हर लड़की अपने पापा को सुपरहीरो कहती है, समझती भी है. पर अगर वो ही आपके साथ या किसी महिला या लड़की के साथ घिनौनी हरकत करें, तो आप टूट जाएंगे.
बाप अपनी ही 5 साल छोटी बच्ची का रेप करता था, खुद मां ने पुलिस को बताया
वकील ने आरोपी का केस लड़ने से मना किया.

दरअसल, हम ऐसी बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक बाप ने अपनी पांच साल की बच्ची का रेप किया. एक बार नहीं कई बार. ये वाक्या तेलंगाना का है. यहां पांच साल की बच्ची है. जिसकी मां ने पुलिस को बताया कि उसके पति ने अपनी ही बेटी का कई बार किया है. नशे की हालत में उसने ये वाहियात हरकत कई बार की है.
महिला ने इस मामले की शिकायत थाने में की. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो के तहत मामला भी दर्ज किया. आरोपी को पुलिस ने ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया है. बच्ची और उसकी मां मेडिकल जांच और काउंसलिंग के लिए भेजे जा चुके हैं.

आरोपी बाप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया है. (सांकेतिक तस्वीर)
उधर, मलकाजगिरी कोर्ट महिला बार एसोसिएशन के सदस्यों ने इस केस की पैरवी करने से साफ मना कर दिया है.
बार एसोसिएशन की वकील प्रसन्ना ने कहा कि
ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. एक पिता ने कई बार अपनी ही बेटी से रेप किया. ये केस मलकाजगिरी कोर्ट के अंतर्गत आता है. इस मामले की जानकारी जब हमें हुई तब हमने इस केस को लड़ने से साफ मना कर दिया. न ही कोई वकील बेल पिटीशन फाइल करेगा और न ही कोई आरोपी के पक्ष में पैरवी करेगा. इस फैसले में और भी वकील हमारा साथ दे रहे हैं. अगर कोई वकील कोर्ट में बेल पिटीशन फाइल करता है, तो हम पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और पुलिस की मदद से काउंटर फाइल करेंगे.
ठीक वैसे ही जैसे ही अलीगढ़ के एक केस में हुआ था. अलीगढ़ बार एसोसिएशन के वकीलों ने आरोपी का केस लड़ने से मना कर दिया था. साथ ही किसी बाहरी वकील को भी इजाजत नहीं दी थी. उस बच्ची के साथ रेप नहीं हुआ था, उसकी निर्ममता से हत्या की गई थी. पर उस मामले में कई लोगों ने रेप का एंगल देने की कोशिश भी की थी. खैर.
वकीलों ने अपना पक्ष बता दिया कि वो केस नहीं लड़ेंगे. क्योंकि वो आरोपी को बचाना नहीं चाहते हैं. और अगर कोई आरोपी का केस लड़ेगा तो वो उस वकील पर काउंटर फाइल करेंगे.
प्रथम दृष्टया वकीलों का ये कदम काबिलेतारीफ़ लगता है लेकिन आप खुद सोचिए, सभी को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है, संविधान भी यही कहता है. अगर कोई प्राइवेट वकील नहीं कर सकता है, तो उसे कोर्ट सरकारी वकील ऑफर करता है. पर बिना वकील मामले में कोई फैसला नहीं करता है. तो आरोपी का जुर्म कैसा भी हो, उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है. भले सजा आरोपी के ही पक्ष में हो.
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