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एलन मस्क की कंपनी ने भारत सरकार के खिलाफ केस किया है, इल्जाम सेंसरशिप का लगाया है

X Corp ने कहा है कि कॉन्टेंट हटाने के लिए लिखित में कारण बताना होता है. फैसला लेने से पहले सुनवाई की व्यवस्था करनी है. इसमें कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी शामिल है. इन सभी बातों की अनदेखी की जा रही है.

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अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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सगाय राज

एलन मस्क की कंपनी एक्स कॉर्प ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका (Elon Musk Company Sues India) दायर की है. उन्होंने भारत सरकार के आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) पर सवाल उठाए हैं. कंपनी का कहना है कि ये नियम एक गैरकानूनी और अनियमित सेंसरशिप सिस्टम बनाता है. इसके तहत कॉन्टेंट को ब्लॉक कर प्लेटफॉर्म के संचालन को प्रभावित किया जा रहा है. उन्होंने 2015 के श्रेया सिंघल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया है.

याचिका में कहा गया है कि सरकार धारा 79(3)(बी) की गलत व्याख्या कर रही है. ऐसे आदेश दिए जा रहे हैं जो धारा 69ए के नियमों का पालन नहीं करते. इस धारा में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में सरकार को इंटरनेट के कॉन्टेंट को ब्लॉक करने का अधिकार होता है. कंपनी ने कहा है कि कॉन्टेंट हटाने के लिए लिखित में कारण बताना आवश्यक है और फैसला लेने से पहले उचित सुनवाई की व्यवस्था करनी होती है. इसके अलावा, इसे कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी होना चाहिए. एक्स कॉर्प ने आरोप लगाया है कि इन सभी प्रक्रियाओं की अनदेखी की जा रही है.

ये खबर ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार ने एक्स कॉर्प से उसके एआई चैटबॉट ग्रोक (Grok) को लेकर सवाल पूछे हैं. दरअसल, ग्रोक कई सवालों के जवाब में गालियों का इस्तेमाल कर रहा है, जिसे लेकर सरकार ने कंपनी से स्पष्ट जवाब मांगा है.

पहली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यदि सरकार इस मामले में एक्स कॉर्प के खिलाफ कोई पूर्व-निवारक कार्रवाई करती है, तो कंपनी अदालत का रुख कर सकती है. पूर्व-निवारक कार्रवाई का अर्थ है, किसी घटना से पहले एहतियात के तौर पर की गई कार्रवाई. इस मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी.

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ये पहली बार नहीं है जब एक्स कॉर्प ने भारत सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है. 2022 में, कंपनी को धारा 69ए के तहत कॉन्टेंट हटाने का आदेश दिया गया था. कंपनी ने तब भी चुनौती दी थी. तर्क दिया गया था कि सरकार के निर्देशों में पारदर्शिता की कमी थी और फ्री स्पीच के अधिकारों का उल्लंघन किया गया था.

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