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सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ED के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को अरेस्ट करना मुश्किल होगा

Supreme Court का कहना है कि स्पेशल कोर्ट ने अगर शिकायत पर संज्ञान ले लिया है, तो ED, PMLA के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती.

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सुप्रीम कोर्ट की PMLA पर अहम टिप्पणी. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ़्तारियों पर अहम टिप्पणी की है. उसने कहा है कि अगर किसी मनी लॉन्ड्रिंग केस में विशेष अदालत द्वारा संज्ञान ले लिया गया है, तो ED 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' (PMLA) के सेक्शन-19 के तहत आरोपी की गिरफ्तारी नहीं कर सकती. शीर्ष अदालत ने ED को कई और निर्देश भी दिए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, एक याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2023 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता का सवाल था कि अगर विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में व्यक्ति विशेष के आरोपों को संज्ञान में ले लिया है, तो क्या तब भी उसे बेल के लिए सेक्शन 45 की दोहरी शर्तों को पूरा करना होगा. ये शर्तें हैं- (1) पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को आरोपी की जमानती याचिका का विरोध करने का अवसर दिया जाएगा, (2) पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के विरोध करने पर भी अगर प्रथम दृष्टया ये पाया जाता है कि आरोपी ने कोई अपराध नहीं किया है, और बेल मिलने के बाद वो कोई अपराध नहीं करेगा, तो बेल दी जा सकती है. 

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने 16 मई को इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान बेंच ने कहा,

“अगर आरोपी समन के बाद कोर्ट में पेश हो रहा है, तो उसके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता जैसे वो हिरासत में है… समन के बाद कोर्ट में पेश होने वाले आरोपी को बेल के लिए अप्लाई करने की जरूरत नहीं है, यानी उस पर PMLA की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें लागू नहीं होंगी."

बताया जाता है कि PMLA के सेक्शन 45 के तहत दोहरी शर्तें होने पर आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है. 

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने कहा कि अगर ED आरोपी को हिरासत में लेना चाहती है, तो उसे इसके लिए संबंधित अदालत में एक आवेदन देना होगा. इसके बाद जब अदालत एजेंसी द्वारा बताए गए कारणों से संतुष्ट होगी, तभी आरोपी को हिरासत में लेने की अनुमति मिलेगी. भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो.

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कब बना था PMLA कानून?

PMLA को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 2002-03 में लाया गया था. बाद में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार के दौरान 1 जुलाई, 2005 को इसे लागू किया गया. उस वक्त इस कानून को ब्लैक मनी के फ्लो को रोकने के उद्देश्य से बनाया गया था.

PMLA कानून के तहत सबसे पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सीएम मधु कोडा के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. इसके बाद साल 2010 में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला समेत कई बड़े घोटालों में इस कानून के तहत कार्रवाई हुई. फिर साल 2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसमें संशोधन भी किया था. बीते कुछ सालों में इस एक्ट में और भी कई बदलाव किए गए हैं.

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