इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने 14 मार्च को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ा डेटा जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने चुनाव आयोग के साथ 12 मार्च को ये डेटा शेयर किया था. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की गई हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और व्यक्तियों की जानकारी दी गई है और दूसरी लिस्ट में बॉन्ड कैश कराने वाली पार्टियों की जानकारी है.
ECI की तरफ से जारी लिस्ट के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में ABC इंडिया, अरिहंत, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पिरामल, सनफार्मा, MUTHOOT FINANCE, वेदांता, बजाज, भारती एयरटेल और अन्य कंपनियां शामिल हैं. FUTURE GAMING AND HOTEL SERVICES PR लिस्ट में टॉप पर हैं. फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. कंपनी का नाम 1303 बार आया है. वहीं MEGHA ENGINEERING AND INFRASTRUCTURES LIMITED कंपनी इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. जिसका नाम 821 बार आया है. आइए, इस लिस्ट की टॉप-10 कंपनियों के बारे में जानते हैं-
फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज – 1,368 करोड़ रुपये
फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज की बात करें तो ये एक लॉटरी कंपनी है. इस कंपनी की स्थापना 30 दिसंबर 1991 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर तमिलनाडु के कोयंबटूर में है.
हजारों करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड देने वालीं टॉप-10 कंपनियां, एक क्लिक में सब जानिए
ECI ने 14 मार्च को Electoral Bond से जुड़े डेटा जारी कर दिए. FUTURE GAMING AND HOTEL SERVICES PR ने 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं.
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मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड – 966 करोड़ रुपये
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड डैम्स और पावर प्रोजेक्ट का काम करती है. इस कंपनी की स्थापना 7 जून 2006 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर तेलंगाना के हैदराबाद में है.
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड – 410 करोड़ रुपये
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड की बात करें तो ये एक लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन कंपनी है. इस कंपनी की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर महाराष्ट्र के मुंबई में है.
वेदांता लिमिटेड- 400 करोड़ रुपये
वेदांता लिमिटेड की बात करें तो ये देश की सबसे बड़ी माइनिंग कंपनी है. इस कंपनी की स्थापना 25 जून 1965 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर महाराष्ट्र के मुंबई में है.
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड- 377 करोड़ रुपये
इस कंपनी का थर्मल पावर प्लांट बंगाल के हल्दिया जिले में स्थित है. इस कंपनी की स्थापना 29 नवंबर 1994 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है.
भारती ग्रुप (एयरटेल)- 247 करोड़ रुपये
ये भारत की सबसे बड़ी टेलकॉम कंपनी में से एक है. इस कंपनी की स्थापना साल 1995 में हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर दिल्ली में है.
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड- 224 करोड़
इस माइनिंग कंपनी की स्थापना साल 1950 में हुई है. कंपनी का हेडक्वार्टर महाराष्ट्र के मुंबई में है.
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी- 220 करोड़
इस कंपनी की स्थापना 11 सितंबर 2009 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर उत्तर प्रदेश के कानपुर में है,
केवेंटर फूड पार्क इंफ्रा लिमिटेड- 194 करोड़
ये कपंनी डेयरी प्रोडक्ट्स का बिजनेस करती है. कंपनी की स्थापना 17 जून 2010 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है.
मदनलाल लिमिटेड- 185.5 करोड़
ये एक स्टील मैन्यूफैक्चर कंपनी है. कंपनी की स्थापना 22 नवंबर 1982 को हुई. कंपनी का हेडक्वार्टर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है.
बताते चलें कि चुनावी चंदा पाने वाली पार्टियों की जो लिस्ट आई है, उसमें BJP को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपये मिले. जबकि तृणमूल कांग्रेस को 1,609 करोड़ और तीसरे नंबर कांग्रेस को 1,422 करोड़ रुपये मिले हैं. चौथे नंबर पर भारत राष्ट्र समिति है. उन्हें 1214 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के तौर पर मिले हैं.
अब इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में भी जान लीजिए. ये चुनावी चंदा हासिल करने के बॉन्ड हैं. ये बॉन्ड एक तरह के नोट हैं. वैसे ही नोट जैसे हम आप 100-500 रुपए के नोट देखते हैं. मोदी सरकार ने जनवरी, 2018 में चुनावी चंदे के लिए बॉन्ड जारी किए हैं. इन बॉन्ड का मकसद राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाना है. साल 2017 के बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे बड़ा चुनावी सुधार बताया. जो लोग किसी राजनीतिक पार्टी को 2000 रुपए से ज्यादा का चंदा देना चाहते हैं. उनको भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी ब्रांच से ये बॉन्ड खरीदने होते हैं. चंदा देने वाले लोग इन बॉन्ड को खरीदकर अपनी पसंदीदा पार्टी को दे सकते हैं. और वो पार्टी या दल इन बॉन्ड्स को अपने अकाउंट में लगाकर अपने पक्ष में भुगतान करा सकता है. ठीक वैसे ही, जैसे आप किसी को अकाउंट पेयी चेक देते हैं
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