अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद से डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) कई ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले अलग-अलग विभागों का बंटवारा कर रहे हैं. इस दौरान कई ऐसे नाम सामने आ चुके हैं, जो किसी ना किसी वजह से विवादों में रहे हैं. अब ऐसा ही एक नाम सामने आया है, भारतीय मूल के डॉक्टर जय भट्टाचार्य (Dr Jay Bhattacharya) का. जिन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) का अगला डायरेक्टर नॉमिनेट किया गया है.
ट्रंप की तरफ से 27 नवंबर को एक बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी गई. बयान में कहा गया,
कौन हैं लॉकडाउन विरोधी जय भट्टाचार्य? जिन्हें ट्रंप ने NIH का अगला डायरेक्टर बना दिया है!
भारतीय मूल के डॉक्टर Dr. Jay Bhattacharya को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) का अगला डायरेक्टर नॉमिनेट किया गया है. उनका नाम विवादों में रहा है.
“मुझे जय भट्टाचार्य को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का डायरेक्टर बनाते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है. डॉ. भट्टाचार्य रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के साथ काम करेंगे. ये दोनों मिलकर अमेरिका के चिकित्सा के क्षेत्र के लिए काम करेंगे, और देश की स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान की कोशिश करेंगे.”
वहीं, NIH का डायरेक्टर नॉमिनेट होने पर डॉ. जय भट्टाचार्य ने भी खुशी जाहिर की है. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा,
कौन हैं जय भट्टाचार्य?“राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तरफ से अगले NIH डायरेक्टर के रूप में नामांकित किए जाने से मैं सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. हम अमेरिकी साइंटिफिक इंस्टीट्यूशन में सुधार करेंगे, ताकि लोग हम पर फिर से भरोसा कर सके. और हम अपने प्रयासों से फिर से अमेरिका को स्वस्थ बनाने की कोशिश करेंगे.”
अब ये जय भट्टाचार्य हैं कौन और जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि इनको लेकर भी विवाद रहा है, तो वो विवाद है क्या? इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. जय भट्टाचार्य का जन्म साल 1968 में हुआ. कोलकाता में. भट्टाचार्य स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड इकोनॉमिक्स ऑफ़ हेल्थ एंड एजिंग के डायरेक्टर के तौर पर काम करते हैं. वो नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकोनॉमिक रिसर्च में रिसर्च एसोसिएट भी हैं. उन्होंने कई बड़े मुद्दों पर रिसर्च भी किया है. जिसमें स्वास्थ्य नीति, सरकारी कार्यक्रमों और बायोमेडिकल इनोवेशन से जुड़े मुद्दे शामिल होते हैं.भट्टाचार्य ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से MD की पढ़ाई की है. जबकि इसी यूनिवर्सिटी से इकॉनिमिक्स में PHD की डिग्री भी हासिल की है.
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जय की स्पेशलिटी खासकर पब्लिक हेल्थ पॉलिसी बनाने और सरकारी स्वास्थ प्रोग्राम का लोगों तक कितनी लाभ पहुंच रहा है, इसकी जांच करने में है. भट्टाचार्य विवादित Great Barrington Declaration के को-ऑथर रहे हैं. भट्टाचार्य ने साल 2020 में दो स्कॉलरों के साथ मिलकर 'ग्रेट बैरिंगटन डिक्लेरेशन' पब्लिश किया था. जिसमें COVID-19 महामारी के दौरान अमेरिका के स्वास्थ्य नीतियो की आलोचना की गई थी. खासकर लॉकडाउन की. इस डिक्लेरेशन का उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन और सामान्य प्रतिबंधों के बजाय एक वैकल्पिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव देना था.
इस डिक्लेरेशन में हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) को प्रमोट किया गया था. यानी बताया गया था कि कोविड से जो लोग प्रभावित नहीं हैं, उनको नॉर्मल लाइफ की ओर लौटने दिया जाना चाहिए, जबकि संवेदनशील लोगों की रक्षा की जानी चाहिए. ग्रेट बैरिंगटन डिक्लेरेशन के मुताबिक लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. हालांकि इस डिक्लरेशन को कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों और संगठनों ने आलोचना का सामना करना पड़ा. वहीं जय भट्टाचार्य ने मार्च 2021 में फ्लोरिडा में कहा था कि लॉकडाउन सबसे बड़ी पब्लिक हेल्थ मिस्टेक थी.
अब ये NIH क्या है, वो भी जान लीजिए. NIH अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (HHS) के तहत एक मेडिकल रिसर्च एजेंसी है. इसकी स्थापना 1887 में हुई थी और अब यह अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग का हिस्सा है. ये अमेरिका में 27 संस्थानों और केंद्रों की देखरेख करता है. साथ ही उभरते महामारी खतरों के लिए टीकों और नई दवाओं पर प्रारंभिक चरण की रिसर्च करते हैं.
कई और नामों पर विवादडॉनल्ड ट्रंप की तरफ से जिन विभागों का बंटवारा हुआ है, उसमें डॉ भट्टाचार्य के अलावा कई और विवादित नाम हैं. जिसमें तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard), मैट गेट्ज (Matt Gaetz), पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) का नाम शामिल है. इसके अलावा एक और नाम जिसको लेकर काफी विवाद हुआ है, वो है रॉबर्ट कैनेडी जूनियर (Robert F Kennedy Jr) का. जिन्हें देश का स्वास्थ्य मंत्री नॉमिनेट किया गया है. रॉबर्ट कैनेडी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के भतीजे हैं. कैनेडी की दुनियाभर में पहचान वैक्सीन के कट्टर विरोधी के तौर पर है. खासकर कोरोना वैक्सीन के. उनके मुताबिक वैक्सीन लगवाने से ऑटिज्म और अन्य बीमारियां का खतरा हो सकता है. ऐसे में कैनेडी जूनियर को स्वास्थ्य मंत्रालय दिए जाने का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. अब देखना होगा कि लोग डॉ भट्टाचार्य के नॉमिनेशन पर क्या रिएक्शन देते हैं.
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