भारतीय वैज्ञानिक एक ऐसा मॉडल बना रहे हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं (Natural disaster flood, cyclone, earthquake) की भविष्यवाणी में मदद मिलेगी. आपदा का प्रेडिक्शन (भविष्यवाणी) करने वाले इस मॉडल में एक बेहतर कम्युनिकेशन सिस्टम भी होगा. जिसकी मदद से आपदा के वक़्त जान-माल का नुकसान बेहद कम होगा. बचाव अभियान भी आसान हो जाएंगे.
'प्राकृतिक आपदा का पता पहले चल जाएगा', भारतीय वैज्ञानिक ये क्या मॉडल बना रहे?
बाढ़, भूकंप आदि में एडवांस अलर्ट देने का दावा...
बीते कुछ महीनों में देश के अलग-अलग इलाकों में प्राकृतिक आपदा यानी बाढ़, तूफ़ान, चक्रवात और भूकंप वगैरह के मामले बढ़े हैं. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी सौम्या पिल्लई की एक खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार के साइंस एंड टक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने अख़बार से बात करते हुए कहा कि देश को एक ऐसे स्वदेशी पूर्वानुमान मॉडल की जरूरत है जो ऐसी आपदाओं के बारे में वक़्त रहते सटीक चेतावनी दे सके. जिससे एजेंसीज अलर्ट जारी कर सकें. और आपदा के दौरान और उसके बाद एक भरोसेमंद संचार व्यवस्था हो, जिसकी मदद से बिना किसी रुकावट राहत और बचाव अभियान चलाया जा सके.
अधिकारी ने कहा,
इस नए सिस्टम में ख़ास क्या होगा?"हम देश के कई राज्यों में जलवायु परिवर्तन का असर देख रहे हैं. खास तौर पर हिमालयन बेल्ट में स्थितियां विपरीत हैं. फिलहाल मिनिस्ट्री ऑफ़ अर्थ साइंसेज़ (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) के तहत हमारे पास आपदाओं की चेतावनी देने वाली प्रणाली है. लेकिन ये सिस्टम कोई प्रेडिक्शन (पूर्वानुमान) नहीं देता. समय रहते प्रेडिक्शन हो सके तो हम पहले ही अलर्ट जारी कर सकते हैं. और आपदा की स्थिति में बचाव के बजाय पहले रोकथाम के कदम उठा सकते हैं."
इस सिस्टम में हाई फ्रीक्वेंसी सेन्सर, मॉनीटर और कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल करके एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा. जिससे प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बिना किसी रुकावट के नुकसान कम करने की दिशा में काम किया जा सकेगा. साइंस एंड टक्नोलॉजी डिपार्टमेंट, राज्यों के आपदा प्रबंधन विभागों के संपर्क में है. राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिए जिस तरह के सिस्टम काम में लाए जा रहे हैं, अभी उनकी खामियों का डेटा इकठ्ठा किया जा रहा है.
असम के आपदा प्रबंधन विभाग के डेटा के मुताबिक राज्य में आई बाढ़ से 34 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए. बीते कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल पर इन भूकंपों की तीव्रता अच्छी-खासी थी. मसलन हाल ही में 13 जून को जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस भूकंप का केंद्र अफ़गानिस्तान के हिंदू कुश इलाके में था. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.6 मापी गई थी. इस नए प्रेडिक्शन प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी मदद से प्राकृतिक आपदाओं के वक़्त नुकसान को रोका जा सकेगा. हालांकि ये अभी दावा ही है, ऐसा होता है तो ये बड़ी उपलब्धि होगी और देश के लिए मददगार भी.
वीडियो: UP बाढ़ पर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल