दिवाली हो, शादी-ब्याह हो, चुनाव की जीत हो या फिर कोई और ही जश्न क्यों न हो. पटाखों पर बैन अब साल भर के लिए लगा रह सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर दिल्ली पुलिस से कई कड़े सवाल पूछ लिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि दिल्ली में साल भर पटाखों और आतिशबाजी पर पाबंदी रह सकती है.
दिवाली ही नहीं, शादी और चुनावों में भी पटाखे चलाने पर लग सकता है बैन! सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से ऐसा क्या कहा?
पटाखों पर बैन अब पूरे साल लगा रह सकता है. Supreme Court ने Delhi Police से कहा बैन पूरे साल होना चाहिए. सिर्फ दिवाली पर ही नहीं. शादियों और चुनाव जीतने के दौरान पटाखे जलाए जा रहे हैं, पुलिस ने क्या कार्रवाई की है?
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा,
क्या किसी को प्रदूषण फैलाने का मौलिक अधिकार है? बैन पूरे साल होना चाहिए. सिर्फ दिवाली पर ही नहीं. शादियों और चुनाव जीतने के दौरान पटाखे जलाए जा रहे हैं, पुलिस ने क्या कार्रवाई की है?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है कि पटाखों पर बैन के आदेश को लागू करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से 25 नवंबर तक जवाब मांगा है. इसके बाद दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को 14 अक्टूबर का आदेश दिखाया, जिसमें दिल्ली के अंदर पटाखे और आतिशबाजी की खरीद बिक्री, परिवहन और जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपके हलफनामे में कहा गया है कि आप केवल दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगाएंगे और शादी और चुनाव समारोहों के दौरान आप ऐसा नहीं करेंगे? ऐसी स्थिति में पटाखों पर बैन केवल आईवॉश है.
दिवाली तक ही सीमित नहीं बैनसुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर पटाखों पर बैन का आदेश सिर्फ दीवाली तक ही क्यों सीमित है? कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या दिल्ली पुलिस ने बिक्री पर प्रतिबंध लगाया? दिल्ली पुलिस आयुक्त प्रतिबंध लागू करने के लिए एक स्पेशल सेल बनाकर हरेक थाने के SHO को इसकी जिम्मेदारी दे. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पटाखों पर बैन लगाने के लिए स्पेशल सेल बनाने को कहा है. दिल्ली सरकार भी पूरे साल पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है.
धर्म नहीं देता है प्रदूषण को बढ़ावासुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है जो प्रदूषण को बढ़ावा दे या नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करे. हम मानते हैं कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार के आदेश को लागू करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है.
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