बेंगलूरु के पूर्व पुलिस कमिशनर भास्कर राव (Bhaskar Rao) ने आम आदमी पार्टी छोड़ दी और भाजपा जॉइन कर ली है. IPS राव ने पिछले साल अप्रैल में सर्विस से वॉलंटरी रिटायरमेंट लेकर AAP जॉइन की थी. पार्टी के उपाध्यक्ष बनाए गए. फिर मंगलवार, 28 फरवरी को उन्होंने घोषणा की कि वो पार्टी छोड़ रहे हैं. राव ने मीडिया को बताया कि पार्टी में कोई बेहतरी नहीं हो रही है और जब उन्होंने हालात बदलने की कोशिश की, तो उनके प्रयास विफल रहे.
भास्कर राव ने AAP छोड़कर BJP जॉइन की, जाते-जाते पार्टी पर बड़े आरोप लगाए!
"भ्रष्टाचार विरोध के नाम पर पैसा इकट्ठा होता है, लेकिन इस्तेमाल नहीं होता."

राव ने कहा,
"मैं जनवरी से पार्टी बदलने की सोच रहा था और काफी चर्चा के बाद भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. मैंने कोई पद या कुछ भी नहीं मांगा है. मैं एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में काम करूंगा."
इंडिया टुडे के इनपुट्स के मुताबिक़, राव ने मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी पर भी बयान दिया है. राव ने कहा,
"पार्टी में पारदर्शिता नहीं है. भ्रष्टाचार विरोध के नाम पर पैसा इकट्ठा होता है, लेकिन इस्तेमाल नहीं होता. बीजेपी से लड़ने के नाम पर पैसा इकट्ठा किया जाता है, लेकिन इस्तेमाल नहीं होता. सिर्फ़ दरबारी ही पार्टी चलाते हैं.
सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद मैं असहज हो गया था. अगर वो साफ हैं तो, उन्हें अदालत में सबूत देना चाहिए."
पार्टी छोड़ने की घोषणा से पहले राव भाजपा मंत्री आर अशोक से मिले. वहां वो आर अशोक के साथ भाजपा के कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, कर्नाटक प्रभारी के अन्नामलाई और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से भी मिले.
2019-2020 में बतौर बेंगलुरु पुलिस कमिशनर राव की ख़ूब ख़बरें चलती थीं. कोविड लॉकडाउन के समय भी उन्हें ख़ूब ख्याती मिली. हालांकि, कुछ विवाद भी हुए. जैसे एक टेलीफोन बातचीत लीक हुई थी, जहां राव ने कथित तौर पर बेंगलुरु पुलिस प्रमुख के पद की पैरवी की थी. राव ने तत्कालीन बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त आलोक कुमार पर उनके मोबाइल फोन को अवैध रूप से टैप करने और उन्हें बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप भी लगाए थे. CBI ने मामले की जांच की थी और अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राव के दावों में कोई दम नहीं है.
राज्य की राजनिति के जानकार बताते हैं कि पार्टी उन्हें आने वाले चुनाव में टिकट भी देने वाली थी. AAP के भीतरी सूत्रों के हवाले से ये भी कहा गया कि वो पार्टी प्रेसिडेंट बन सकते थे, मगर उनकी पार्टी में कुछ शीर्ष के नेताओं से बनती नहीं थी, ऐसी भी सुगबुगाहट है.
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