो अमेरिका जाएं. फाइनली हम दोनों मॉस्को पहुंच गए.”
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पिता का जयशंकर पर प्रभावजयशंकर ने अपने पिता के बारे में बताया कि वो पहले यूएन में जाने वाले थे. फिर 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हो गया. जिसके चलते उनके पिता समेत सभी की सारी डेप्युटेशन रद्द हो गई. बाद में उन्हें लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ जाने का मौका मिला. उन्होंने आगे कहा कि वहां से लौटकर उनके पिता ने IDSA जॉइन किया. IDSA को अब मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एंड एनालिसिस के नाम से जाना जाता है. ये उस वक्त की बात है जब उत्तर में हिंदुस्तान और पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में थे. और इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण को देश में दिसंबर 1971 (युद्ध) के पक्ष में माहौल बनाने का काम दिया था. जयशंकर ने बताया कि इसके लिए प्रचार सामग्री और बाकी चीजें उनके पिता ही देखते थे. जयशंकर कहते हैं कि इन सबका उनके ऊपर काफी प्रभाव रहा.
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