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युद्धपोत 'महेंद्रगिरि' समुद्र में उतरा, मगर सेना को अभी क्यों नहीं मिलेगा?

छोटे और तेज चलने वाले इस युद्धपोत की खास बातें दुश्मनों को हिला देंगी...

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महेंद्रगिरि युद्धपोत अपनी क्लास का 7 वां और आखिरी युद्धपोत है जिसे लॉन्च किया गया है. (फोटो सोर्स - X/VPIndia)

1 सितंबर 2023 को युद्धपोत 'महेंद्रगिरि' (Mahendragiri) को मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स से लॉन्च कर दिया गया है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मौजूदगी में उनकी पत्नी ने इस आधुनिक युद्धपोत को लॉन्च किया. युद्धपोत के लॉन्च के साथ ही उपराष्ट्रपति ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के हेरिटेज म्यूजियम 'धरोहर' का भी दौरा किया.

कहा जा रहा है कि महेंद्रगिरि को अगले साल तक भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल किया जाएगा. यह प्रोजेक्ट 17A के तहत बना 7वां स्टील्थ फ्रिगेट है.

प्रोजेक्ट 17A और Stealth Frigate क्या है?

फ्रिगेट माने छोटा और तेज जहाज. स्टील्थ इसलिए क्योंकि इस जहाज की डिजाइन ऐसी है जो इसे रडार की नजर से काफी हद तक बचाती है. जहाज 'लो रडार क्रॉस सेक्शन' (RCS) मेंटेन कर लेता है. इसके लिए प्रोजेक्ट 17A के तहत जहाजों को कंपोजिट मैटेरियल से बनाया गया है. और ऐसी कोटिंग की गई है जो रडार के लिए अब्जॉर्वेंट का काम करती है. रडार से बचने की और तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया है. 

महेंद्रगिरि के अलावा प्रोजेक्ट P-17A के तहत बनने वाले 6 जहाजों को नीलगिरि क्लास के फ्रिगेट जहाजों के नाम दिए गए हैं. ये जहाज साल 1972 से लेकर साल 2013 तक भारतीय नौसेना के बेड़े में सेवा देते रहे हैं. इनके नाम थे- नीलगिरि, हिमगिरि, तारागिरि, उदयगिरि, दूनागिरि और विंध्यगिरि. विंध्यगिरि को बीती 17 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लॉन्च किया था. महेंद्रगिरि को भी प्रोजेक्ट P17A के तहत बनाया गया है. लेकिन इसका नाम पुराने जहाजों के नाम पर नहीं बल्कि नया है. अब इसकी कुछ खासियतें भी जान लेते हैं.

तोपों से लैस है महेंद्रगिरि 

महेंद्रगिरि के 75 फीसदी तक उपकरण स्वदेशी कंपनियों ने बनाए हैं. इसका डिजाइन नेवी वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसे मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिप बिल्डर ने बनाया है.

-इसमें 2 RBU-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स लगे हैं. इनकी एक मैगजीन में 72 या फिर 96 रॉकेट्स होते हैं. इन्हीं से दुश्मन की पनडुब्बी पर हमला होगा.

-इसके अलावा इसमें एक 76 मिली मीटर की ओटो मेलारा नौसैनिक गन लगी है. दूसरी तरफ 2 एके-630M CIWS गन लगी हैं, जो दुश्मन के जहाज, हेलीकॉप्टर, किसी बोट या मिसाइल पर ऑटोमैटिकली हमला कर सकती हैं.

- इस जंगी जहाज पर 2 ध्रुव हेलिकॉप्टर या दो Sea-King MK 42B हेलीकॉप्टर तैनात हो सकते हैं.

- 6600 टन वज़नी ये जहाज 59 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकता है.

- इसमें ब्रह्मोस एंटीशिप मिसाइल भी तैनात की गई है.

इसके अलावा इस जहाज को रडार, सोनार और कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम से लैस किया गया है.

सेना को कब तक मिलेगा ये जहाज?

जहाज का लॉन्च होना और सेना में शामिल होना दो अलग बातें हैं. 17A प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए 7 फ्रिगेट जहाजों में से एक भी अभी नौसेना को नहीं मिला है. 45 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के तहत बने सभी जहाजों को (महेंद्रगिरि सहित) साल 2019 से लेकर अब तक लॉन्च किया जा चुका है. लॉन्च करने का मतलब, इन जहाजों को समुद्र के पानी में उतारा जा चुका है.

अब इसमें हथियारों और बाकी उपकरणों को इंस्टॉल किया जाएगा. और उसके बाद जहाज का समुद्री ट्रायल होगा. फिर कहीं इन जहाजों को नेवी को सौंपा जाएगा. इसमें अभी एक साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है.

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