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हरियाणा सरकार ने कहा- प्रदर्शन की अनुमति नहीं; कोर्ट ने कहा- किसानों के अपने अधिकार हैं

Farmers Protest: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में किसानों के विरोध प्रदर्शन पर दो याचिकाएं दायर की गई थीं. एक याचिका हरियाणा सरकार के खिलाफ और दूसरी याचिका प्रदर्शनकारियों के खिलाफ थी.

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इस मामले पर कोर्ट 15 फरवरी को अगली सुनवाई करेगा.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) के मामले में सभी संबंधित पक्षों को विवाद का हल निकालने के लिए कहा है. हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक विवाद का हल नहीं निकलता, तब तक सरकारें किसानों के विरोध प्रदर्शन करने के लिए जगह निर्धारित करें. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली हाई कोर्ट को नोटिस जारी किया है.

किसानों के प्रदर्शन पर दो याचिकाएं

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च और उन्हें रोकने के लिए तमाम सरकारी प्रयासों के बीच कोर्ट में इससे जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई. पहली याचिका हरियाणा सरकार के खिलाफ दायर की गई थी. इस याचिका में हरियाणा में इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा, रास्तों को बंद करने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती दी गई. दूसरी जनहित याचिका प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दायर की गई. इसमें कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने अनधिकृत रूप से राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की डिविजन बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को भारत का नागरिक होने के नाते देश में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार है. साथ ही ये भी कहा कि राज्य सरकार का भी कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें कोई असुविधा ना हो.

कोर्ट में हरियाणा सरकार की खिंचाई

हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि उन्होंने किससे पूछकर हाईवे बंद कर रखे हैं और जनता को परेशान करने का अधिकार उन्हें किसने दिया. हरियाणा सरकार ने सफाई दी गई कि किसानों ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं ले रखी है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि किसानों के अपने अधिकार हैं. वो हरियाणा में प्रदर्शन नहीं कर रहे, सिर्फ हरियाणा से गुजर रहे हैं. रास्ते पर चलना सबका अधिकार है.

हरियाणा सरकार की तरफ से ये भी कहा गया कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है. हालांकि पंजाब सरकार ने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण है और वे बिना हथियारों के सिर्फ बात करने दिल्ली जा रहे हैं.

हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए. सावधानी और एहतियात को ध्यान में रखा जाना चाहिए. किसी भी मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए. बल का उपयोग अंतिम उपाय होगा. इस मामले पर कोर्ट गुरुवार, 15 फरवरी को अगली सुनवाई करेगा. तब दिल्ली सरकार भी इस पर अपना पक्ष रखेगी.

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