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किताबें, चॉकलेट, घड़ी, शराब... इन मंदिरों में मिलता है ये प्रसाद, वजह जान हक्का-बक्का रह जाएंगे!

अगर प्रसाद में लड्डू, पंजीरी, खीर, पेड़े के अलावा कुछ नहीं मिला, तो इसका मतलब आप इन मंदिरों में अब तक नहीं गए हैं.

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भारत में जितने मंदिर हैं उनकी कहानियां उतनी विशिष्ट हैं. फोटो- AI Generated

हमारे जैसी कई उत्तर भारतीय जनता ने मंदिरों के प्रसाद में लड्डू, पंजीरी, खीर या पेड़े जैसी मिठाइयां या भंडारा हो तो पूड़ी-सब्जी इत्यादि ही प्रसाद के रूप मिलते/चढ़ते देखा है. लेकिन देश के कई ऐसे मंदिर हैं, जहां ऐसे प्रसाद चढ़ते और भक्तों को दिए जाते हैं, जो पंजीरी वाली जनता के लिए काफी 'नायाब' बात है. कई मंदिरों में विराजे भगवान के पसंदीदा आहार, मंदिर के इतिहास और जिस इलाके में वो मौजूद हैं उसके कल्चर के हिसाब से काफी 'विशिष्ट' प्रसाद मिलने का चलन है. इस रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बात करेंगे.

ब्रह्मा बाबा मंदिर में घड़ी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पास मौजूद ब्रह्मा बाबा मंदिर में घड़ी चढ़ाए जाने का रिवाज है. ये परंपरा 30 साल पुरानी है. स्थानीय लोग इसके पीछे का जो कारण बताते हैं उसके मुताबिक, एक भक्त इस मंदिर में अच्छा ड्राइवर बनने की मन्नत मांगने गया था. उसकी इच्छा पूरी हुई तो उसने मंदिर में घड़ी चढ़ाई. उसके बाद से ये सिलसिला शुरू हो गया. जब भी किसी भक्त की कोई मनोकामना पूरी होती है तो वो इस मंदिर में आकर घड़ी चढ़ाते हैं. आसपास के इलाके में ये 'घड़ीवाले बाबा का मंदिर' नाम से फेमस है. सैकड़ों भक्त लाइन में लगकर यहां घड़ी चढ़ाने आते हैं. एक और चौंकाने वाली बात ये है कि मंदिर में चीजों की सुरक्षा करने के लिए ना तो कोई पुजारी है और ना ही कोई सुरक्षाकर्मी है.

जौनपुर स्थित इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है. फोटो-आजतक
मंदिर में शराब का प्रसाद

आमतौर पर मंदिर परिसर में शराब पीना और आसपास उसकी दुकानें लगाकर बेचना वर्जित होता है. लेकिन, देश में कुछेक ऐसे भी मंदिर हैं जहां शराब चढ़ाई और प्रसाद में भक्तों को बांटी जाती है. मध्य प्रदेश का काल भैरव मंदिर इसका एक उदाहरण है. यहां मंदिर के बाहर देसी-विदेशी दोनों तरह की शराब मिलती है. श्रद्धालु यहां से शराब खरीदकर पुजारी को देते हैं. वो वहां मौजूद काल भैरव की मूर्ति को प्लेट में शराब अर्पित करते हैं. इसके बाद बची हुई शराब भक्त को प्रसाद के रूप में दी जाती है. कहा जाता है कि मूर्ति के अंदर से शराब कहां जाती है, ये रहस्य अब तक अनसुलझा है. रिपोर्ट्स हैं कि ब्रिटिश शासन में मंदिर के आसपास खुदाई करके ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि मूर्ति को पिलाए जाने वाली शराब जाती कहां है? लेकिन, ये अब तक अबूझ पहेली ही है.

इसके अलावा वाराणसी के काली भैरव मंदिर में भी 'Wine' चढ़ाई जाती है.

काल भैरव मंदिर में शराब का प्रसाद. फोटो-आजतक
मुरुगन मंदिर में मंच चॉकलेट

केरल के अलाप्पुझा में केममोथ श्री सुब्रमण्य मंदिर (Chemmoth Sree Subramaniya Swami Temple) में भगवान को मंच चॉकलेट चढ़ाई जाती है. ये बात सुनने में दिलचस्प है कि 300 साल पुराने देवता को ‘मॉर्डर्न डे चॉकलेट’ से प्रसन्न करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल, इसके पीछे एक किस्सा है. माना जाता है कि लगभग 16 साल पहले, पास में रहने वाला एक मुस्लिम लड़का मंदिर में आया था. उसने लगातार मंदिर की घंटी बजाई और ऐसा करने पर उसे डांट भी पड़ी. अगले दिन लड़का बहुत बीमार हो गया और वह भगवान मुरुगन का नाम जपता रहा. अगली सुबह बच्चे के माता-पिता उसे मंदिर ले आए. पुजारी ने उनसे भगवान को फल या फूल चढ़ाने का सुझाव दिया. लेकिन, बच्चे ने इससे इनकार कर दिया और मंच चॉकलेट चढ़ाई. दावा है कि इस पर भगवान मुरुगन का दिल पिघल गया और लड़का चमत्कारिक ढंग से अपनी बीमारी से ठीक हो गया. तब से भक्त यहां मंच चॉकलेट के डिब्बे चढ़ाते हैं और भगवान की मूर्ति को मंच चॉकलेट की मालाओं से भी सजाते हैं. ये मंदिर अब ‘मंच मुरुगन मंदिर’ के नाम से जाना जाता है.

इस मंदिर को कई लोग 'मंच मुरुगन' के नाम से जानते हैं. फोटो- सोशल मीडिया 
काली मंदिर में चाइनीज फूड

कोलकाता के टांगरा इलाके में चाइनाटाउन है. और इस चाइनाटाउन में 'चीनी काली मंदिर' है. बाहर से देखने पर ये बाकी काली मंदिरों जैसा ही दिखता है. लेकिन मंदिर के अंदर जाने पर इसकी खासियत समझ आती है. इस मंदिर में आपको नूडल्स, chopsuey, फ्राइड राइस, मंचूरियन जैसे चीनी व्यंजनों का स्वाद मिल सकता है. ये इस मंदिर में देवी काली को चढ़ाए जाने वाला प्रसाद है. इस मंदिर में कोलकाता के चाइनाटाउन में बसे चीनी निवासी देवी की पूजा करते हैं. यहां कई चीनी परंपराओं और रीति-रिवाजों का भी पालन किया जाता है. कुछ वक्त पहले मंदिर परिसर में एक 10 वर्षीय बीमार चीनी लड़का ठीक हो गया था. जिसके बाद से पूरे समुदाय में इस जगह को लेकर खास मान्यता है.

पश्चिम बंगाल में रहनेवाला चीनी समुदाय यहां खास काली पूजा करते हैं. फोटो-सोशल मीडिया 
केरल के मंदिर में किताब

देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य कौन सा है? जवाब केरल. अब इसके बाद ये बताएं कि यहां के एक मंदिर में किताबें प्रसाद में मिलती हैं, तो उतना आश्चर्य नहीं होगा. राष्ट्रीय विरासत केंद्र (NHC) के परिसर में स्थित केरल के महादेव मंदिर में भक्त CD, DVD और किताबें प्रसाद के रूप में चढ़ाते और पाते हैं. मंदिर से जुड़े अधिकारियों का मानना ​​है कि ज्ञान भगवान का सबसे अच्छा गिफ्ट है. और भक्तों को अधिक ज्ञान का आशीर्वाद मिलना चाहिए. इसके लिए, किताबों और लेखन सामग्री के रूप में ज्ञान का प्रसाद दिया जाता है.

ज्ञान सबसे अच्छा प्रसाद है, इसलिए यहां प्रसाद में किताबें मिलती हैं. फोटो- सोशल मीडिया

जो भक्त भगवान महादेव की पूजा करने इस मंदिर में आते हैं, उनका यह भी मानना ​​है कि यहां मिले 'असामान्य' प्रसाद के कारण उन्हें विभिन्न विषयों पर शांति और जागरूकता मिलती है.

मछली और ताड़ी

कन्नूर के पारसिनिक्कादावु (​Parassinikkadavu) मंदिर में मछली, ताड़ी और शराब की बोतलें भी प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं. हर दिन पूजा के बाद ये सभी चीजें भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसी जाती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां भक्तों को हरे चने और नारियल के टुकड़े भी बांटे जाते हैं.

मंदिर में ताड़ी का प्रसाद चढ़ाया और बांटा जाता है.
डोसा का प्रसाद

तमिलनाडु के मदुरै में भगवान विष्णु को समर्पित अज़गर मंदिर है. यहां भगवान को डोसा (या डोसाई) का भोग लगाया जाता है. खास बात ये है कि डोसा विशेष रूप से मंदिर परिसर की रसोई में ही तैयार किया जाता है. भक्त डोसे को पकाने के लिए चावल और काली उड़द दाल जैसी सामग्री अपने साथ लाते हैं. डोसा तैयार हो जाने के बाद उसे भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है. इसे तैयार करने के लिए नूपुरा गंगई झरने के पानी का इस्तेमाल किया जाता है. कहते हैं कि इस वजह से डोसे का स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है. दावा है कि ऐसा डोसा आपको भारत में कहीं भी नहीं मिलेगा. 

देश का सबसे अच्छा डोसा मिलने का दावा. फोटो- सोशल मीडिया

आप इनमें से कितने मंदिर घूम चुके हैं? या ऐसे किसी मंदिर गए हैं, जहां का प्रसाद काफी यूनीक है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.

वीडियो: केरल की अनोखी तस्वीर, एकसाथ दिखा 70 साल पुराना मंदिर, मस्जिद और चर्च