अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर दिए बयान के बाद भारत के चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है. 11 अप्रैल, 2025 को इलेक्शन कमीशन ने कहा कि भारत में जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM) इस्तेमाल होती हैं, वे बिल्कुल ‘सरल, सही और सटीक कैलकुलेटर’ की तरह काम करती हैं और इन्हें इंटरनेट, वाई-फाई या इन्फ्रारेड से जोड़ा नहीं जा सकता.
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चुनाव आयोग ने कहा है कि कुछ देशों में जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम अपनाए जाते हैं, वे कई तरह की तकनीकों, मशीनों और प्रक्रियाओं का मिश्रण होते हैं. उनमें निजी नेटवर्क और इंटरनेट का भी इस्तेमाल होता है. भारत की EVM इन सबसे अलग और पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

चुनाव आयोग ने कहा है कि कुछ देशों में जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम अपनाए जाते हैं, वे कई तरह की तकनीकों, मशीनों और प्रक्रियाओं का मिश्रण होते हैं. उनमें निजी नेटवर्क और इंटरनेट का भी इस्तेमाल होता है. आयोग ने कहा कि भारत की EVM इन सबसे अलग और पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
भारत में EVM की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कानूनी जांच हो चुकी है. यहां मशीनें हर चरण पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा जांची जाती हैं. यहां तक कि मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल (प्रायोगिक मतदान) कराए जाते हैं. चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि अब तक पांच करोड़ से अधिक पेपर ट्रेल मशीन की पर्चियों का मिलान मतगणना के समय राजनीतिक पार्टियों की मौजूदगी में किया जा चुका है.
आयोग के बयान से पहले 11 अप्रैल को तुलसी गबार्ड ने कहा था कि अमेरिकी कैबिनेट के पास इस बात के सबूत हैं कि…
“इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के लिए असुरक्षित रहे हैं और इनका इस्तेमाल वोटिंग के नतीजों को बदलने के लिए किया जा सकता है.”
गबार्ड ने कहा था कि इन तथ्यों के आधार पर पूरे देश में पेपर बैलट (कागज़ की पर्चियों से मतदान) का उपयोग ज़रूरी है, ताकि मतदाता अमेरिकी चुनावों की निष्पक्षता पर भरोसा कर सकें.
पिछले साल, टेक जगत की बड़ी हस्ती एलन मस्क ने भी EVMs को खत्म करने की मांग की थी. मस्क ने कहा था कि इन्हें इंसान या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए हैक किया जा सकता है. तब भी चुनाव आयोग ने बयान जारी किया था. तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जनवरी में मस्क के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था,
“एक अंतरराष्ट्रीय आईटी विशेषज्ञ ने कहा कि EVM हैक हो सकती हैं, जबकि हमारे यहां चुनाव चल रहे थे. अमेरिका के पास EVM नहीं हैं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के अलग-अलग तंत्र हैं.”
विपक्षी पार्टियां भी लंबे समय से EVM में गड़बड़ी और हेरफेर का मुद्दा उठाती रही हैं. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अहमदाबाद में AICC सत्र के दौरान अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था,
“इलेक्ट्रॉनिक तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ, दुनिया के विकसित देशों ने ईवीएम को छोड़ दिया है और बैलेट पेपर की ओर लौट गए हैं. लेकिन हमारा चुनाव आयोग इस समस्या को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है.”
हालांकि, चुनाव आयोग विपक्ष की मांग को भी खारिज करता रहा है और EVM का बचाव करता रहा है.
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