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ED ने जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन से जुड़े NGOs पर क्यों मारे छापे?

ये मामला OSF के कथित रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त करने और कुछ लाभार्थियों के FEMA दिशा-निर्देशों का कथित उल्लंघन करके इन फंड्स का उपयोग करने से संबंधित है.

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जॉर्ज सोरोस से जुड़ी संस्थाओं पर ईडी का छापा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 मार्च को अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस (George Soros) की ओपन सोरोस फाउंडेशन (OSF) और इससे जुड़े NGO पर छापेमारी की. इनमें एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) भी शामिल हैं. ED के अधिकारियों के मुताबिक, आठ जगहों पर हुई ये कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) से जुड़े एक मामले के तहत की गई. इस दौरान ED ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व कर्मचारियों और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के मौजूदा कर्मचारियों के परिसरों की तलाशी ली. मामले में सोरोस फाउंडेशन ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

ये मामला OSF के कथित रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त करने और कुछ लाभार्थियों के FEMA दिशा-निर्देशों का कथित उल्लंघन करके इन फंड्स का उपयोग करने से संबंधित है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ED की प्रारंभिक जांच में ये सामने आया है कि सोरोस OSF को 2016 में गृह मंत्रालय द्वारा 'प्रायर रेफरेंस कैटेगरी' में रखा गया था. इससे इसे भारत में NGOs को बिना नियम के दान देने से रोका गया था.

आरोप है कि इस प्रतिबंध से बचने के लिए OSF भारत में अपनी सहायक कंपनियों के जरिए FDI और कंसल्टेंसी फीस के नाम पर पैसे लाई, और इन फंड्स का उपयोग NGO की गतिविधियों को फंडिंग करने के लिए किया गया जो कि FEMA का उल्लंघन है. ED अन्य FDI फंड्स के उपयोग की भी जांच कर रहा है.

बता दें कि भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल के संचालन को पहले ही 2020 में बंद कर दिया गया था. सरकार ने गैर-कानूनी विदेशी फंडिंग के आरोप में उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमनेस्टी इंटरनेशनल और HRW दोनों को पहले OSF से फंडिंग मिलती थी. यही कारण है कि दोनों संगठनों पर पहले भी सवाल उठाए जाते रहे हैं. 

इन संस्थाओं पर पहले भी कार्रवाई की जा चुकी है. साल 2022 में एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख आकार पटेल पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. वहीं, NGO पर भी 51.72 करोड़ रुपये का आर्थिक दंड लगा था. यह दंड विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन को लेकर लगाया गया था.

भारत में OSF ने 1999 में अपना काम शुरू किया था, लेकिन 2016 में गृह मंत्रालय ने इसे वॉचलिस्ट में डाल दिया था. इससे इसके लिए भारतीय NGOs को फंड देना मुश्किल हो गया था. हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति और समाजसेवी जॉर्ज सोरोस लंबे समय से भाजपा के निशाने पर रहे हैं. भाजपा का आरोप है कि OSF और इससे जुड़े संगठन ‘भारत विरोधी’ एजेंडा चलाते हैं. 

पार्टी आरोप लगाती है कि OSF से फंड पाने वाले कई थिंक टैंक और मीडिया संस्थान भारत विरोधी रिपोर्ट्स तैयार करते हैं. फिर कांग्रेस पार्टी उन्हें भारत की छवि ‘खराब’ करने के लिए इस्तेमाल करती है. भाजपा ने OSF से संबंधों का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को भी कई बार घेरा है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी इसे लेकर भाजपा निशाना साधती रहती है.

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