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आयरलैंड में शिकायत, भारत में ED का एक्शन, इस 'स्कैम' की कहानी एकदम फिल्मी है!

आरोपी UK और Ireland के लोगों को उनके फोन और कंप्यूटर के ज़रिए ठगते थे और उनके बैंक खातों से कई करोड़ रुपये अपने खातों में ट्रांसफर करते थे.

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आयरिश अधिकारियों द्वारा मामले को CBI के ज़रिए भारत भेजा गया था. (फोटो - आजतक)

आयरलैंड (Ireland) के एक तटीय शहर डेंगावन में एक आयरिश महिला ने शिकायत दर्ज करवाई और भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू कर दी. ये अपनी तरह का पहला मामला है. ED ने बिहार (Bihar) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कई जगहों पर छानबीन की. इस छानबीन में ED ने साइबर अपराधियों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया. ED ने जांच में पाया कि आरोपी लड़के ब्रिटिश अंग्रेजी बोलते हैं और इंग्लैंड और आयरलैंड के लोगों को ठगते हैं. 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, पटना, खड़गपुर और कोलकाता में तलाशी के दौरान जांच एजेंसी को 70 सीटों वाले कॉल सेंटर का पता चला. यहां से कम से कम 44 लोगों को ठगा गया. आयरिश महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे (आयरलैंड में ब्रॉडबैंड सेवा देने वाली कंपनी इरकॉम टेलीकॉम से) 'स्टेफ़नी' नाम के एक आदमी ने ठगा. बाद में ED को जांच के दौरान पता चला कि 'स्टेफ़नी' कोई और नहीं नितेश कुमार है, जो पटना के गेस्ट हाउस से काम कर रहा था. पिछले साल 18 दिसंबर को उसे पकड़ लिया गया था.

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जांच के दौरान ED को सिंडिकेट के सरगना सागर यादव के बारे में भी पता चला था. सागर के कोलकाता और खड़गपुर के ठिकानों में तलाशी के दौरान 2 करोड़ रुपये कैश मिले थे. साथ ही 5 लैपटॉप, 16 मोबाइल हैंडसेट, 56 क्रेडिट/डेबिट कार्ड और 69 बैंक खाते ज़ब्त किए गए थे. बाद में दूसरे आरोपियों के बैंक खातों से भी 2.8 करोड़ रुपये मिले थे. जांच में ये भी पता चला कि सागर यादव खड़गपुर में दो अवैध कॉल सेंटर चलाता था. ED ने तलाशी के दौरान आईपी टेलीफोन औऱ हेडफोन वाले 70 कंप्यूटर बरामद किए थे. मामले में यादव और कुमार समेत तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

ED को जांच के दौरान पता चला था कि आरोपी, पीड़ितों के फोन/कंप्यूटर को कंट्रोल कर उनके बैंक खातों से पैसे अपने विदेशी सहयोगियों के बैंक खातों में ट्रांसफ़र करते थे. उनके विदेशी साथी पैसे निकालकर वेस्टर्न यूनियन और मनीग्राम प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भारत में ट्रांसफ़र करते थे. भारतीय बैंकों में पैसे आने के बाद आरोपी उसे नकद में निकाल लेते थे.

ये पहली बार है कि विदेश में दर्ज एक FIR को केंद्रीय एजेंसी ने कार्रवाई की. जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,

“ये मामला PMLA के तहत 'सीमा पार अपराध' की श्रेणी में आता है, क्योंकि ये विदेश में किया गया था और बाद में तत्काल पैसे भारत ट्रांसफ़र किये गये थे.”

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आयरिश अधिकारियों द्वारा मामले को CBI के ज़रिए भारत भेजा गया था. इसके बाद ED ने अक्टूबर 2023 में इन्फ़ॉर्समेंट केस इन्फ़ॉर्मेशन रिपोर्ट (ECIR) (पुलिस FIR की तरह) दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी. कुमार के मोबाइल फोन को ज़ब्त किया गया था. इसके बाद जांच में पता चला था कि कुमार अपने लगभग एक दर्जन साथियों के साथ सिंडिकेट चलाता था. इन लोगों ने ब्रिटेन और आयरलैंड के कम से कम 44 लोगों को अपना शिकार बनाया था.

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