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'350 करोड़ की दवा बिकी, 1000 करोड़ के गिफ्ट कैसे देंगे', Dolo-650 बनाने वाली कंपनी ने कहा

माइक्रो लैब्स लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि अगर कंपनी से कोई स्पष्टीकरण या डेटा मांगा जाएगा तो वो देने के लिए तैयार हैं.

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डोलो-650 टैबलेट (फोटो-Getty Images)

बुखार में दी जाने वाली दवा Dolo इन दिनों चर्चा में है. दवा बनाने वाली कंपनी पर बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ के गिफ्ट देने का आरोप लगा. लेकिन कंपनी ने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. इस दवा को फार्मा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड बनाती है. कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट (कम्यूनिकेशंस) जयराज गोविंदराजू ने माइक्रो लैब्स पर लगे आरोपों को 'आधारहीन' बताया.

'Dolo-650 से 350 करोड़ की कमाई हुई'

इंडिया टुडे से जुड़ीं स्नेहा मोरदानी की रिपोर्ट के मुताबिक, गोविंदराजू ने बताया कि जिस राशि के खर्च की बात की जा रही है वो पिछले कुछ सालों में कंपनी मार्केटिंग पर खर्च किए गए हैं. गोविंदराजू ने बताया, 

"पिछले साल Dolo-650 की बिक्री से हमारी कुल कमाई करीब 350 करोड़ की हुई. ऐसे में कोविड के दौरा डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपये  के गिफ्ट देने का सवाल ही नहीं उठता है."

गोविंदराजू ने यह भी दावा किया कि डोलो-650 दूसरे पैरासिटामॉल की तरह प्राइस कंट्रोल के तहत है. उन्होंने कहा कि डोलो-650 एक दशक से भी ज्यादा समय से एक चर्चित और भरोसेमंद ब्रांड है. गोविंदराजू ने इंडिया टुडे को बताया, 

"कोरोना महामारी के समय यह काफी चर्चित हो गया क्योंकि ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के तहत बुखार को कंट्रोल करने के लिए इसके रिकमेंडेशन बढ़े. सिर्फ डोलो टैबलेट ही नहीं, कोविड के दौरान विटामिन-सी और जिंक कॉम्बिनेशन जैसी कई दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया."

जयराज गोविंदराजू ने केस दर्ज होने की रिपोर्ट को लेकर साफ किया कि कंपनी के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रजेंटेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. गोविंदराजू के मुताबिक, अगर कंपनी से कोई स्पष्टीकरण या डेटा मांगा जाएगा तो उसे देने के लिए वो तैयार हैं.

Dolo-650 का नाम कहां से आया?

फेडरेशन ने अपनी याचिका में दवाओं की कीमत और उसकी बिक्री के लिए यूनिफॉर्म कोड लाने की मांग की थी. याचिका के समर्थन में वकील संजय पारीख ने कहा था कि कंपनियां अपनी दवाइयों को बेचने के लिए मार्केटिंग पर खूब खर्च करतीं हैं जिसके कारण डॉक्टर मरीजों को वही दवा लेने की सलाह देते हैं. इसी सुनवाई के दौरान Dolo-650 का भी जिक्र हुआ. संजय पारीख ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि डोलो-650 बनाने वाली कंपनी पर भी आरोप है कि उसने डॉक्टरों को 1000 करोड़ के गिफ्ट बांटे हैं ताकि वे इस दवा को प्रिस्काइब करें.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने याचिकाकर्ता को सुनने के बाद इसे एक गंभीर मुद्दा बताया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जब उन्हें कोविड हुआ था, तो उनको भी यही दवाई (Dolo-650) लेने की सलाह दी गई थी. सुनवाई के बाद बेंच ने कहा था कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है.

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